*वायरल फीवर के लक्षण और बचने के आयुर्वेदिक उपचार* #वायल फीवर से बचने के आयुर्वेदिक उपचार :-
#हल्दी और सौंठ यानि अदरक का पाउडर
अदरक में एंटी आक्सिडेंट गुण बुखार को ठीक करते हैं। एक चम्मच काली मिर्च का चूर्ण एक छोटी चम्मच हल्दी का चूर्ण और
एक चम्मच सौंठ यानि अदरक का पाउडर।
एक कप पानी।
और हल्की सी चीनी।
इन सभी को किसी बर्तन में डालकर तब तक उबालें जब तक यह सूखकर आधा न रह जाए।
इसके बाद इस पानी को थोड़ा ठंडा करके रोगी को पिलाएं। इससे वायरल फीवर से आराम मिलता है।
#तुलसी का इस्तेमाल तुलसी में एंटीबायोटिक गुण होते हैं जिससे शरीर के अंदर के वायरस खत्म होते हैं।
कैसे करें तुलसी का प्रयोग वायरल बुखार में तुलसी एक गुणकारी औषधी है, एक चम्मच लौंग के चूर्ण और दस से पंद्रह तुलसी के ताजे पत्तों को एक लीटर पानी में मिला लें। और इसे इतना उबालें जब तक यह सूखकर आधा न रह जाये। इसके बाद इसे छानें और ठंडा करके हर एक घंटे में वायरल फीवर से ग्रसित इंसान को पिलायें।
#धनिया सेहत का धनी होता है। इसलिए यह वायरल बुखार जैसे कई रोगों को खत्म करता है।
वायरल फीवर के बुखार को खत्म करने के लिए धनिया चाय बहुत ही असर कारक औषधि का काम करती है।
धनिया की चाय बनाने की विधि :- एक बड़ी चम्मच धनिया के दानों की लें और इसे एक गिलास या कप पानी में डालकर उबालें। फिर इसमें थोड़ी सी मात्रा में दूध और कम मात्रा में चीनी डालकर इसे उबालें। अब गरम-गरम चाय को रोगी को पिलाएं।
इस कारगर घरेलू नुस्खे से वायर फीवर में आराम मिलेगा।
#सोया , काली मिर्च और कलौंजी का प्रयोग सोया शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। जिससे वायरल बुखार कम होने के साथ.साथ पूरी तरह से उतर जाता है।
एक छोटी चम्मच काली मिर्च का चूर्ण एक बड़ी चम्मच सोया के ताजे दाने एक चुटकी दालचीनी का चूर्ण और आधा चम्मच कलौंजी को एक कप पानी में डालकर पंद्रह मिनट तक उबालें। जब यह अच्छी तरह से उबल जाए तब इसे साफ कपड़े से छानकर किसी बर्तन में रख दें। और थोड़ा ठंडा होने पर वायरल फीवर से ग्रसित इंसान को देते रहें।
#मेथी का पानी दें आपके किचन में मेथी तो होती ही है। मेथी में वायरल बुखार को रोकने की क्षमता होती है। मेथी के दानों को एक कप में भरकर इसे रात भर के लिए भिगों लें। और सुबह के समय इसे छानकर रोगी को हर एक घंटे में पिलाते रहें।
#नींबू का रस और शहद भी वायल फीवर के असर को कम करते हैं। आप रोगी को शहद और नींबू का रस का सेवन भी करा सकते हैं।
#चावल स्टार्च पुराने समय से आम तौर पर चावल स्टार्च (कांजी या पीछ) इस्तेमाल होता है। यह पारंपरिक उपाय शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाकर शरीर को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। वायरल बुखार से पीडि़त बच्चों और बड़े लोगों के लिए यह विशेष रूप से एक प्राकृतिक पौष्टिक पेय माना जाता है। चावल स्टार्च बनाने के लिए एक भाग चावल और आधा भाग पानी डालकर चावल के आधा पकने तक पकाएं। इसके बाद पानी को निथार कर अलग कर लें।
#drAbhishek
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priya rajawat
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19 Sep 2019