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प्रेगनेंसी के पहले तिमाही में हर मां को कराने चाहिए ये स्कैन्स

प्रेगनेंसी के पहले तिमाही में हर मां को कराने चाहिए ये स्कैन्स

6 Jul 2018 | 1 min Read

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पहले तीन महीने में कराये गए स्कैन्स हमें बच्चे की ग्रोथ को पहचानने में मदद करते हैं.

 

पहला तिमाही हर मां के लिए सबसे महत्वपूर्ण और ख़ूबसूरत होता है. इन तीन महीनों में एक मां अपने आप को बहुत ख़ास महसूस करती है. घरवालों का प्यार, सबका आशिर्वाद और दुवाएं बड़ा ही ख़ूबसूरत एहसास होता है. इन अनोखी ख़ुशियों के साथ-साथ ज़रूरी है कि गर्भवती महिला अपने डॉक्टर को नियमित रूप से विज़िट करें और स्कैन्स की मदद से अपना और बच्चे, दोनों की सेहत के बारे में जानें. प्रेगनेंसी के दौरान किये गए टेस्ट्स बच्चे की पोज़िशन, उसके हाल-चाल और पैदायशी असामान्यताएं को पहचानने में उपयोगी होते हैं.

विभिन्न प्रकार के प्रेगनेंसी अल्ट्रा साउंड्स क्या हैं?

 

प्रेगनेंसी स्कैन या प्रेगनेंसी अल्ट्रासाउंड में, साउंड वेव्स को युटेरस में मशीन के ज़रिये भेजा जाता है. फिर कंप्यूटर उन्हीं साउंड वेव्स को तस्वीरों में बदल देता है. हड्डियों जैसे सख़्त टिशूज़ सफ़ेद, नर्म टिशूज़ ग्रे और साउंड्स वेव्स को रेज़ोनेट नहीं करने वाले एमनीॉटिक फ़्लूइड काले दिखते हैं.

 

ये स्कैन्स तीन प्रकार के होते हैं:

 

  • 2D स्कैन जिसका ऊपर वर्णन किया गया है. ये स्कैन ज़रूरी जानकारी तो देता है लेकिन शिशु का सही हाल नहीं बताता जिसकी वजह से माता-पिता को पूरी संतुष्टि नहीं मिल पाती है.

 

  • 3D स्कैन काफ़ी हद्द तक 2D स्कैन की तरह होता है. बस फ़र्क इतना है कि ये शिशु को तीन पैमाने से दिखाता है जिसमें गहरायी भी होती है. इसकी वजह से शिशु के चेहरे की विशेषताएं आसानी से पता चलती हैं.

 

  • 4D स्कैन भी 3D स्कैन की तरह है लेकिन इस में वक़्त का पहलू भी जोड़ दिया जाता है जिसकी वजह से शिशु के मूवमेंट्स भी पता चलते हैं. ये बिलकुल गर्भ में बच्चे के वीडियो की तरह दिखता है.

पहले तिमाही में किस-किस समय पर अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए?

 

प्रेगनेंसी के दौरान कई तरह के स्कैन्स होते हैं जो अलग-अलग समय पर कराये जाते हैं. निम्नलिखित स्कैन्स पहले तिमाही में करवाने चाहिए:

 

  • वायअबिलिटी स्कैन या अर्ली अश्यूरैंस स्कैन: ये स्कैन सबसे पहले किया जाता है. आम तौर पर पहले 6 से 10 हफ़्ते में. ये स्कैन योनि से किया जाता है जो प्रेगनेंसी की पुष्टि करता है और शिशु के दिल की धड़कन को देखने में भी मदद कर सकता है. ये स्कैन इसलिए भी ख़ास है क्योंकि भविष्य के माता-पिता को गर्भ में बढ़ रहे अपने बच्चे की पहली झलक मिलती है. ये स्कैन इस बात की जानकारी भी देता है कि मां के कोख में कितने बच्चे हैं और किसी भी रक्तस्राव के पीछे क्या कारण है.

 

  • डेटिंग स्कैन: ये स्कैन बच्चे की डेलीव्री की प्रत्याशित तरीक़ का अंदाज़ा लगाने में मदद करता है. साथ ही बच्चे की स्थिति निर्धारित करते हुए ये भी चक करता है कि बच्चा सुरक्षित रूप से यूटिरस से जुड़ा है या नहीं.  

 

  • न्यूचल ट्रांसलूसेन्सी स्कैन एक ज़रूरी स्कैन है जो पहले तिमाही के आख़री हिस्से में किया जाता है. इसका सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य भ्रूण में डाउन सिंड्रोम की उपस्थिति को देखना, बच्चे में कार्डियोवैस्कुलर डिसफ़ंक्शन और क्रोमोज़ोमल असामान्यताओं की जांच करना है. इस स्कैन को करने का सबसे अच्छा समय 11 से 13 हफ़्ते के बीच में होता है ताकि अगर किसी भी तरह की असामान्यता हो तो उससे बचने के लिए पर्याप्त समय हो.

 

स्वास्थ और तंदुरुस्ती के लिए प्रेगनेंसी स्कैन्स के साथ-साथ मां का रक्त और युरीन टेस्ट भी होता है. ये परीक्षण उन कारणों को निर्धारित करने में भी मदद करते हैं जो समय के साथ कठिनाइयों को बढ़ा सकते हैं.

 

आम तौर पर हल्थकेर सुविधाएं इन सभी परीक्षणों को एक साथ करवाते हैं ताकि बार-बार अस्पताल के चककर न लगाने पड़ें. उदाहरण के लिए, पहले तिमाही स्क्रीनिंग में दो विशिष्ट पदार्थों की जांच करने के लिए ब्लड टेस्ट और न्यूचल ट्रांसलूसेन्सी के लिए अल्ट्रासाउंड कराया जाता है. ये स्क्रीनिंग जन्मजात असामान्यताएं का भी पता लगाता है.

 

समय-समय पर डॉक्टर से  अपॉइंटमेंट ले कर विभिन स्कैन्स करवाते रहना चाहिए जिससे कि बिना किसी परेशानी के प्रेगनेंसी का आनंद उठाया जा सके.

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