1 Aug 2018 | 1 min Read
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बच्चों का शरारत करना या एक जगह न बैठना, या उनका अतिउत्साही रवैय्या अमूमन उनकी उम्र का हिस्सा होता है. लेकिन तब क्या हो, जब बच्चा बहुत ज़्यादा आवेगशील हो और चीज़ों पर ध्यान केंद्रित न कर पाए. ये सभी लक्षण ADHD या ADD की और इशारा करते हैं. ADHD यानि Attention-deficit/hyperactivity disorder.
ADHD? ये सच में होता है?
आज से कई साल पहले तक बच्चे जब पढ़ाई में ध्यान नहीं दे पाते थे, एक जगह नहीं बैठ पाते थे या अतिसक्रिय होते थे, तो माँ-बाप उन्हें डाँट-डपटकर पढ़ाने की कोशिश करते थे. कई केस में ध्यान देने के बावजूद बच्चे के मार्क्स में सुधार नहीं आते थे. अक्सर पेरेंट्स ये शिकायत ज़रूर करते थे कि इसको पढ़ाने बैठाओ, लें ये पढ़ता नहीं है. लेकिन अटेंशन की इस कमी की वजह है ADHD.
इसके कारण
ये लगभग सभी बच्चों को एफेक्ट करता है. केवल भारत में ही 5 प्रतिशत बच्चों, लगभग 10 मिलियन को ADHD की समस्या है. अभी इसके कोई ख़ास कारण सामने नहीं आये हैं, लेकिन ये इसके रिस्क फ़ैक्टर हो सकते हैं.
प्रेगनेंसी के समय पर्यावरण में मौजूद टॉक्सिन के संपर्क में आना
बढ़ती उम्र में बच्चे का पर्यावरण में मौजूद टोक्सिन के संपर्क में आना
दिमाग़ी चोट
जन्म के समय कम वज़न
मेल सेक्स
इसके लक्षण
ADHD से जूझ रहे बच्चे में इसके पर्याप्त लक्षण होते हैं, लेकिन हर हाइपरएक्टिव बच्चा इससे नहीं जूझ रहा होता।
लम्बे समय तक किसी भी काम, लेक्चर या एक्टिविटी पर फ़ोकस करने में परेशानी।
बार-बार वही Silly Mistakes करना या छोटी-छोटी डिटेल्स पर ध्यान न देना।
पज़ल या दिमाग़ी कसरत वाली एक्टिविटी या लम्बे पैराग्राफ़ पढ़ने में दिक्कत
बात करते हुए कहीं और ही ध्यान होना
निर्देश फॉलो करने में दिक्कत और उस काम को पूरा न करने में असमर्थ।
अव्यवस्थित और टाइम मैनेजमेंट की कमी.
चीज़ें संभालने में लापरवाह और चाबी, फ़ोन, पर्स, किताबें, चश्में जल्दी खो देना।
जल्दी से ध्यान भटकना और एक टाइम पर एक काम न करना
अपने हाथ पैरों से खेलते रहना
ज़्यादा देर के लिए क्लास में बैठने में दिक्कत या ज़्यादा देर तक सीधे खड़े रहने में दिक्कत
घर के सोफ़े, स्कूल के बेंच टेबल पर कूदने, भागने, चढ़ने की आदत
आराम से खेल नहीं खेलना
संयम की कमी होना और अपनी बारी आने से पहले ही जवाब दे देना। कई बार दूसरों के जवाबों को कम्पलीट करने की जल्दी।
बातचीत के बीच सबसे ज़्यादा बोलना।
इसका इलाज या ट्रीटमेंट
इसका कोई ऐसा तोड़ या इलाज नहीं है, लेकिन इसमें थेरेपी और दवाईयों से दिमाग़ में शै केमिकल बैलेंस बैठाने की कोशिश की जाती है. इसकी थेरेपी में बच्चे की काउन्सलिंग की जाती है और मार्गदर्शन की मदद से उसे अनुशासित बनाने का प्रयास किया जाता है.
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल का मकसद कहीं से भी डॉक्टरी परामर्श, मेडिकल सहायता और चेकअप को नज़रअंदाज़ करना नहीं है. सबसे पहले डॉक्टर की सलाह लें.
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