6 Jul 2018 | 1 min Read
Dr Hemlata Hardasani
Author | 5 Articles
गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं को सूजन की शिकायत रहती है. दरअसल महिलाओं का शरीर प्रेगनेंसी के दौरान 50 परसेंट से ज़्यादा फ्लूड बनाता है. ये द्रव्य बढ़ते भ्रूण की ज़रूरतें पूरी करने के लिए बनता है. शरीर में फैलकर के बच्चे के लिए भी एक तरह का Cushion बनाता है. महिलाओं में इस दौरान बढ़े वज़न का 25 प्रतिशत इस Fluid की देन है.
प्रेगनेंसी में पैर क्यों सूजते हैं?
इस दौरान गर्भाशय का साइज़ बढ़ने लगता है और इसकी वजह से पेल्विक मसल्स पर दबाव बढ़ता है. ये दबाव Vena Cava (शरीर के निचले भाग से ख़ून ले जाने वाली सबसे बड़ी नस) पर भी पड़ता है. इस प्रेशर की वजह से बाकी ख़ून दिल तक पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुँचता और जमा होने लगता है. और इसी कारण नसों का फ्लूड पैरों और एड़ियों तक पहुँच जाता है. प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही में महिलाएँ सूजन की शिकार होती हैं. ये सूजन तब और ज़्यादा होने लगती है, जब माँ के पेट में ट्विन्स होते हैं या उसके शरीर में एमनीओटिक फ़्लूड ज़्यादा होता है.
डिलीवरी के तुरंत बाद ही स्वेलिंग कम हो जाती है, क्योंकि नसों में बसा फ़्लूड कम हो जाता है, इसलिए इसे लेकर चिंता न करें।
सूजन को लेकर कब चिंतित होना चाहिए?
गर्भावस्था में सूजन नॉर्मल है लेकिन ये चिंता का कारण तब बनती है, जब:
चेहरे पर भी सूजन आ जाये
आँखों के नीचे सूजन हो
पैरों में एकदम से सूजन हो जाए
एक पैर ज़्यादा सूजने लगे
ऐसी कंडीशन में डॉक्टर से संपर्क करें, ये ख़ून का थक्का हो सकता है.
सूजन दूर या कम करने के उपाए
दबाव कम करने के लिए एक तरफ़ा सोएं
पैरों का स्तर आपके दिल जितना हो. काम करते हुए या बैठते हुए कोई स्टूल या तकिया रखें।
पैरों को ज़्यादा से ज़्यादा स्ट्रेच करें, एड़ियों को हिलाएं।
आरामदायक जूते पहनें।
ज़्यादा समय तक न तो चलें, न बैठें, थोड़ी-थोड़ी देर में उठें।
ज़्यादा से ज़्यादा पानी पिएँ।
अच्छा खाएँ, यानी हेल्दी खाएँ।
डॉक्टर से सलाह लेकर रोज़ाना एक्सरसाइज़ करें।
अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में छोटे-मोटे बदलाव से आप सूजन को कम कर सकती हैं. अपना ध्यान रखें और इस समय को खुल कर जिएँ।