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ना जाने

कब खो जाऐं ये पल

ना जाने कि

कब बच्चे बड़े हो जाऐं
मैं झिडकती ही रह जाऊँ

और

वो सब कुछ झिड़क कर

घर से निकल जाऐं
आज झिडकती हूँ कि

रखो सारा सामान

तरतीब से

कल तरसूँ कि

काश आ कर वो

सब कुछ बिखेर जाऐं
ये करो ये ना करो,

आज देती हूँ हिदायत

कल सोचूं

जो करो सो करो

बस ज़ोर से

मेरे गले लग जाओ
फिर

क्यों ना उन्हें आज ही

जी; लेने दूँ ज़िंदगी

चाहे घर ही पूरा

क्यों ना उलट पुलट जाए
इसी बहाने

मैं भी जी लूँगी ज़िंदगी

दिल शायद फिर दिल से जीना सीख जाए
मैं भी बन जाऊँ बच्चा अपने बच्चों के साथ

इससे पहले कि वो

बड़े हो जाऐं.....🌱
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Rachita Choudhary

Thanks <span style="color:#3B5998;"><b> @ </b></span><span style="color:#3B5998;"><b></b></span> <span style="color:#3B5998;"><b> @616d8eb8b986a1001396e960 </b></span><span style="color:#3B5998;"><b></b></span><span style="color:#3B5998;"><b></b></span>

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Rachita Choudhary

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