“खुद पर हावी हुई नकारात्मक सोच को मात दी”
मेरे हिसाब से हर औरत एक एक्स्ट्राऑर्डिनरी नारी है क्योंकि उसके अंदर कुछ ऐसी विशेषताएं अवश्य होती है जो कि वह कई बार अपने घर परिवार की जिम्मेदारियों को पूरा करने के चलते कहीं ना कहीं खो बैठती हैं। मैं एक मध्यम परिवार में जन्मी लड़की हूं,माता पिता की इच्छा अनुसार पढ़ाई करी लेकिन मन को वह संतुष्टि ना मिल पाई जिसकी मुझे चाह थी।।फिर शादी हुई और हमसफर के रूप में एक सच्चा जीवन साथी मिला जिन्होंने मुझे मेरे जीवन के हर कदम में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। शादी के 2 साल बाद मैंने एक प्यारी सी बिटिया को जन्म दिया उसकी देखरेख में कितने साल कैसे निकल गए पता ही नहीं चला।फिर बिटिया बड़ी हुई और स्कूल जाने लगी मुझे अपने खुद के लिए कुछ सोचना था अपना अस्तित्व का निर्माण करना था,लेकिन मैं यह सोचने में असमर्थ थी कि मुझे किस दिशा की ओर अपना कदम बढ़ाना है।
शुरू से ही लिखने का शौक था लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि शुरुआत कैसे करूं... यहीं उलझने मेरी सोच पर धीरे-धीरे हावी होती गई और मुझे नकारात्मकता की ओर लेते चली गई मुझे ऐसा लगने लगा कि शायद मैं अकेली हूं और मेरे अंदर वह विशेषता ही नहीं है जिसके चलते मैं खुद के लिए कुछ कर पाऊं, एक समय ऐसा हो गया जब मैंने अपनी नकारात्मक सोच के कारण खुद को माइग्रेन, डिप्रेशन व तनाव जैसी परिस्थितियों में डाल दिया और लगातार नींद की दवाइयों का सेवन करने लगी,जिससे जीवन खत्म सा होता जा रहा था।
मेरे पति का मुझे पूरा सपोर्ट था पर फिर भी मैं खुद को संभाल नहीं पा रही थी और सबसे ज्यादा चिंता का विषय था मेरा परिवार खासकर मेरी बेटी जो कि बहुत छोटी थी मुझे डर लगने लग गया था कि अगर मुझे कुछ हो गया तो इसका क्या होगा जो कि शायद मेरे हिसाब से एक माँ के लिए सबसे ज्यादा चिंता का विषय होता है कि वह बच्चे की देख रेख को सही प्रकार से करे ताकि उसमें कोई कमी न हो।
बस फिर क्या था खुद पर हावी हुई नकारात्मक सोच को मात देने की ठान ली थी मैंने धीरे-धीरे अपने भावों को कलम के माध्यम से व्यक्त करना शुरू कर दिया एक नई पहचान बनी, बहुत सी नयी सखियां मिली जिन्होंने हर कदम पर मुझे सपोर्ट किया और मुझे बहुत प्यार भी दिया आज मेरे पति और मेरी सभी सखियों के प्यार और दिए गए सम्मान के कारण अपने मन में आत्मविश्वास को फिर से जागृत कर मैंने पिछले साल अपनी एक किताब "प्रयास एक लघु कथा संग्रह" भी प्रकाशित करवाई और तो और पिछले साल मुझे भगवान द्वारा दिया गया एक और तोहफा मिला मैं फिर से एक प्यारी सी बिटिया की मां बनी। आज मैं बहुत खुश हूं कि मुझे जीवन जीने की एक नई राह मिली व इस राह में मेरी कलम मेरी साथी है और अब इसी राह पर अपना कदम आगे बढ़ा एक नई मंजिल तय करनी है।
#extraordinaari
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Amrita Yadav
Congratulations dear mona