एक मां थी। उसकी प्यारी सी बेटियों थीं.. परियों की तरह। उसको मां प्यार करती थी, हमेशा ध्यान रखती थी। उसको जरा सी भी तकलीफ बर्दाश्त नहीं होती थी । आग, बिजली, पानी हर चीज से बचाकर रखती थी। प्यारी बिटिया अठारह साल की हुई तो उसने मा से एक स्कूटी की जिद्द की...इस जिद को मां मना नहीं कर सकी। मां ने किसी तरह उसे स्कूटी दिला दी। स्कूटी मिलते ही बिट्यिा मा के गले से झुल गई। मां और बेटी दोनों की आंखों में खुशी के आंसू थे। बिटिया स्कूटी लेकर दोस्तों से मिलने गई। मां ने दरवाजे से बाय-बाय कहा, लेकिन इन सारी चीजों में मां अपनी बेटिया को जिससे वह इतना प्यार करती थी. उसको हेलमेट देना भूल गई। खैर, मां के मानस में इतना था ही नहीं।
वह वापस घर में आई और अपनी बेटी के लिए मन पसंद खाना बनाया। खाने पर बेटी का इंतजार करने लगी। पहर दर पहर गुजरता चला गया..इंतजार बढ़ता गया। इंतजार थोड़ी ही देर में जो रोटियां जो सुखी लकड़ियों में बदली धू-धू करके जलने लगी। उनके ऊपर लाडली बेटी की लाश भी जल रही थी। कितना मुश्किल था मां के लिए इन चीजों को देखना।
दोस्तों यह कहानी यहां खत्म होती है। हमारे लिए और मां के लिए खत्म हो जाती है लेकिन उस मां के लिए यह पीड़ा आजीवन जुड़ी रहेगी। यह कहानी सिर्फ इसलिए थी कि अपने लिए और अपनों को लिए हेलमेट और सीट बेल्ट लगाना न भूलें। आप अपने भाई बहन, माता-पिता और बच्चों को इंश्योर्ड करे कि वह बिना हेलमेट और बिना सीट बेल्ट के वाहन कभी नहीं चलाए।
धन्यवाद।।।। #bepositive #bbcreatorsclub
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Haa, bilkul sahi baat he..