आज 11.11.2018 नहाए खाए के साथ चार दिवसीय छठ पूजा की शुरुआत हो गई है।
चलिए मेरे साथ और जानिए की छठ पर्व बिहारियों के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है हमारी सदियों से चली आ रही परंपरा है। हम पीढ़ी दर पीढ़ी इनकी हिफाजत करते आ रहे हैं, और हमारी छठ पर्व की हर रस्म प्रकृति व हमारे स्वास्थ्य से सीधी जुड़ी हैं। सूर्य की उपासना होने से इसे प्रकृति पूजा का सिर्फ अनुष्ठान मान लेना समझदारी नहीं होगी। चाहे बात नदी घाटों व जलाशयों के सफाई की हो या हमारे गली-महोल्ले की, इससे फायदा हमारे वातावरण को ही होता है। इस हार में हमारे खान-पान से लेकर सारे नियम व निष्ठाएं सीधे हमारे स्वास्थ्य से जुड़ी हैं। महापर्व कहे जाने वाले छठ को को यूं ही सुख, समृद्धि एवं आरोग्य देने वाला हार नहीं कहा जाता है।
सनातम धर्म की मान्यता है कि सूर्य आरोग्य के देवता हैं। शास्त्रों में वर्णित है ‘आरोग्यम भाष्करात इच्छेस्’। इसका अर्थ ये है कि सूर्य में आरोग्य देने की पूर्ण शक्ति है, आपमें इच्छा होनी चाहिए। इसलिए छठ व्रत में लोग स्वास्थ्य कामना करते हैं। वेदों में सूर्य के लिए बहुत कुछ लिखा गया है।
शास्त्रों में मान्यता है कि सूर्य के सात घोड़े हैं, विज्ञान भी मानता है सूर्य की सात किरणों हैं। असल में ये सातों किरणों ही आरोग्य श्रोत हैं। छठी मइया की एक कथा है कि छठी मईया ने कार्तिकेय का पालन-पोषण किया था। लोग छठी मइया की भी आराधना कर अपने बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य व देखरेख की कामना करती हैं। हमारे बुजुर्ग इस बात को लेकर अक्सर चिंतित रहते थे कि समय के साथ-साथ हमारी परंपराएं और मान्यनाएं खत्म न हो जाए। उन्हें चिंता रहती थी कि पारंपरिक विरासतें हमारी युवा पीढ़ी कैसे संभालेगी। हम अपनी जड़ों से कटते जा रहे हैं, अपनी मिट्टी से दूर होते जा रहे हैं।” इन तमाम दुश्वारियों के बावजूद कभी बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश का कहा जाने वाला त्योहार छठ पूजा अब क्षेत्रियता से परे हो चला है। ऐसा माना जाता था कि छठ अपने गाँव-घर में ही ढंग से मनाई जा सकती थी।
क्यों जरूरी है छठ
“ये छठ जरूरी है” के शीर्षक के पटना के वरिष्ठ पत्रकार कुमार रजत ने 2014 में एक कविता लिखी थी, इसे पढ़कर आप अनुमान लगा सकते हैं कि क्यों जरूरी है छठ-
ये छठ पूजा जरूरी है धर्म के लिए नहीं, अपितु… ये छठ जरूरी है : हम-आप सभी के लिए जो अपनी जड़ों से कट रहे हैं. उन बेटों के लिए जिनके घर आने का ये बहाना है. ये छठ जरूरी है
उस मां के लिए जिन्हें अपनी संतान को देखे महीनों हो जाते हैं.
उस परिवार के लिए जो टुकड़ो में बंट गया है.
ये छठ जरूरी है
उस नयी पौध के लिए जिन्हें नहीं पता कि दो कमरों से बड़ा भी घर होता है.
उनके लिए जिन्होंने नदियों को सिर्फ किताबों में ही देखा है.
ये छठ जरूरी है
उस परंपरा को जिंदा रखने के लिए जो समानता की वकालत करता है.
जो बताता है कि बिना पुरोहित भी पूजा हो सकती है. ये छठ जरूरी है
जो सिर्फ उगते सूरज को ही नहीं डूबते सूरज को भी प्रणाम करना सिखाता है.
ये छठ जरूरी है गागर, निम्बू और सुथनी जैसे फलों को जिन्दा रखने के लिए. ये छठ जरूरी है
सूप और दउरा को बनाने वालों के लिए.
ये बताने के लिए कि इस समाज में उनका भी महत्व है. ये छठ जरूरी है
उन दंभी पुरुषों के लिए जो नारी को कमजोर समझते हैं.
ये छठ जरूरी है, बेहद जरूरी बिहार के योगदान और बिहारियों के सम्मान के लिए.
सांस्कृतिक विरासत और आस्था को बनाये रखने के लिए.
परिवार तथा समाज में एकता एवं एकरूपता के लिए.
संयमित एवं संतुलित व्यवहार = सुखमय जीवन का आधार जय हो छठी मइया…
11 Nov 2018
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Aditi Ahuja
Very nicely explained and Happy chath Pooja to you dear..
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12 Nov 2018
Madhavi Cholera
wow!! lovely pics dear & great information..
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11 Nov 2018
suman tiwari
Nice pics....chatth puja humare liye bahut hi special hai....
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11 Nov 2018
Durga salvi
Wow priya .<br>
Thanks apne hame itni achchai jankari btai hai.chath pooja ke bare me.<br>
Nice pics dear.
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11 Nov 2018
Dubey
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Aditi Ahuja
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12 Nov 2018