10 May 2018 | 1 min Read
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बच्चा जब छोटा होता है तब वह समय माता पिता के लिए बड़ा ही कठिन होता है | आपका बच्चा अब बच्चा नहीं रह जाता, उसके पास बहुत सी चीज़ों के बारे में राय होती है, वो बड़ों की तरह दिखना चाहता है, विद्रोही होने के संकेत देता है पर फिर भी है वह बच्चा ही | एक बच्चे को सँभालने में धैर्य और मदद दोनों की ज़रुरत है | यहाँ बच्चों के कुछ कठिन सवाल दिए गए हैं जिनके जवाब अनुभवी माँओं द्वारा दिए गए हैं |
प्र. मैंने अपने दोनों जुड़वाँ बच्चों को स्तनपान करवाना बंद कर दिया है क्यूंकि अब वो डेढ़ वर्ष के हो गए हैं | पर मेरी समस्या यह है कि दोनों देर रात को उठ जाते हैं और खूब रोते हैं | वो कुछ भी नहीं लेते, मैंने गाय का दूध, पानी और कुछ ठोस खाद्य पदार्थ देने की कोशिश की पर दोनों ने खाने से मन कर दिया | कृपया बताएं कि सोने से पहले उन्हें क्या दूँ ?
उ. डॉक्टर गोरिका बंसल : 13 से 18 महीने की आयु में बच्चों के दाढ़ निकलना शुरू हो जाती है जो की दर्द करते हैं, खासकर रात में | यह एक वजह हो सकती है | आशा करती हूँ कि उनका वज़न पर्याप्त है और वो खाना ठीक से कहते हैं क्यूंकि खाली पेट रहने से वो परेशां हो सकते हैं | ज़बस्दस्ती मत खिलाया करें | उन्हें भाँती भांति का भोजन दीजिये, रंग बिरंगा, उँगलियों से खा सकने वाला ताकि वो खुद भी खा सकें | दोनों के सोने का समय निर्धारित कर दीजिये, बच्चों को एक ही निर्धारित समय बहुत अच्छा लगता है कुछ भी करने के लिए | जब वो हल्की नींद में हों और हिलने डुलने लग जाएँ तो उन्हें थपथपाइए या फिर लोरी सुनाइए जिससे उन्हें बहुत शांति मिलती है और वो गहरी नींद में चले जाते हैं | एक और तरीका है जिसे फ़रबर मेथड कहते हैं जिसके अनुसार आप बच्चे के रोने के एक मिनट बाद उस पर ध्यान दीजिये ताकि वो खुद को शांत करना सीख जाएँ | आशा है कि इससे आपको मदद मिलेगी |
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प्र. नेहा विज – बच्चे को शौच के लिए आसानी से प्रशिक्षण कैसे दूँ ? मेरी बच्ची तो टॉयलेट सीट पर बैठने से साफ़ मना कर देती है और ज़ोर देने पर दहाड़ें मार कर रोने लग जाती है | मदद कीजिये |
उ. मेरी शुरुआत इस तरह से हुई थी – जब मेरे बेटा एक वर्ष का था तब वो डायपर में काफी असहज महसूस करता था | वो शौच लरॉक के रखता था और डायपर में नहीं करता था | जब मैं उसे शौचालय ले जाती थी तो शुरू में खूब रोता था और वहां भी शौच नहीं करता था | तब मैंने दृढ़ता से निश्चय किया कि उसे प्रशिक्षण देकर ही रहूंगी | मैंने घर पर उसे एक हफ्ता डायपर के बिना रखा और दिन भर उस पर नज़र रखती थी उसके इशारों के लिए | जब वो अपने लेग्गिंग्स में करना शुरू कर देता था तब मैं जल्दी से उसे शौचालय ले जाती थी और उसे उसी अवस्था में वयस्कों की सीट पर पकड़े रहती थी | 10 दिन के भीतर वो सहज महसूस करने लगा था | पर हाँ, जब तक बच्चा चलने या बोलने नहीं लग जाता तब तक आपको सावधान रहना पड़ेगा और उसके इशारों पर ध्यान रखना होगा, साथ ही बहुत तेज़ भी होने पड़ेगा | फिर 13 महीने की आयु में उसने चलना शुरू किया और शौच के इशारों के साथ दौड़ कर मेरे पास आने लगा | धीरे धीरे वो सहज हो गया | पर हर समय ऐसा नहीं था | कभी