13 Jul 2018 | 1 min Read
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तीसरे तिमाही के दौरान स्कैन्स
इसमें 27 से 37 सप्ताह तक या प्रेगनेंसी के अंत तक इमेजिंग परीक्षण शामिल होते हैं. आपकी स्त्री रोग विशेषज्ञ आपके बच्चे के साथ-साथ आपकी अच्छी स्वास्थ को सुनिश्चित करने के लिए इन परीक्षणों को करवाने की सलाह देंगी. ये सारे टेस्ट्स आपके और आपके बच्चे के लिए ज़रूरी और सुरक्षित हैं.
तीसरे तिमाही के सबसे आम स्कैन्स निम्नलिखित दिए गए हैं:
अल्ट्रासाउंड परिक्षण:
तीसरे तिमाही का अल्ट्रासाउंड एक ऐसा टेस्ट है जिसमें हाई फ़्रीक्वेंसी की साउंड वेव्स का इस्तेमाल करके बच्चे और मां के अंदरूनी अंगों को चित्रित किया जाता है. अल्ट्रासाउंड की औसत संख्या प्रत्येक प्रेगनेंसी के साथ बदलती है. अल्ट्रासाउंड जिसे सोनोग्राम भी कहते हैं, वो भ्रूण विकास को मॉनिटर करता है और उसमें होने वाली किसी भी संभावित समस्याओं को जांचने में मदद करता है. ये बच्चे के विकास का आकलन करने के लिए एक उपकरण के रूप में भी प्रयोग किया जाता है और इस प्रकार कभी-कभी ग्रोत स्कैन के नाम से भी जाना जाता है. ये शिशु के क्राउन-रम्प की लंबाई और सर की चौड़ाई जैसे पैरमीटर्स को भी चेक करता है.
इलेक्ट्रॉनिक फ़ीटल हार्ट रेट की जांच
इलेक्ट्रॉनिक फ़ीटल हार्ट रेट, तीसरे तिमाही में एक ऐसे प्रकार का स्कैन है जो शिशु की अच्छी स्वास्थ की पुष्टि करता है. ये बच्चे के दिल की धड़कन और हार्ट रेट को चेक करता है. इस प्रकार की मॉनिटरिंग प्रेगनेंसी, लेबर और डेलिवरी में की जाती है. इसको प्रीनेटल चेक-उप के दौरान, प्रेगनेंसी के बीसवें हफ़्ते के बाद कभी भी कराया जा सकता है.
नॉन-स्ट्रेस टेस्ट
नॉन-स्ट्रेस टेस्ट तीसरे तिमाही में अट्ठाईसवें हफ़्ते के क़रीब कराया जाता है. ये टेस्ट, बच्चे को पर्याप्त ऑक्सिजन मिल रही है या नहीं, उसकी भ्रूण गतिविधि और हृदय गति को जांचने के लिए कराया जाता है. इस टेस्ट में बच्चे की ह्रदय गति को जांचने के लिए मां के पेट में चिपकने वाली भ्रूण मॉनिटर शामिल होती है. इसको नॉन-स्ट्रेस टेस्ट इसलिए कहते हैं क्योंकि इसमें बच्चे पर किसी भी प्रकार का स्ट्रेस नहीं होता. इस टेस्ट को तब कराया जाता है जब आप बच्चे की सामान्य गतिविधियों को महसूस नहीं कर सकते या आपने अपनी डिउ डेट पार कर ली हो या जब आपका डॉक्टर ये सुनिश्चित करना चाहे कि प्लेसेंटा स्वस्थ है और अच्छी तरह से काम कर रहा है. नॉन-स्ट्रेस टेस्ट मां और बच्चे के लिए पूरी तरह सुरक्षित होता है.
कॉनट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट
कॉनट्रैक्शन स्ट्रेस टेस्ट, नॉन-स्ट्रेस टेस्ट की तरह ही होता है जो बच्चे की ह्रदय गति को नापता है. हालांकि, इस टेस्ट में बच्चे की ह्रदय गति, यूट्रीन कॉनट्रैक्शन पर क्या प्रभाव कर रही है, उसको मापा जाता है. इस टेस्ट को स्ट्रेस टेस्ट या ऑक्सीटोसिन चैलेंज टेस्ट भी कहते हैं. आम तौर पर, प्लेसेंटा में रक्त का प्रवाह कॉनट्रैक्शन के दौरान धीमा हो जाता है, लेकिन अगर प्लेसेंटा अच्छी तरह से काम कर रहा है, तो बच्चे की हृदय गति स्थिर रहती है. अगर प्लेसेंटा सही तरह से काम नहीं कर रहा, तो बच्चे की हृदय गति कॉनट्रैक्शन के बाद अस्थायी रूप से धीमी हो जाती है. इस टेस्ट को आम तौर पर नॉन-स्ट्रेस टेस्ट या बायो-फ़िज़िकल प्रोफ़ाइल की तरह नहीं किया जाता. आपका डॉक्टर केवल तभी इस टेस्ट की सलाह देगा जब उसे किसी भी प्रकार का संदेह हो.
एम्निओसेंटेसिस
एम्निओसेंटेसिस एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सूई को यूटेरस में डाल कर एमनीओटिक फ़्लूइड का नमूना निकलते हैं जो बढ़ रहे भ्रूण में असामान्यताओं की जांच करता है. ये टेस्ट आम तौर पर ये बताता है कि बच्चे को किसी भी प्रकार का जेनेटिक डिसऑर्डर या डाउन सिंड्रोम जैसे क्रोमोज़ोमल असामान्यता तो नहीं है. अक्सर इसे अल्ट्रासाउंड गाइडेंस के अंतर्गत किया जाता है जो इस चीज़ की पुष्टि करता है कि सूई गर्भ में सुरक्षित रूप से प्रवेश की जा रही है.
आपके सामान्य स्वास्थ्य की स्थिति और प्रेगनेंसी की प्रगति के आधार पर आपकी स्त्री रोग विशेषज्ञ ही सबसे उचित सलाहकार है जो ये तय करती है कि आपको तीसरे तिमाही वाले स्कैन्स के अलावा कौनसे अन्य रक्त परीक्षण कराने चाहिए.
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