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➡प्रोस्टेट ग्रंथि ...➡
लगभग तीस फीसदी पुरुष 40 की उम्र में और पचास फीसदी से भी ज्यादा पुरुष 60 की उम्र में प्रोस्टेट की समस्या से परेशान होते हैं !

प्रोस्टेट ग्लैंड को पुरुषों का दूसरा दिल भी माना जाता है !

पौरूष ग्रंथि शरीर में कुछ बेहद ही जरूरी क्रिया करती हैं !

जैसे यूरीन के बहाव को कंट्रोल करना और प्रजनन के लिए सीमेन बनाना !

जैसे - जैसे उम्र बढ़ती हैं यह ग्रंथि बढ़ने लगती हैं !

इस ग्रंथि का अपने आप में बढ़ना ही हानिकारक होता हैं और इसे बीपीएच ( बीनीग्न प्रोस्टेट हाइपरप्लेसिया ) कहते हैं !

प्रोस्टेट ग्लैंड ज्यादा बढ़ जाने पर कई लक्षण सामने आने लगते हैं जैसे यूरीन रूक - रूक कर आना - पेशाब करते समय दर्द या जलन और यूरीन ट्रेक्ट इन्फेक्शन बार - बार होना !

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ जाने से मरीज बार - बार पेशाब करने जाता हैं मगर यूरीन पास नहीं होता ! अगर बार - बार यह परेशानी होती है तो पौरूष ग्रंथि बढ़ने की संभावना हो सकती है ! ऐसी अवस्था मरीज के लिए कष्टदायक होती है !

उसे समझ नहीं आता कि क्या किया जाना चाहिए !

प्रोस्टेट वृद्धि के लक्षण ….. !

* पेशाब करने में कठिनाई मेहसूस होना !

* थौडी २ देर में पेशाब की हाजत होना - रात को कई बार पेशाब के लिये उठना !

* पेशाब की धार चालू होने में विलंब होना !

* ➡मूत्राशय पूरी तरह खाली नहीं होता है - मूत्र की कुछ मात्रा मूत्राशय में शेष रह जाती है - इस शेष रहे मूत्र में रोगाणु पनपते हैं !

40 - 50 की उम्र के बाद ये समस्या अक्सर पुरुषो को घेर लेती हैं और ये इतनी विकराल हो जाती हैं कि डॉक्टर इसके ऑपरेशन के राय देते हैं ! आसान से उपाय जिनको इस्तेमाल कर के लाभ उठाये !

@ दूसरे रोग की तरह प्रोस्टेट ग्लैंड बढ़ने का उपचार संभव है ! ऐसी बहुत सी दवाइयां हैं जिससे मरीज को काफी आराम महसूस होता है और वह सामान्य दिनचर्या जी सकता है !

* ऐसे में प्रकृति में भी बढिया उपाय हैं !

जैसे सीताफल के बीज इस बीमारी में बेहद लाभदायक होते हैं - सीताफल के कच्चे बीज को अगर हर दिन अपने खाने में इस्तेमाल किया जाए तो काफी हद तक यह प्रोस्टेट की समस्या से बचाव करने में मददगार होता है ! इन बीजों में ऐसे " प्लांट केमिकल" मौजूद होते हैं जो शरीर में जाकर टेस्टोस्टेरोन को डिहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन में बदलने से बचाता है - जिससे प्रोस्टेट कोशिकाएं नहीं बन पातीं !

कच्चे सीताफल के बीज में काफी मात्रा में पोषक तत्व मौजूद होते हैं ! जैसे आयरन - फॉस्फोरस - टि्रप्टोफैन - कॉपर - मैग्नेशियम - मैग्नीज - विटामिन के - प्रोटीन - जरूरी फैटी एसिड और फाइटोस्टेरोल !

ये बीज जिंक के बेहतरीन स्रोतों में से एक माने जाते हैं ! हर दिन 60 मिलीग्राम जिंक का सेवन प्रोस्टेट से जूझ रहे मरीजों में बेहद फायदा पहुंचाता है और उनके स्वास्थ्य में भी सुधार करता है !

इन बीजों में बीटा - स्टिोसटेरोलभी होता है जो टेस्टोस्टेरोन को डिहाइड्रोटेस्टेरोन में बदलने नहीं देता ! जिससे इस ग्रंथि के बढ़ने की संभावना न के बराबर हो जाती है !

सीताफल के बीज कच्चा या भून कर या फिर दूसरे बीजों के साथ मिलाकर खा सकते हैं ! इसे अपने हर दिन के खाने में शामिल किया जा सकता है ! इसे सलाद में मिलाकर भी खाया जा सकता है ! पोहा में मिलाकर या सूप में डालकर भी खा सकते है ! सीताफल के बीज नट्स के साथ एक बेहतरीन नाश्ता हो सकते हैं ! दस ग्राम तक यह बीज हर दिन लेने से प्रोस्टेट को काबू किया जा सकता है !

**➡ अदरक लाभकारी है प्रोस्टेट और ओवेरियन केन्सर में :-

अदरक की केन्सर में उपयोगिता !

