kaise plastic shishu ko nuksaan pahucha raha hai

kaise plastic shishu ko nuksaan pahucha raha hai

14 Apr 2022 | 1 min Read

Tinystep

Author | 2574 Articles

 प्लास्टिक के प्रति बढ़ती जागरूकता और स्वच्छ भारत अभियान को मद्दे नज़र रखते हुए हमने सोचा की आपको बच्चों की सेहत पर प्लास्टिक के दुष्प्रभाव के बारे में जागरूक किया जाये। प्लास्टिक टिफिन बॉक्स से लेकर प्लास्टिक बोतलों में पानी पीना। हमारी दुनिया प्लास्टिक से घिरी हुई है। परन्तु यह सेहत के लिए हानिकारक होता है। चलिए इस पोस्ट को पढ़िए और जानिए क्यों ?

प्लास्टिक में पाया जाता है कैंसर पाया करने वाला Bisphenol A (BPA)

रसोई के कोने कोने में है प्लास्टिक बर्तन अनेक। आप बच्चे को खाना प्लास्टिक की खूबसूरत आकर्षक बर्तनों में खिलाती होंगी। लेकिन इसमें पाया जाने वाले Bisphenol A (BPA) कैंसर पैदा करने के लिए जिम्मेदार होता है। इसलिए इससे दूर रहें। प्लास्टिक बर्तनों से छोटी छोटी मात्रा में केमिकल खाने में जाते हैं जो हमें दिखाई नहीं देते पर हमारे शरीर पर असर करते हैं।

प्लास्टिक के दुष्प्रभाव:

1. महिलाओं में स्तन कैंसर

शोधकर्ताओं की माने तो प्लास्टिक बर्तनों में खाना खाने से महिलाओं के शरीर में जो प्लास्टिक जाता है वह उनमें एस्ट्रोजन हॉर्मोन को अनुकरण करता है। इस कारण महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर हो जाता है।

चौंकाने वाली बात तो यह सामने आयी है की हम सभी के शरीर में BPA पाया जाता है। BPA इंसान की मूत्र में पाया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि हम हर दिन किसी न किसी रूप में प्लास्टिक के संपर्क में आ रहे हैं।

2. प्लास्टिक बर्तनों को ठंडा-गरम करने से वे और हानिकारक हो जाते हैं

प्लास्टिक को बार बार गरमाने से उसमें मौजूद केमिकल्स टूटने लगते हैं और खाने में बहने लगते हैं। इसलिए मामूली प्लास्टिक के बर्तनों को बार बार न इस्तेमाल करें।

3. प्लास्टिक प्रजनन शक्ति घटाती है

देखा गया है की प्लास्टिक में पाए जाने वाले केमिकल्स मर्दों के वीर्य को कमज़ोर बनाते हैं। इसलिए उन्हें प्लास्टिक का प्रयोग सीमित करना चाहिए।

4. प्लास्टिक दिमागी विकास को स्थगित करती है

प्लास्टिक बर्तनों मेंअत्यधिक खाना खाने से मस्तिष्क का विकास कम हो जाता है। ऐसा एक दिन में नहीं होता। पर क्योंकि हम रोज़ प्लास्टिक बर्तनों में खाना बनाते, खाते और रखते हैं इसलिए ऐसा होता है। बच्चे मंदबुद्धि रह सकते हैं और स्मरण शक्ति कमज़ोर हो जाती है।

5. प्लास्टिक थाइरोइड ग्रंथि को प्रभवित करती है


प्लास्टिक बर्तनों में खाना खिलाने और खाने से बच्चों और महिलाओं की थाइरोइड ग्लैंड से कम थायरोक्सिन पैदा होता है। इसके साथ ही आयरन और आयोडीन की मात्रा भी गड़बड़ा जाती है।

6. प्लास्टक के संपर्क में आने से शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है।

प्लास्टिक के दुष्प्रभाव से बचने के उपाय

1. मइक्रोवेव सेफ प्लास्टिक इस्तेमाल करें।

2. जितना हो सके उतना स्टील और ताम्बे के बर्तनों में खाना खाएं।

3. ताज़ा खाना खाएं।

4. प्लास्टिक बर्तनों में खाना न गर्मायें।

5. ताज़ी फल सब्ज़ी खरीदें।

6. प्लास्टिक फॉयल में खाना रखने से बचें।

प्लास्टिक से दूर रहने से आप पर्यावरण की रखवाली भी करती हैं। इस प्रकार देश स्वच्छ और सेहतमंद बनेगा। इस पोस्ट को अवश्य शेयर करें और लोगों तथा पर्यावरण बचाने में  हमारी मदद करें,  सभी माँओं में जागरूकता फैलाएं।

 

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