जिस किसी औरत ने भी यह लिखा है कमाल का लिखा है अगर आप मे से किसी को समझ न आये तो दुबारा जरूर पढ़ियेगा... मुझे अच्छा लगता है मर्द से मुकाबला ना करना और उस से एक दर्जा कमज़ोर रहना। मुझे अच्छा लगता है जब कहीं बाहर जाते हुए वह मुझ से कहता है "रुको! मैं तुम्हे ले जाता हूँ या मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ"। मुझे अच्छा लगता है जब वह मुझ से एक कदम आगे चलता है - गैर महफूज़ और खतरनाक रास्ते पर उसके पीछे पीछे उसके छोड़े हुए क़दमों के निशान पर चलते हुए एहसास होता है उसे मेरा ख्याल खुद से ज्यादा है। मुझे अच्छा लगता है जब गहराई से ऊपर चढ़ते और ऊंचाई से ढलान की तरफ जाते हुए वह मुड़ मुड़ कर मुझे चढ़ने और उतरने में मदद देने के लिए बार बार अपना हाथ बढ़ाता है। मुझे अच्छा लगता है जब किसी सफर पर जाते और वापस आते हुए सामान का सारा बोझ वह अपने दोनों कंधों और सर पर बिना हिचक; किये खुद ही बढ़ कर उठा लेता है - और अक्सर वज़नी चीजों को दूसरी जगह रखते; वक़्त उसका यह कहना कि "तुम छोड़ दो यह मेरा काम है"। मुझे अच्छा लगता है जब वह मेरी वजह से सर्द मौसम में सवारी गाड़ी का इंतज़ार करने के लिए खुद स्टेशन पे इंतजार; करता है। मुझे अच्छा लगता है जब वह मुझे ज़रूरत की हर चीज़ घर पर ही मुहैय्या कर देता है ताकि मुझे घर की जिम्मेदारियों के साथ साथ बाहर जाने की दिक़्क़त ना उठानी पड़े और लोगों के नामुनासिब रावैय्यों का सामना ना करना पड़े। मुझे बहुत अच्छा लगता है जब रात की खनकी में मेरे साथ आसमान पर तारे गिनते हुए वह मुझे ढंड लग जाने के डर से अपना कोट उतार कर मेरे कन्धों पर डाल देता है। मुझे अच्छा लगता है जब वह मुझे मेरे सारे गम आंसुओं में बहाने के लिए अपना मज़बूत कंधा पेश करता है और हर कदम पर अपने साथ होने का यकीन दिलाता है। मुझे अच्छा लगता है जब वह खराब; हालात में मुझे अपनी जिम्मेदारी; मान कर सहारा; देने केलिए मेरे आगे ढाल की तरह खड़ा हो जाता है और कहता है "डरो मत मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा"। मुझे अच्छा लगता है जब वह मुझे गैर नज़रों से महफूज़ रहने के लिए समझाया; करता है और अपना हक जताते हुए कहता है कि "तुम सिर्फ मेरी हो"। लेकिन अफसोस हममें से अक्सर लड़कियां इन तमाम खुशगवार अहसास को महज मर्द से "बराबरी का मुकाबला" करने की वजह से उन्हें खो देती हैं और फिर जब मर्द यह मान लेता है कि औरत उस से कम नहीं तब वह उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाना ही छोड़ देता है। तब ऐसे खूबसूरत लम्हात एक एक करके आपकी ज़िन्दगी से कम होते चले जाते हैं, और फिर ज़िन्दगी बेरंग और बेमतलब होकर अपनी खुशीया भी खो देती है। तो मित्रो क्यों न आप सब भी "मुक़ाबला" आधुनिकता की इस दौड़ से निकल कर अपनी ज़िंदगी के ऐसे कुछ हसीन लम्हो का अहसास कर लीजिए। आगे मर्जी भी आपकी और जीवन भी 🙏 🙏
29 Dec 2017
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Priya Yadav
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Priya Yadav
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29 Dec 2017