कभी मैं उसके इशारे नहीं देख पाती थी, कभी वो करने सेके बाद बताता था पर मैं हमेशा उससे कहती थी कि उसे मुझे बताना ही पड़ेगा जब भी उसे शौच की ज़रुरत होगी या फिर उसे शौचालय में ही करना होगा | धीरे धीरे यह उसके मन में बैठ गया | फिर उसने बोलना शुरू किया और शौच जाने के लिए कू कू की आवाज़ निकालने लगा | तो हम दौड़ कर शौचालय ले जाते थे | और जब हम देर कर देते थे तो वह बड़ा असहज हो जाता था |आज डेढ़ वर्ष की आयु में वो पूरी तरह प्रशिक्षित है और उसे पता है कि उसे सुसु और पॉटी के लिए शौचालय ही जाना होगा और हमें बताये जब भी उसे मन कर रहा हो |
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प्रश्न: मेरा लड़का बातें बहुत जल्दी पकड़ता है । हम ध्यान रखते हैं कि उसके सामने क्या बात करनी है, लेकिन जब वह बाहर खेलता है या नए लोगों से मिलता है तो हम उस समयकाल को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। हाल ही में जब हम उसे डांट रहे थे, तो उसने कहा कि “आप चाहते हो मैं मर जाऊँ ? मैं मर जाऊँगा “| मैंने उससे बात करने की कोशिश की इन बातों ने उस पर प्रभाव डाला है | इसे कैसे संभाला जाए?
उ. आशा चौधरी – हर कोई इस दौर से गुज़र चूका है | सबसे अच्छी बात यह होगी कि आप उसे बैठा कर समझाएं और सही और गलत में फर्क करना सिखाएं | उसके बाद आपको इसे नज़रअंदाज़ कर देना चाहिए | जब आप तुरंत प्रतिक्रिया देंगे तो बच्चे को यह सब करने का प्रोत्साहन मिलता है | आप उसे एक बार समझा दें कि इस तरह की भाषा से आपको चोट पहुँचती है और आपको दुःख होता है और यदि वो फिर भी इस तरह बोलता है तो कोई प्रतिक्रिया मत दीजिये पर एक इशारा ज़रूर दे दीजिये कि आप उससे खुश नहीं हैं | बिना बताये चुप मत होइए | उसको बताइये कि इस तरह की हरकतें करने पर उससे बात नहीं की जाएगी | पर यह करते समय आपको सभ्य और रचनात्मक होना होगा | यह भी जानने की कोशिश कीजिये कि वो यह सब कहाँ से सीख रहा है, टीवी से या फिर दुसरे बच्चों से | उसका ध्यान बटाने की कोशिश कीजिये चाहे खेल कूद से या फिर कुछ कलात्मत्क गतिविधियों से जहाँ पर पूरी तरह से तल्लीन होकर कुछ नया सीखेगा और ऐसे तकिया क़लम वाले मुहावरे भूल जायेगा | मेरा भतीजा 3 साल का था जब उसने चौकीदार के हमउम्र बच्चे से कुछ देसी गालियां सीखीं थी | बहुत ही शर्म आती थी जब वो अपने नाना के दफ्तर जाता था और उलटी सीधी गालियां बकता रहता था |
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प्रश्न: नमस्ते, मेरे बच्चे को मेरे और उसके पिता को छोड़कर दूसरों के सामने काफी शर्म आती है। आम तौर पर वह मेरी उपस्थिति में घर पर बहुत कुछ बोलता है लेकिन दूसरों से सामने कुछ भी नहीं बोलता और गूंगा हो जाता है। स्कूल में भी यही कहानी है। कृपया मेरी मदद करें।
उ. ऋचा चौधरी – इसमें तो कुछ भी गलत नहीं है | बस, स्कूल के बाद बच्चे को अपने दोस्तों से मिलवाइए और उनके साथ खेलने के लिए पार्क ले जाइये | बच्चे को थोड़ा खुला छोड़िये और देखिये कि उसका मन किस्मे लगता है या उसे क्या पसंद है | धीरे धीरे बच्चे एक दुसरे के साथ घुलमिल जायेंगे तो उन्हें अपने घर बुलाइये ताकि आपका बच्चा खेल भी सके और साथ ही साथ सहज भी महसूस कर सके |
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