हाँ जी, ससुराल तो मैं पहुँच गई थी अपने बैस्ट फ्रैंड और अब पतिदेव के साथ, पर राहें इतनी आसान नहीं थीं दिलों में बड़ी दूरियाँ थीं जो मुझे पार करनी ही थीं, यही निश्चय किया था मैंने और फिर शादी के बाद पति के साथ जयपुर कम रहती सास-ससुर जी के साथ कानपुर ज्यादा रहती थी दिल जीतने की जंग जारी थी पर बहुत प्यार और सम्मान के साथ। मुश्किलें बड़ी आईं पर सासुमाँ मेरी नरम दिल की निकलीं और जल्दी ही पिघल गई और मुझे ससुर जी का दिल जीतने के लिए मेरी बहुत हैल्प उन्होंने की। मेरे ससुर जी को खाने पीने का बड़ा शौक था और अब भी है(अब वो और बाकी सभी मेरी कुकिंग के फैन हैं और जब बैंगलौर आते हैं रोज नई चीज बनाने को कहते हैं) और मुझे बड़ा शौक है खाना बनाने और सजाने का खिलाने का, साथ ही वो मुझे और पढ़ाना चाहते थे ।और बता दूँ कि शादी के वक्त मैं ग्रैजुएट ही थी बाकी की सारी पढ़ाई मैंने शादी के बाद ही की। पढ़ाई भी सारी कानपुर रह रह कर की और फिर दिल भी सबका ही मैंने जीत लिया था और बहुत खुश थे हम सब।
Isha Pal
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26 Oct 2019