गर्भावस्था का समय बढ़ने के साथ-साथ बच्चेदानी का बढ़ना भी स्वाभाविक होता है। 32 से 36 सप्ताह में बच्चेदानी की ऊपरी सतह लगभग पसलियों के नीचे की सतह को दबाने लगती है जिसके कारण स्त्री के दाहिनी तरफ अधिक दर्द होता है क्योंकि बच्चेदानी दाहिनी तरफ अधिक बढ़ती है। कभी-कभी तो दर्द दोनों ओर ही बराबर बना रहता है। बैठने में दर्द, लेटने या चलने की तुलना में अधिक होता है।
स्त्रियों को हमेशा अपने मूत्राशय को खाली करके रखना चाहिए जिससे बच्चेदानी का दबाव पसलियों पर कम बना रहे। जैसे ही बच्चे का सिर कूल्हे कि हडि्डयों में जाकर जमता है, दर्द स्वयं ही कम हो जाता है क्योंकि इस अवस्था में बच्चेदानी कुछ नीचे और आगे आ जाती है। परन्तु यह अवस्था स्त्रियों में गर्भावस्था के 36 सप्ताह के बाद आती है। दूसरी या तीसरी गर्भावस्था में इस प्रकार का दर्द स्वयं ही कम हो जाता है।
Sonam patel
गर्भावस्था का समय बढ़ने के साथ-साथ बच्चेदानी का बढ़ना भी स्वाभाविक होता है। 32 से 36 सप्ताह में बच्चेदानी की ऊपरी सतह लगभग पसलियों के नीचे की सतह को दबाने लगती है जिसके कारण स्त्री के दाहिनी तरफ अधिक दर्द होता है क्योंकि बच्चेदानी दाहिनी तरफ अधिक बढ़ती है। कभी-कभी तो दर्द दोनों ओर ही बराबर बना रहता है। बैठने में दर्द, लेटने या चलने की तुलना में अधिक होता है।
स्त्रियों को हमेशा अपने मूत्राशय को खाली करके रखना चाहिए जिससे बच्चेदानी का दबाव पसलियों पर कम बना रहे। जैसे ही बच्चे का सिर कूल्हे कि हडि्डयों में जाकर जमता है, दर्द स्वयं ही कम हो जाता है क्योंकि इस अवस्था में बच्चेदानी कुछ नीचे और आगे आ जाती है। परन्तु यह अवस्था स्त्रियों में गर्भावस्था के 36 सप्ताह के बाद आती है। दूसरी या तीसरी गर्भावस्था में इस प्रकार का दर्द स्वयं ही कम हो जाता है।
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