15 Jun 2018 | 1 min Read
Medically reviewed by
Author | Articles
बच्चे के जन्म के 6 महीने के बाद ज़्यादातर माँ काम शुरू कर देती हैं. इस समय तक बच्चा भले ही सॉलिड्स लेने लगता है, लेकिन वो काफ़ी हद तक माँ के दूध पर निर्भर रहता है. क़ायदे से बच्चे के दो साल का होने तक माँ को उसे दूध पिलाना चाहिए, जिसका मतलब है कि उसे अपनी सेहत और डाइट का ध्यान भी रखना होगा।
बच्चे के जन्म के बाद ऑफ़िस वापस जॉइन करना किसी भी माँ के लिए मुश्किल भरा हो सकता है. इतने महीने काम से दूर आपका सारा ध्यान बच्चे पर होता है, ऐसे में उस टाइम को ऑफ़िस में बाँटना किसी के लिए भी मुश्किल होगा। इस वजह से कई माँ अपनी सेहत की अनदेखी कर देती हैं, खाने का हिसाब बिगड़ लेती हैं. वो बच्चे के लिए कोई कमी-पेशी नहीं करना चाहती लेकिन ख़ुद को नज़रअंदाज़ कर देती हैं. ये ग़लत है, सिर्फ़ आपके लिए नहीं, आपके बच्चे के लिए भी.
काम और बच्चे के साथ अपनी हेल्थ को ऐसे बैलेंस करें:
किचन में काम के लिए किसी की मदद लें. वो कोई भी हो सकता है, घर का सदस्य या कोई हेल्प।
घर में राशन, फल, सब्ज़ी, हेल्दी स्नैक्स स्टॉक कर लें.
छोटे-छोटे मील्स लें, ताकि आप हर दो घंटे में कुछ खा रही हों.
लिक्विड डाइट भी जारी रखें। नारियल पानी, जूस, लस्सी, सूप अच्छी मात्रा में पीती रहें। ये जल्दी बन जाते हैं, शरीर में दूध की मात्रा कम नहीं होने देते और एनर्जी भी.
भूख लगने पर फ्राइड की जगह फल या हेल्दी स्नैक लें.
ध्यान रहे कि आपकी थाली संतुलित हो. उसमें अनाज हो, दालें, सब्ज़ियाँ, दही वगैरह की सही मात्रा हो.
हम जानते हैं एक माँ का शेड्यूल कितना टाइट होता है, लेकिन दिन भर में थोड़ा टाइम अपने लिए निकालें। बच्चे के साथ वाक पर निकलें। आप ऐसे में अपनी सेहत पर भी ध्यान दे पाएंगी, उसके साथ टाइम भी बिता पाएंगी।
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.