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तन्हाइयां अच्छी लगती है मुझे.. सच!

कितना सुकून होता है इनमे

रेगिस्तान में जैसे गुलमोहर उग आए

तपती ज़मीन पर बारिश की बूंद गिर जाए

अश्कों से भरी आंखे हो और होंठ मुस्कुरा जाए

उदास दिल में कोई ठिठोली कर जाए
तन्हाइयां अच्छी लगती है मुझे..सच!

कैसा लगता है आंसू मन का बोझ हल्का कर दे

दूर तलक नीला आसमां गुफ़्तगू मेरी खुद में समेट ले

वो कानों से गुजरती मद्धम मद्धम हवा

सब कुछ भूल , नई राह का इशारा कर दे
तन्हाइयां अच्छी लगती है मुझे..सच!

मेरी कमियों को में और समझ पाती हूँ

हर उस खुद से तन्हा मुलाकात में कुछ नया सीख जाती हूँ

खुद को जवाब देने और समझाने का मज़ा ही कुछ और है

बुरा नहीं है ये, तल्ख़ उन सब रिश्तों में इसे सबसे मीठा पाती हूँ।।
#मेरासफ़र
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Madhavi Cholera

kya khub likha he

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khushboo chouhan

Bahut hi aacha likha hai aapne

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Isha Pal

Wow.. beautiful line

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