4 May 2018 | 1 min Read
Preeti Athri
Author | 117 Articles
वो तंग आ चुकी थी, और आईने में खुद को देख कर और भी निराश हो गयी थी | आँखों के नीचे छायी हुई काली रेखाएं और फीकी पड़ी त्वचा से वो अपनी आयु से 10 साल बड़ी लगने लगी थी | तभी अचानक से बाथरूम के दरवाज़े पर ज़ोर से आवाज़ होती है | उसकी दो वर्ष की बेटी चीखते हुए बोलती है “माँ, बाहर आओ“| पर वो कोई जवाब नहीं देती है | वो अपने शरीर को निराशा भरी दृष्टि से देखती है, खिचाव के निशान से भरे अपने ढीले पेट को देखती तो कभी अपने ढीले पड़े स्तनों को देखते हुए आह भरती है |
कुछ दिन पहले ही उसने एक वेबसाइट से एक बड़ी प्यारी सी काले रंग की ड्रेस मंगवाई थी, पर वो उसे उस तरह फिट नहीं आयी जैसे उसने सोचा था | अब वो ड्रेस फर्श पर उसके आत्मविश्वास के साथ पड़ी हुई थी | उसे ऐसा लग रहा था मानो उसके जीवन में कुछ भी सही नहीं हो रहा था | उसने अपने निचले होंठ काटते हुए एक बार फिर आईने में देखा |
उसकी परछाई उस पर हँस रही थी, कहकहे लगा रही थी | उसने गुस्से से कहा “यहाँ कोई मज़ाक चल रहा है ?” परछाई ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया “तुम्हे पता है तुम सोचती बहुत ज़्यादा हो ? इस समय इतना सब कुछ चल रहा है, तुम्हे शान्ति से आराम करने की ज़रुरत है | एक चक्कर चला लो, तुम्हे बहुत फायदा होगा और तुम्हारा जीवन सफल हो जाएगा |
पलके फड़फड़ाती हुई वो बोली “क्या ? तुम्हारा दिमाग तो ठीक है ? क्या बोल रही हो तुम ?” परछाई ने शान्ति से उत्तर दिया “और नहीं तो क्या ! तुम्हारी ज़िन्दगी में बदलाव की ज़रुरत है और एक प्रेम प्रसंद ही तुम्हारा जीवन संवार सकता है | और हाँ, मैं किसी को जानती हूँ जो तुम्हारे साथ होने के लिए तबसे इंतज़ार कर रहा है |”
उसने अनायास ही अपने दफ्तर में काम करने वाले खूबसूरत पुरुषों के चित्र को अपने दिमाग से निकालते हुए पुछा “हैं? कौन ?”
परछाई ने बोलना ज़ारी रखा | “हैं एक व्यक्ति जिसे चित्रकारी, संगीत, बारिश में चाय बहुत पसंद है, जो काफी मज़ाकिया है, आशावादी है, और सबसे बड़ी बात कि वो तुम्हे जानता है और तुम्हारा काफी सम्मान करता है |
“अच्छा अब बता भी दो ” | उसने फिर हठ दिखाया, उत्सुकता अब गले तक आ गयी थी |
परछाई ने चिढ़ाते हुए कहा “लगता है कोई बहुत ही उत्सुक है , है ना? तो ध्यान से सुनो, वो व्यक्ति तुम हो प्रिये, तुम” |
उसने कुछ कहने के लिए मुँह खोला पर रुक गयी, जैसे कि जो उसने सुना उसका मतलब निकालने की कोशिश कर रही थी |
परछाई ने आगे कहा ” हाँ प्रिये, तुम | तुम्हारा वो हिस्सा कहीं तुम्हारी अस्थिरता और अपर्याप्तता की गहरायी में दबा हुआ है | तुम्हे स्वयं से दिल लगाने की ज़रुरत है ” |
मतलब समझ आने पर उसने कहा “पर… मैं मैं ही तो हूँ” |
परछाई ने सर हिलाते हुए कहा “तुम्हे यकीन है? क्यूंकि मैं तो किसी और को देखती हूँ | एक नारी जो कि जी तोड़ कोशिश कर रही है एक सबसे अच्छी माँ बनने कि, एक आदर्श पत्नी बनने कि, एक गृहणी, एक देवी बनने कि | मैं उसे हर बार स्वयं को अंत में रखते हुए देखती हूँ और सबकी खुश रखने की कोशिश करते हुए देखती हूँ, और जब वो नहीं कर पाती तो स्वयं को दोष देती है | तब वो अंदर से टूट जाती है और बीमार रहने लगती है ” |
वो सिर्फ देखती रही, तो परछाई ने आगे कहा ” एक आईडिया है,एक काम करो तुम अपनी वैलेंटाइन खुद बन जाओ | अपनी हॉब्बीस के साथ घूमने जाओ, जो भी मन करता हो करो |खुद की तारीफ करो जब भी कुछ अच्छा करती हो तो | अपने लिए समय निकालो, सेहत का ख्याल रखो, कभी दिन ख़राब जाए तो खुद को ही गले से लगा लो | खूब हसो, मस्ती करो, कोई मौका ना जाने दो | अपनी तारीफ करो, तुमने एक जीवन का निर्माण किया है, उसे इस संसार में लायी हो | एक कमाल की ड्रेस पहनो, सिर्फ अपने लिए | सबसे बड़ी बात है कि यह समय का उपहार खुद को दो, खुद से मिलो, भले ही थोड़े समय के लिए हो पर करो ज़रूर | यह राज़ सिर्फ तुम तक ही रहेगा |
उसकी आँखों में आंसू आ गए, और उसने पुछा “क्या यह स्वार्थ नहीं हुआ? “|
परछाई की आवाज़ हलकी हो गयी, “प्रिये, एक माँ या पत्नी होना तुम्हारे जीवन का हिस्सा है, वो तुम्हारा पूरा जीवन नहीं है | और क्या तुमने यह कहावत नहीं सुनी कि जब आप खुद से प्यार करेंगे तभी और लोग भी आपको प्यार करते हैं ? खुद से प्यार करो, बाकी सब कुछ अपनी जगह ठीक रहेगा |
उसका चेहरा चमक उठा था, एक लम्बी सी मुस्कान देकर बोली “मुझे लगता है मैं यह रिश्ता बनाना चाहूंगी “|
परछाई ने मुस्कुरा कर कहा “सही फैसला लिया तुमने ” |
तब तक दरवाज़ा और ज़ोर से खटखटाने की आवाज़ आयी “माँ, बाहर आओ ” | उसने जवाब दिया “आयी बेटा“, उसका आत्मविश्वास वापस आ चूका था |
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