11 May 2022 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
गर्भावस्था के दौरान होने वाले शरीर बदलाव कुछ शारीरिक समस्याओं को जन्म दे सकती हैं। उन्हीं में एक शामिल है प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड प्रेशर होना। वैसे तो उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन अगर गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर हो जाए, तो यह चिंता का विषय बन सकता है। ऐसी परिस्थिति में गर्भवती महिला को क्या करना चाहिए, कैसे जेस्टेशनल हाइपरटेंशन से बचाव करना चाहिए, इसी से जुड़ी जानकारी इस लेख में दी गई है।
प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड प्रेशर (Pregnancy Mein BP High Hona) एक ऐसी परिस्थिति है, जो गर्भपात के साथ ही गर्भवती महिला के जान के लिए भी जोखिम बन सकता है। उच्च रक्तचाप होने पर धमनियों में रक्त का प्रवाह अचानक से सामान्य से तेज हो जाता है।
बता दें, प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को जेस्टेशनल हाइपरटेंशन (Gestational Hypertension) भी कहा जाता है।
हां, विभिन्न साक्ष्यों से यह पुष्टि होती है कि प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड प्रेशर होना आम हो सकता है। यानी गर्भावस्था के दौरान अधिकांश महिलाएं जेस्टेशनल हाइपरटेंशन का सामना कर सकती हैं। आंकड़े यह भी बताते हैं कि वैश्विक स्तर पर लगभग 10% महिलाएं प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड प्रेशर से गुजरती हैं।
इनमें शामिल कुल 5% महिलाएं प्रेग्नेंसी में प्रीक्लेम्पसिया का भी अनुभव करती हैं। प्रीक्लेम्पसिया उच्च रक्तचाप का ही एक प्रकार होता है।
वहीं, भारत में गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के आंकड़ो की बात करें, तो लगभग 7.8% महिलाएं गर्भावधि हाइपरटेंशन और 5.4% महिलाएं गर्भावस्था के दौरान प्रीक्लेम्पसिया के लक्षणों से गुजरती हैं।
मुख्य रूप से गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के तीन प्रकार सामने आ सकते हैं, जिनमें शामिल हैः
प्रेग्नेंसी के 20वें हफ्ते के बाद गर्भावधि उच्च रक्तचाप (Gestational Hypertension) की समस्या शुरू हो सकती है, जो शिशु के जन्म के 12 सप्ताह बाद अपने आप ठीक भी सकता है। इसके सामान्य लक्षण गर्भवती महिला व भ्रूण के लिए जोखिम कारक तो नहीं होते है, लेकिन अगर इसके लक्षण गंभीर हो जाए, तो ऐसी स्थिति जोखिम भरी हो सकती है।
हालांकि, गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर होने से समय से पहले शिशु का जन्म होना या जन्म के समय शिशु का कम वजन होना जैसी समस्या आम हो सकती है।
क्रोनिक उच्च रक्तचाप (Chronic Hypertension) की समस्या गर्भावस्था के 20वें सप्ताह से पहले शुरू हो सकते हैं, जो गंभीर होकर प्रीक्लेम्पसिया का कारण भी बन सकता है।
गर्भवती महिला में प्रीक्लेम्पसिया (Preeclampsia) के लक्षण गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद यानी गर्भावस्था की तीसरी तिमाही से शुरू हो सकते हैं। यह गर्भवती महिला व उसके गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए ही गंभीर स्थिति का कारण बन सकता है। गर्भावस्था में प्रीक्लेम्पसिया (Preeclampsia) होने पर लीवर और किडनी खराब हो सकते हैं, साथ ही मूत्र में प्रोटीन का लेवल भी असामान्य हो सकता है।
गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया हैः
गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण निम्नलिखित हैंः
प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड प्रेशर (जेस्टेशनल हाइपरटेंशन) का निदान करने के लिए डॉक्टर निम्नलिखित तरीके अपना सकते हैं-
गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर (Pregnancy mein High BP ka ilaj) निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है। हालांकि, गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए कौन-सा तरीका डॉक्टर अपनाएंगे, यह गर्भवती महिला के स्वास्थ्य लक्षणों व गर्भावस्था के चरण पर निर्धारित कर सकता है।
इसके अलावा, गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर का इलाज करने से पहले डॉक्टर इसकी पुष्टि करते हैं कि गर्भवती महिला को क्रॉनिक हाइपरटेंशन हुआ है या प्रीक्लेम्पसिया। फिर इसी के लक्षणों व स्थिति के आधार पर डॉक्टर गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर का इलाज कर सकते हैं।
गर्भावस्था में क्रॉनिक हाइपरटेंशन का इलाज करने के लिए डॉक्टर सामान्य तौर पर एंटीहाइपरटेंसिव दवाओं की खुराक दे सकते हैं।
साथ ही, नियमित अंतराल पर गर्भवती महिला के स्वास्थ्य की निगरानी कर सकते हैं और हाई बीपी के स्तर की जांच कर सकते हैं।
गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर की रोकथाम करने के लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखा जा सकते हैं, इससे काफी हद तक गर्भावस्था के दौरान रक्तचाप के स्तन को सामान्य बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप (जेस्टेशनल हाइपरटेंशन) की समस्या होने पर उसे कम करने का सबसे सुरक्षित तरीका है सही व संतुलित आहार का सेवन करना। इसके लिए सबसे अच्छी आहार योजना है डैश डाइट। डैश डाइट के तौर पर गर्भावस्था में रक्तचाप के लिए डाइट चार्ट कुछ इस तरह से प्लान किया जा सकता हैः
नोटः अगर गर्भवती महिला को किसी खाद्य आहार से एलर्जी की समस्या है और वह खाद्य डैश डाइट प्लान में शामिल होती है, तो उसके सेवन से पहले अपने डॉक्टर की सलाह लें।
मैटरनल केयर और चाइल्ड न्यूट्रिशन एक्सपर्ट डॉक्टर पूजा मराठे की सलाह के अनुसार “गर्भावधि हाइपरटेंशन को मैनेज करने के लिए पोटेशियम से भरपूर खाद्यों को आहार को शामिल करना चाहिए। इसके लिए शकरकंद, टमाटर, राजमा, संतरे का जूस, मटर, आलू, सूखे मेवे, तरबूज और खरबूज एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं।”
“पोटेशियम गर्भावस्था के दौरान एक आवश्यक मिनरल भी होता है। ऐसे में गर्भावधि हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर में कौन सा फल खाना चाहिए (Best Fruits to Eat during Gestational Hypertension) इसके लिए निम्नलिखित फलों के साथ ही सीट्रिक फलों को आहार में शामिल किया जा सकता हैः”
“साथ ही, गर्भावधि हाइपरटेंशन (High Blood Pressure in Pregnancy) को नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली को भी अच्छा बनाना चाहिए, जैसे – दैनिक स्वस्थ आहार खाना, नियमित रूप से एक्सरसाइज करना, उचित नींद लेना और तनाव का प्रबंधन करना।”
गर्भावधि हाइपरटेंशन यानी प्रेग्नेंसी में बीपी का हाई होना, माँ के साथ ही गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी खतरे की घंटी हो सकती है। इसलिए, बेहतर होगा कि गर्भावस्था की योजना के दौरान ही महिला को अपने रक्तचाप के स्तर की नियमित जांच करानी चाहिए। अगर सारी सावधानियों के बाद भी जेस्टेशनल हाइपरटेंशन की समस्या होती है, तो उसके लक्षणों की उचित निगरानी करनी चाहिए और डॉक्टरी सलाह के अनुसार दिए गए डाइट प्लान को फॉलो करना चाहिए।
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