क्योंकि बच्चों को कब्ज़ की शिकायत कभी न कभी हो जाती है, इसलिए उसके ट्रीटमेंट घर पर ही करने के तरीके भी जान लें.
छोटे बच्चे अपनी प्रॉब्लम उस तरह से ज़ाहिर नहीं कर पाते, जैसे बड़े कर सकते हैं. पेट की गड़बड़ को बच्चा रो कर या चिढ़ कर ही ज़ाहिर कर सकता है. माँ-बाप को ऐसे संकेतों की तरफ़ ध्यान देने की भी ज़रूरत है, ताकि वो बच्चे की परेशानी को पकड़ सकें।
बच्चों को कब्ज़ क्यों होती है?
बड़ों से अलग, बच्चों में कब्ज़ की प्रॉब्लम सिर्फ़ ये नहीं होती कि वो दिन में कितनी बार टॉयलेट जा रहे हैं, बल्कि ये भी कि उन्हें मोशन में दिक्कत हो रही है. अगर बच्चे का स्टूल (मल) सॉफ़्ट है, तो ये नॉर्मल माना जाता है. जब बच्चा सिर्फ़ माँ के दूध पर निर्भर रहता है, तो कई दफ़ा वो दूध में मौजूद सारे पोषक तत्वों को सोख लेता है. इसलिए ऐसा मुमकिन है कि वो हफ़्ते में सिर्फ़ एक ही बार स्टूल पास करे. क्योंकि वो रोज़ाना पॉटी नहीं कर रहे, इसलिए उनका मल हार्ड होने के भी चांस रहते हैं.
एकआध केस में भी बच्चों को कब्ज़ होती है. ये किसी खाने की एलर्जी की वजह से, दूध से प्रॉब्लम की वजह से, फ़ॉर्मूला फीड़िंग की वजह से, पाचन तंत्र कमज़ोर होने की वजह से भी होता है.
बच्चों में कब्ज़ के सबसे प्रमुख लक्षण क्या हैं?
इन लक्षणों के अलावा, आप कब्ज़ के इन Signs को भी नज़रअंदाज़ न करें:
बच्चों की कब्ज़ का घरेलु इलाज कैसे करें:
कब्ज़ का इलाज ये देसी चीज़ें आराम से करती हैं,
पानी/ जूस: कब्ज़ को ठीक करने के लिए बॉडी में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। इसलिए बच्चे को पानी दें. इसके अलावा अगर वो 6 महीने से कम का है, तो माँ का दूध, 6 माह से ज़्यादा के बच्चे को प्रून या नाशपाती का जूस. 1 साल के बच्चे को ख़ूब जूस और तरल पदार्थ दें. बच्चा 6 महीने से कम का है, तो डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं कि दूध के अलावा कुछ और दिया जा सकता है या नहीं।
सॉलिड फ़ूड: कब्ज़ दूर करने में फाइबर बहुत उपयोगी साबित होता है, इसलिए उसके खाने में ज़्यादा से ज़्यादा फाइबर शामिल करें। इन चीज़ों में होता है फाइबर:
प्यूरी भी लाभदायक है:
कब्ज़ ठीक करने के लिए बिना डॉक्टर के परामर्श के बच्चे को पेट चलाने की कोई भी दवा (Laxative) न दें. अगर उसकी कब्ज़ ज़्यादा दिनों तक रहती है, या ख़ून आता है, उल्टी, सूजन जैसे लक्षण रहें, तो फ़ौरन अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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