अदरक के सामान्य गुणों से हम सब लोग परिचित हैं ! सूखी खांसी - सर्दी - जुकाम - भूख न लगना जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिए अदरक का उपयोग प्राचीन समय से होता आ रहा है !

लेकिन एक शौध के परिणाम केन्सर चिकित्सा में बेहद उत्साह्कारी हैं !

शौध के मुताबिक़ अदरक ओवेरियन केन्सर की कोशिकाओं को नष्ट करने में सफल हुई है !

पुरुषों में प्रोस्टेट केन्सर की कोशिकाएं अदरक के प्रयोग से नष्ट हो जाती हैं ! प्रोस्टेट केन्सर और ओवेरियन केन्सर से पीड़ित लोगों के लिए अदरक एक जीरो साईड इफेक्ट वाली केमो थीरेपी है !

देखा गया कि जैसे ही केन्सर कोशिकाओं को अदरक के चूर्ण के संपर्क में लाया गया - केन्सर के सेल्स नष्ट होते चले गए ! वैज्ञानिक भाषा में इसे एपोप्टीज यानि कोशिकाओं की आत्म ह्त्या कह सकते हैं ! यह भी देखा गया कि अदरक की मौजूदगी में केन्सर के सेल्स एक दुसरे को खाने लगे ! इसे डाक्टरी भाषा में ऑटो फिगिज कहते हैं !

ओवेरियन और प्रोस्टेट केन्सर से पीड़ित रोगियों में अदरक एक प्राकृतिक कीमो थिराप्यूटिक एजेंट की तरह काम करता है !

एक शौध के अनुसार '' अदरक का सत्व '' बढे हूए प्रोस्टेट ट्युमर की साईज

56 % तक कम कर देता है !

सबसे अच्छी बात यह कि अदरक की मात्रा ज्यादा भी हो जाए तो इसका दुष्प्रभाव कीमो थेरपी की तरह नहीं होता है !
$ प्रोस्टेट ( पौरुष ग्रंथि - गदूद ) के आसान रामबाण इलाज !

* ➡एक पीली हरड़ जो न ज़्यादा बड़ी हो और न ज़्यादा छोटी हो - के दो टुकड़े कर गुठली सहित चीनी मिटटी के कप या कांच के गिलास में रात भर 12 से 14 घंटे तक भीगने दे ! इतनी भीगे के वह फूल जाए और फूलने के बाद भी पानी में डूबी रहे ! सुबह ऐसी स्थिति होने पर इसके बीज निकाल कर इसको धीरे धीरे चबा चबा कर खा ले और ऊपर से वही पानी घूँट घूँट कर पी ले !

ये प्रयोग कम से कम 1 महीने से 2 महीने तक करे ! ऐसा करने से आपको चमत्कारिक परिणाम मिलेंगे ! इसके साथ एक और काम करे !

➡* 10 ग्राम गोखरू 125 मिली पानी के साथ घोट छान कर - बिना मीठा डाले हरड़ के प्रयोग के 15 मिनट बाद करे ! ये प्रयोग तब तक करे जब तक आपकी बार बार पेशाब आने की समस्या हो !

ये दोनों प्रयोग बहुत कड़वे हैं मगर इनको करना ऐसे ही हैं - इनमे मीठा नहीं डालना !
** प्रोस्टेट ....
*➡ दिन में 3 - 4 लिटर पानी पियें लेकिन शाम को 6 बजे बाद जरुरत मुताबिक ही पानी पियें ताकि रात को बार बार पेशाब के लिये न उठना पडे
➡* अलसी को मिक्सर में चला दर दरा पाउडर बना लें ! यह पाउडर 20 ग्राम की मात्रा में 1 ग्‍लास पानी में 4 घंटे के लिये घोल दिन में दो बार पीयें ! बहुत लभदायक उपचार है !
➡* कद्दू में जिन्क होता है जो इस रोग में लाभदायक है ! कद्दू के बीज की गिरी निकाल कर तवे पर सेक पीस पावडर बना - 20 से 30 ग्राम की मात्रा में नित्य पानी के साथ लेने से प्रोस्टेट सिकुडकर मूत्र खुलासा होने लगता है
➡* सोयाबीन बीज में फ़ायटोएस्टोजीन्स होते हैं जो शरीर मे टेस्टोस्टरोन का लेविल कम करते हैं ! रोज 30 ग्राम बीज गलाकर खाना प्रोस्टेट में लाभदायक है !
*➡ विटामिन सी का प्रयोग रक्त नलियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिये जरूरी है 500 एम जी की 3 गोली प्रतिदिन लेना हितकर माना गया है !
➡ दो टमाटर प्रतिदिन अथवा हफ़्ते में कम से कम दो बार खाने से प्रोस्टेट केंसर का खतरा 50 % तक कम हो जाता है ! इसमें पाये जाने वाले लायकोपिन और एन्टिआक्सीडेंट्स केंसर पनपने को रोकते हैं
#drAbhishek

##Naturecure
#bbcreatorsclub
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Isha Pal

Very helpful post

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