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बच्चे को उसकी मातृभाषा सीखने कितनी ज़रूरी है?

बच्चे को उसकी मातृभाषा सीखने कितनी ज़रूरी है?

28 May 2018 | 1 min Read

आपको याद है आपने बचपन में सबसे पहले किस भाषा में बात की थी? याद तो नहीं होगा लेकिन यकीनन वो आपकी मातृभाषा रही होगी। वैसे मातृभाषा से मतलब अगर आप हिंदी समझते हैं, तो आप ग़लत हैं. मातृभाषा वो भाषा हुई, जो आपके परिवार में बोली जाती है या जिसे आपका बच्चा सबसे पहले सीखता है. उस हिसाब से आपकी मातृभाषा पंजाबी, गुजराती, मराठी या फिर बांग्ला, तमिल हो सकती है.

 

मेरी मातृभाषा भी हिंदी थी, हालांकि मैंने धीरे-धीरे अंग्रेज़ी और गुजराती भी सीख ली. हालांकि मेरी पहली भाषा हमेशा हिंदी ही रही. भले ही मैं अच्छे से ही अंग्रेज़ी बोल और लिख सकती हूं लेकिन अब बी काफ़ी मामलों में हिंदी बेहतर समझती हूं. इसीलिए जब मेरी बेटी हुई, तो मैंने उसे जन्म से ही अंग्रेज़ी सिखानी शुरू की. बड़े होते-होते वो अंग्रेज़ी में ही समझने-बोलने लगी. हालांकि इससे एक प्रॉब्लम ये हुई कि उसे हिंदी बोलने में दिक्कत होती थी. कई बार वो कुछ Sentences बनाने में असमर्थ महसूस करती थी. उसके लिए उसकी प्रथम भाषा य कहें मातृभाषा अंग्रेज़ी ही है. इस वजह से वो हिंदी में न ही अपने दादा-दादी से बात कर पाती थी न ही और बच्चों से.

 

मैं चाहती थी कि वो अंग्रेज़ी सीखे लेकिन इस कीमत पर नहीं कि उसे हिंदी बोलने में इतनी दिक्कत हो जाए. इसलिए मैंने उसे धीरे-धीरे हिंदी सिखानी शुरू की. 2 साल बाद अब वो हिंदी लिख, पढ़ और बोल सकती है. भले ही ये ये उतनी अच्छी न हो लेकिन वो सीख रही है. वो अब गुजराती-मराठी जैसी भाषाएं भी सीख रही है.

 

एक महीने पहले मैंने मातृभाषा से जुड़ा एक आर्टिकल पढ़ा था, जिसमें बच्चों को अपनी भाषा सिखाने पर ज़ोर दिया गया था. इस सब्जेक्ट पर और पढ़ने पर कई जगह मातृभाषा को बच्चे के विकास के लिए ज़रूरी बताया गया है. अपनी भाषा में वो अपनी बात बेहतर ढंग से कह और समझ सकता है. ऐसे और कई फ़ायदे मैं आपसे भी साझा कर रही हूं:

 

  • अपनी भाषा में बच्चा ज़्यादा बेहतर समझता है.
  • अपनी भाषा से जुडी बाकि भाषाएं भी वो जल्दी सीखता है. जैसे हिंदी भाषा मारवाड़ी और गुजराती जल्दी सीखते हैं.
  • वो अपनी भाषा में बेहतर तरीके से कम्यूनिकेट कर पाएगी।
  • क्यूंकि इस भाषा में उसकी आस-पास के सभी लोग बात करते हैं, इसलिए वो सामाजिक बन सकती है.
  • कई लोगों का ये भी मानना है कि अपनी मां के पेट में ही बच्चा अपनी भाषा सीख लेता है और कई बड़े लेखकों ने अपनी भाषा में ही अच्छा काम किया है.
  • आप अपनी भाषा के व्याकरण और बाकी पहलुओं से अच्छी तरह वाकिफ़ होते हैं, इसलिए किसी भाषा को अच्छे से सीख सकते हैं.

 

भाषा से जुड़े उन आर्टिकल्स को पढ़ने के बाद मैंने भी सोच कि  मुझे अपनी बेटी को हिंदी पहले सिखानी चाहिए थी. वो भी मेरी ही तरह पहले अपनी भाषा सीखती और अपनी भाषा की मदद से बाकी भाषाएं। इसलिए क्षेत्रीय भाषाओं में सिखाना बेहतर होता है. कई बड़े लेखकों ने अंग्रेज़ी में अच्छा काम किया है, जबकि अंग्रेज़ी उनकी पहली भाषा नहीं थी.

 

वो माँ-बाप, जो ये सोचते हैं कि बच्चे अंग्रेज़ी स्कूल्ज़ में पढ़ते हैं, इसलिए उन्हें पहले अंग्रेज़ी सिखाई जानी चाहिए, उनके लिए एक सुझाव। उन्हें अंग्रेज़ी सिखाने के चक्कर में अपनी नींद न खराब करें। और उन्हें पहले ही दिन से ज़बरदस्ती ये भाषा न सिखाएं। समय के साथ वो धीरे-धीरे पिक करे लेंगे।

 

अब वो पेरेंट्स, जिन्होंने अपने बच्चे को पहले ही दिन से अंग्रेज़ी सिखाने शुरू कर दी है… ये न सोचें कि आपने कोई ग़लती है. ऐसी कोई रिसर्च नहीं है, जो कहती है कि ऐसा करना ग़लत है. या ऐसे बच्चे बाकी भाषा नहीं सीख पाएंगे।

 

बस ध्यान रखें कि आपका बच्चा सही तरह से पढ़े-लिखे!

 

#mothertongue #firstlanguage #hindi #balvikas

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