माँ के लिए क्या लिखू माँ ने ख़ुद मुझे लिखा है,भगवान कंहा है पता नहीं पर माँ में मुझे वो दिखा है
माँ बनना कितना मुश्किल है ये माँ बनकर पता चला,
माँ के हर मुसकान का राज मुझे आज पता चला
माँ मेरी माँ दुर्गा जैसी सर्व शक्ति सवरूपिनी,
माँ से ना हो पाये दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं
माँ के हाथ के पराँठे के आगे छप्पन भोग भी फीका है,
हर परिस्थिति का सामना करना माँ से ही सिखा है
बिना कहे ही समझ जाति है दिल की हर बात,
तबियत ख़राब हो जाय तो जाग जाति है पुरी रात
पढ़ाई की हर कठिनाई को माँ ने ही किया आसान,
बड़े प्यार से पुरा किया मेरे दिल के हर अरमान
सदा यूँही ख़ुश रहे ग़म का ना हे कोई नाम,
हसते और खिलखिलाते हुऐ बीते हर शाम
ये बात ज़ुबान पे कभी आयी नहीं की मुझको कितना प्यार है माँ से,
सच तो ये हे की मेरी हर साँस हे माँ से
ऐसी माँ की बेटी बनकर धन्य हुआ मेरा जीवन,
माँ की हर ख़ुशी के लिए कर दूँ मैं अपना सबकुछ समरपन
ये कविता मैंने मेरी माँ के लिए उस वक़्त लिखा जब मैं ख़ुद एक माँ बनी। माँ बन्ने का एहसास अनोखा है और उसी दौरान आपको ये भी एहसास हो जाता है की आपकी माँ ने कितनी कठिनाइयों का सामना करके आपका पालन पोषण किया है।
मेरी माँ तब मेरे साथ थी जब मैं माँ बनी।
Mai सोचती रही की माँ ने तो कभी नहीं बताया कि उनको भी इन सब तकलीफ़ों से गुज़रना पड़ा था।
इस कविता के ज़रिए मैं विश्व की सभी माताओं का नमन करती हूँ। किसी ने सच ही कहा है, "ईश्वर हर जगह मौजूद नहीं हो सकता इसलिए उसने हर किसिको एक माँ दिया है।"
मेरी यही प्रार्थना है की कभी कोई माँ दुखी ना हो, कभी किसी माँ के आँखों में आँसू ना आए और वो हमेशा प्रसन्न रहे। हर माँ को ऐसा संतान मिले जो उनको ख़ुश रख सके और उनकी ख़ुशी में ही अपनी ख़ुशी पाए।
Recommended Articles

neha singhal
Maa ka darja sabse upar...