लड़की भगवान् का वरदान होती है

लड़की भगवान् का वरदान होती है

7 May 2018 | 1 min Read

Moneet Kaur

Author | 8 Articles

एक बच्चे की माँ बनना सबसे खूबसूरत एहसास होता है | कुछ लोगों के जीवन का यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पड़ाव होता है, या दो लोगों के बीच सांझी ख़ुशी का अवसर या एक उपलब्धि का एहसास भी हो सकता है और उसपर मैं बाद में बात करुँगी पर यह एक बहुत ही खूबसूरत और भावपूर्ण सफर है | मैं एक 15 महीने की बच्ची की माँ हूँ और अपने बच्चे को टूट कर प्यार करती हूँ | पर एक बात मैं कहना चाहूंगी कि यह प्रेमपूर्ण एहसास समय के साथ मेरे मन में आया था और अब मैं उसके साथ बीते समय का बहुत ही आनंद लेती हूँ क्यूंकि पहले मैं उसकी दैनिक क्रियाओं में ही उलझी रहती थी और समय कब बीत जाता था पता ही नहीं चलता था |

 

जिस दिन मेरी बेटी पैदा हुई थी, सब कुछ इतना नया था और मैं इतना खो गयी थी क्योंकि मैं अपने भीतर और आसपास होने वाले नए शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों का सामना नहीं कर पा रही थी । मुझे हैरत होती थी कि क्या यह केवल मुझे ही ऐसा लग रहा है या फिर सभी नई माताओं को ऐसी असुरक्षा महसूस होती है।

 

मैंने ‘जापस’ नामक पूर्णकालिक सहायता के लिए योजना बनाई थी (वे ज्यादातर भारत के पूर्वी हिस्से में उपलब्ध हैं, जो नए पैदा हुए बच्चे और मां को संभालने के लिए प्रशिक्षित हैं)। वह मुझे और बच्चे को देखने के लिए अस्पताल में मुझसे मिलने आई थी, और अगले कुछ महीनों तक हमारी देखभाल करने वाली थी । उसने कमरे में घुसते ही रोना और चिल्लाना शुरू कर दिया और जब तक मैं सोच पाती कि इसके पीछे कारण क्या है तब तक उसने अपना मुंह खोला और कहा, ‘हे भगवान्, हमने तो लड़का माँगा था यह क्या हो गया ।

 

मेरे ससुराल वालों ने भी यह देखा और उस दौरान मेरा पूरा साथ दिया | शायद में भाग्यशाली हूँ कि इतना साथ देने वाले सास ससुर मुझे मिले और बच्चे के लिंग से उन्हें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता था | इसका उल्टा मेरी सास तो बहुत ही खुश थीं क्यूंकि उन्हें लड़की ही चाहिए थी | पर इन सब के बीच मैं सोच में पड़ गयी थी कि क्या यह वाकया सच में हुआ था ? मैं चाहती तो उसे धक्के मार के वहां से निकाल सकती थी, डाँट सकती थी, और कुछ भी कह सकती थी पर मुझे सबसे अधिक अफ़सोस इस बात का है कि मैं उसकी और उसके जैसी सोच रखने वालों कि सोच नहीं बदल पायी |

 

दुर्भाग्य से यह समस्या सिर्फ उसके जैसे अनपढ़ लोगों की ही नहीं है | ऐसी मानसिकता लोग स्वयं के लिए पालते हैं और बच्चों को भी विरासत में दे कर जाते हैं ताकि वह भी बड़े होकर ऐसे ही करें | दुर्भाग्य कि बात हैं पर इससे बेहतर समरूप उदहारण मैं नहीं दे सकती कि जिस तरह गोरी चमड़ी के प्रति अथाह प्यार इस देश में ख़त्म नहीं हो सकता उसी प्रकार नर बच्चे कि आकांक्षा भी कभी मर नहीं सकती | कोई कितना भी समानता कि बात कर ले पर यह बात नहीं बदलने वाली हैं | मैंने कई ऐसे उदहारण देखे हैं जिसमे लोग सिर्फ एक बच्चे से ही खुश हैं यदि वह बच्चा लड़का हो या फिर दुसरे बच्चे के लिए बहुत देर कर चुके हैं |

 

मैं स्वयं और परिवार के लिए खुश थी और कभी भी दूसरों के दृष्टिकोण से चीजों को नहीं देखती थी

 

हमारे देश के कुछ क्षेत्रों में नर बच्चा पैदा होना लोगों के जीवन का पूरक माना जाता है | मैंने कई बार अपने मित्रों से इस बारें में बात की है पर उन्होंने कहा कि ऐसे लोग भी होते हैं पर मैं इस बारे में कुछ नहीं कर सकती | अगर मैं अपनी बेटी को बराबर का दर्जा देकर भी बड़ा करुँगी तो भी वह एक ऐसे समाज का हिस्सा रहेगी जो उससे अलग सोचता है |  समाज हम सब को मिल कर बनता है और हम ही बनाते हैं उसे पर हम सिर्फ कुछ और लोगों के ऊपर सारा दोष मढ़ देते हैं और अपने आप को साफ़ बचा ले जाते हैं | मैंने अपने कुछ नर मित्रों और रिश्तेदारों को मजबूर हो कर बताते देखा हैं कि उन पर परिवार का काफी दबाव हैं कि वो नर बच्चा ही पैदा करें | तब मैं सोच में पड़ जाती हूँ उन्होंने इस बात को रोकने और पलट कर जवाब देने कि कोई कोशिश कि भी या नहीं |

 

मैं ईमानदारी से कामना करती  हूं और उम्मीद करती हूं कि मेरी बेटी ऐसे समाज में पले बढ़े जो की ज़िन्दगी का जश्न मनाता हो और की पैदा हुए बच्चे के लिंग का |

 

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यह आलेख Blog -a – thon के लिए एक प्रविष्टि है।

 

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