क्या जन्माष्टमी पर मोरपंख लगाना इतना आवश्यक हो गया कि हमने स्रष्टि को स्वयं में आत्मसात करनेवाले कान्हा को प्रिय न जाने कितने ही मासूमों की हत्या करवा दी,
जी हाँ हम माने य़ा ना माने परंतु दोषी हम सब हैं, बाजारों में प्रत्येक दुकान पर मोर पंख देखकर मन अकुलित हुआ जा रहा था कि आखिर इतने अधिक पंख ...
मोर के पंख स्वतः झड़ते-उगते हैं परंतु इतने कम समय मे इतने अधिक...
समझ देर ना लगी कि क्या किया गया होगा...
इन्सानियत तो बची ही नहीं है हममे..
किभी पशु य़ा पक्षी को हानि पहुँचाना तो इंसानों के बायें हाथ का खेल है.. नही पता फ़ोटो कहा कि है । पर गाली देने का मन कर रहा है😡😡😡 ये सब देख कर अपने आप से वादा करो कभी मार्केट से मोर पंख नहीं खरीदोगे । अगर जरा भी इंसानियत बची हुई है ।😢
30 Aug 2019
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Sania Bhushan
So sad to hear this
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01 Sep 2019
princy Princy
Paso k liye neech log apni behan betiyo ko bech k kha jaye dekhte n h hum log kitni gndi news aati h ye toh bejuban pakshi h.
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31 Aug 2019
Ritu rathore
And we have other option hum paper pr color krke bhi ordinary morpankh bana sakte h .ye bhut galat h
Sania Bhushan
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01 Sep 2019