"माँ...छिपकली" पिंकी के कहते ही माँ घबरा कर चीख पड़ी। पिंकी हँसते हुये सबको बता रही था की उसने कैसे माँ को अप्रैल फूल बनाया । माँ गुस्से से बेटी की ओर देखती रही।
आज जब पिंकी स्वयं माँ बन चूकी है तो उसकी समझ में आया की माँ सब कुछ जानते हुए भी अपने बच्चों की बुद्धिमत्ता के आगे मूर्ख बन जाती है , अपने बच्चों की एक हँसी के खातिर वो जानबूझ कर अप्रैल फूल बन जाती है । माँ को अप्रैल फूल बनाते बनाते आज पिंकी भी अप्रैल फूल बन रही है ।
©सुनीतापवार
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