10 pyari cheezen jo pita apne shihsu ke liye karte hain

10 pyari cheezen jo pita apne shihsu ke liye karte hain

19 Apr 2022 | 1 min Read

Tinystep

Author | 2574 Articles


शिशु के जन्म के बाद न केवल उसकी माँ उसे बेहद प्यार करती है बल्कि उसके पिता भी अपना दिल उसके नाम कर देते हैं। आपने माँ के स्नेह के बारे में तो बहतु कुछ पढ़ा होगा परन्तु एक पिता के लाड-प्यार, त्याग व समझौते के बारे में उतनी चर्चा नही होती। क्योंकि औरतों की तुलना, मर्द अपनी भावनाएं ज़ाहिर नहीं कर पाते। लेकिन उनकी हरकतें व हाव-भाव उनके अंदर की भावनाएं खुल कर बयान कर देते हैं। बच्चों को प्यार करने वाले पिता खुद-ब-खुद त्याग, समर्पण और शिशु की सुरक्षा करने लग जाते हैं। ये सब उन्हें सिखाना नहीं पड़ता परन्तु उनके सोये हुए भाव शिशु के जन्म के बाद अपने आप जाग जाते हैं।

 

1. लविंग पिता उनकी पत्नियों को भी शिशु जितना लव करते हैं!

 

 

लविंग पिता अपनी पत्नी को जितना हो सके उतना प्यार करते हैं। वह इसमें कोई बंधन, सीमा या कंडीशन नहीं लगाते। पत्नी को प्यार और इज़्ज़त देने से शिशु भी अपनी माँ को प्यार और इज़्ज़त देगा। घर में प्यार की सुगंध फैलेगी और आपके घर में आने वाले लोगों को भी अच्छा महसूस होगा। अगर आपका तलाक भी हो जाता है तब भी एक सभ्य पिता आपको इज़्ज़त देगा जिससे शिशु का रिश्तों पर विश्वास बढ़ेगा।

2 . लविंग पिता शिशु से बेहद प्यार करते हैं

 

 

एक लविंग पिता शिशु से बिना किसी शर्त, निःस्वार्थ प्यार करता है। वे शिशु से कुछ पाने की चाह में या मतलब से प्यार नहीं करते। वे बस उन्हें ढेर सारा दुनिया भर का प्यार देना चाहते हैं। उनके चेहरे पर मुस्कान देखना चाहतें हैं। वे दिखावा कम करते हैं। बिन बोले प्यार का इज़हार कर देते हैं। वे उनमें कोई बुरी आदत पनप ने नहीं देते।

3. वे समय के साथ परिपक़्व हो जाते हैं

 

हम बात कर रहे हैं मानसिक व भावनात्मक मैचोरिटी की। एक पुरुष जब पिता बनता है तब उसमें उसकी सोई हुई ममता जाग जाती है। वह पहले की तुलना ज़िम्मेदार हो जाता है व ज़िम्मेदारी लेने लगता है। शादी से पहले वह जितना बेपरवाह हुआ करता था उतना ही शिशु के जन्म के बाद गंभीर बन जाता है। बच्चे भी पिता में दोस्त नहीं बल्कि एक गुरु, एक आदर्श ढूँढते हैं। पिता को उनके समक्ष एक रोल-मॉडल प्रस्तुत करना चाहिए जो कि उनको मुसीबत से निकाल सके तथा मुश्किल वक्त में सही सलाह दे सकें।

 

4. शिशु के लिए मौजूद रहते हैं

 

 

एक ज़िम्मेदार पिता अपने शिशु को कम वक्त भले दे लेकिन अच्छा वक्त देगा। शिशु ऐसे पल को याद रखेगा जब उसके पिता ने उसके लिए कुछ ख़ास किया हो। समय की अवधि नहीं बल्कि गुड़वत्ता देखी जाती है। सभी के पास समान 24 घंटे होते हैं लेकिन एक लविंग पिता उन 24 घंटों को ख़ास व अनोखा बना देता है।

 

5. शिशु की ज़रूरत पूरी करते हैं

 

