किसी भी माँ से पूछिए कि बच्चे को पालने में सबसे बड़ी तकलीफ कौन सी होती है तो कई मामलों में सीधा सीधा जवाब मिलेगा कि – बच्चे को ढंग से खाना खिलाना | माएँ हमेशा परेशां रहती हैं, कभी बच्चा खाना नहीं खाता है, कभी ठीक से नहीं खाता है, कभी फ़ालतू चीज़ें खाता है, या कभी बहुत ही धीरे खाता है, ऐसी अंतहीन समस्याएं हैं | सैकड़ों माओं को देखने के बाद और अपने अनुभव से हमने कुछ तरकीबें निकाली जिससे बच्चों को बचपन से ही ठीक से खाना खाने का प्रशिक्षण दिया जा सकता है | यह खाने की अच्छी आदतें जीवन भर काम आएंगी |
तो अपना धैर्य का चोंगा लगाइये और सख्ती से इन बातों को पालन एक या दो हफ़्तों तक कीजिये और बच्चे की खाने की आदतों में नाटकीय बदलाव देखने को मिलेगा :
- भोजन के दौरान बच्चे कम से कम सभी प्रमुख भोजन के लिए आपके साथ या परिवार के सदस्यों के साथ बैठें।
- यदि बच्चा चाहें तो बच्चे को अपने आप खाने दें, भले ही यह थोड़ा गन्दा हो। समय के साथ, वह हर किसी को देख कर और कुछ अभ्यास के साथ ठीक से खाना सीखेंगे। धैर्य रखें।
- बच्चे को दो बार खाने के लिए पूछें। यदि वह बार-बार मना कर देता है, तो उसे खाने के लिए मजबूर न करें या ना ही उसे ज़बरदस्ती खिलाएं । बस उसे जाने दें । आखिरकार, जब बच्चा 1-2 घंटे के बाद भूख महसूस करता है और भोजन की मांग करता है, तो उसी भोजन को सामने रखें जिसे आपने पहले दिया था। यह बच्चे को प्रशिक्षित करता है कि घर से भोजन से बचा नहीं जा सकता है। इस पूरे प्रकरण में चिप्स / क्रैकर्स / बिस्कुट / कुकीज़ / ब्रेड / तत्काल नूडल्स इत्यादि के साथ भोजन को प्रतिस्थापित न करें। यह बेहद महत्वपूर्ण है। बच्चा दो बार भोजन के लिए नखरे नौटंकी सकता है, लेकिन एक सप्ताह के भीतर अवश्य ही वह परिवार के साथ, घर पर बनाये हुए हर भोजन को खाना सीख लेगा
- जब आप बच्चे के साथ सख्त होते हैं तो अन्य परिवार के सदस्यों, विशेष रूप से दादा दादी से सहयोग करने के लिए कहें । बच्चे के लिए उनके प्यार को उसकी खाने की आदतों को खराब करने की गलत दिशा में नहीं जाना चाहिए ।
- खाना खिलने के लिए बच्चे के पीछे पीछे ना भागें | इससे बच्चा यह सीख जाता है कि दिन में चार बार 15 मिनट में खाना खा लेना एक घंटे में खाने से बेहतर है |
- सुनिश्चित करें कि सप्ताहांत को छोड़कर, कोई भी बच्चे को आइस क्रीम, कोला, क्रीम बिस्कुट, कुकीज़, तत्काल नूडल्स, चॉकलेट और कोई भी अन्य जंक फूड ना दे ।
- सुनिश्चित करें कि ये जंक फूड बच्चे के लिए ‘विशेष उपहार’ हैं और सप्ताह के बाद अच्छी खाने की आदतों के लिए इनाम के रूप में दिए जाते हैं। इसके अलावा कभी भी जंक फ़ूड को भोजन का विकल्प ना बनाएं । यह भोजन के अलावा अलग से देना चाहिए ठीक से खाना खाने के इनाम की तरह |
इन्हें आजमाएं और बताएं कि यह कितना कारगर साबित हुआ है |
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