एक लविंग पिता के हाथों से भरपूर दान होता है। वे अपने शिशु की जितनी हो सके उतनी मांगे पूरी करते हैं। पर एक लविंग व ज़िम्मेदार बाप सही-गलत में भेद करके शिशु के लिए जो चीज़ अनिवार्य है उसकी पूर्ती करता है। वे उसकी पसंद का खिलौना दिला तो देते हैं परन्तु इसका मतलब यह नही की वे उन्हें बिना कुछ सोचे समझे दिला दें। वे उन्हें जितनी ज़रूरत है उतना देते हैं और वस्तु/इंसान की कद्र करना भी सिखाते हैं। वे चीज़ों/पैसों /इंसानों/समय/रिश्तों की कीमत शिशु को अपने ढंग में सरल रूप से बताते भी हैं। और वैसे भी पैसा तो हर कोई दे सकता है लेकिन आप अपने कीमती समय व प्यार-दुलार जो शिशु को देंगे वह उन्हें आपका कायल बना देगा।

 

6. शिशु को अनुशासित करते हैं

 

 

बच्चे अनुशासन को पसंद करते हैं बशर्ते उसे सही ढंग से बच्चों पर लगाया जाये। आपने पढ़ा होगा कि बच्चों को लाड-प्यार बिगाड़ देता है। यह गलत नही है। एक लविंग पिता प्यार एक हद तक करता है लेकिन गलत बातों के लिए पहले बच्चों को शांति से समझाता है। अगर फिर भी वे न सुनें तो दंड देता है। लेकिन ज़्यादा कठोर दंड नही देता क्योंकि अपने जिगर के टुकड़े पर वह ज़ुल्म नहीं कर सकता।उसकी पीड़ा देख उसका दिल भी टूट जाता है। इस से बच्चे पिता से थोड़ा डरेंगे। डर होना भी ज़रूरी है नही तो बच्चे चीज़ों को गंभीरता से नहीं लेते।

 

7. बच्चों को पढ़ाते हैं

 

 

पुरुष जितना भी व्यस्त क्यों न हों परन्तु शिशु की ज़िम्मेदारी आने पर वे उनके साथ पुस्तक खोलते हैं और उनका पाठ पढ़ कर उन्हें सरल व रोचक ढंग से पढ़ाते भी हैं। वे कोशिश करते हैं की उनका बच्चा पढ़ाई में रूचि ले और उसे बोझ न समझे। वे बच्चे से इधर-उधर की बात करते-करते हँसते खेलते पाठ पढ़ाते हैं। वे बच्चों को मज़ेदार चुटकुले या उदाहरण देकर पाठ पढ़ाते हैं ताकि उन्हें सब्जेक्ट समझ में आये व ज़्यादा समय तक याद रहे।

 

8. वे बच्चे को आत्म-निर्भर बनाते हैं

 

एक बुद्धिमान पिता बच्चे का पालन-पोषण कुछ इस तरह करता है की वह बड़ा होकर दुनिया में खुद के बलबूते पर कुछ कर दिखाए और अपना व माँ-बाप का नाम रौशन करे। वे उन्हें इस काबिल बनाते हैं ताकि समय आने पर पढ़ाई या नौकरी के लिए वे घर से दूर जाकर स्वतंत्र होकर भी रह सकें।

 

9. पिता शिशु को ज़िम्मेदारी सिखाता है

 

एक आदर्श पिता न केवल प्यार, आराम और ज़रूरतें पूरी करता है परन्तु वह शिशु को उसकी ज़िम्मेदारियों से अवगत कराता है। वह उसे पढ़ाई, समाज, पैसे, भाई-बहनों, रिश्तेदारों, रीति-रिवाजों इत्यादि का महत्त्व बताता है साथ ही उसे ज़िम्मेदारी लेना भी सिखाता है।

 

10. पिता बच्चे को ज़न्दगी से प्यार करना सिखाते हैं

 

मुश्किलें हर एक की ज़िदगी में होती हैं परन्तु कौन उनसे कैसे निपटता है यह उसे आने वाले जीवन में सफल व सुखी बनाता है। एक अक्लमंद पिता बच्चे को बचपन से ही ऐसे ज्ञान देता है जो उसे आने वाली ज़िन्दगी में मदद करें। उसे मुशकिलों से दूर भागने का नही बल्कि उनका सामना करना सिखाएगा।

 

एक पिता द्वारा दी गई सीख बच्चे को एक मधुर वाणी व शांत स्वभाव का इंसान बनने में अपार लाभ देगी। भविष्य में वह अपनी मुस्कान और मधुर संबंधों से जहाँ जायेगा वहाँ खुशियाँ फैलायेगा। इस प्रकार वह एक सफल मनुष्य बनेगा क्योंकि जिस व्यक्ति ने ज़िन्दगी में मुसीबतों से हंस कर सामना सीख लिया उसने सब कुछ पा लिया।

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