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क्या आप बच्चों में सेल्फ सूदिंग आदतों के बारे में जानते हैं?

क्या आप बच्चों में सेल्फ सूदिंग आदतों के बारे में जानते हैं?

20 Aug 2018 | 1 min Read

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बच्चे की  स्वयं को शांत (सेल्फ सूदिंग) करने वाली सामान्य आदतें:

आपने न जाने कितनी बार बच्चों को उनका अंगूठा चूसते या नाख़ून चबाते हुए देखा होगा और आप सोचते होंगे कि बच्चे ऐसा क्यों करते हैं?

बच्चों में यह आदतें अपने विचलित मन को संभालने में सहायक होती हैं जिनका कारणों में, अपने माता- पिता अथवा ख्याल रखने वाले से दूर होना, नई परिस्तिथियों में जाना, उदास होना आदि शामिल हैं। अंगूठा चूसने व बैठे – बैठे एक लय में हिलने की प्रक्रिया उनके मन को शांत करती है।

 

सामान्य सेल्फ सूदिंग की आदतें:

बच्चों में कुछ सबसे सामान्य सेल्फ सूदिंग की आदतें:

 

अँगूठा-चूसना :

अंगूठे-चूसना एक आदत है जो आपका बच्चा खुद को शांत करने के लिए करता है।यदि समय पर इस आदत को रोका न जाए तो बच्चा खिलौनों और कम्बल के कोनों को भी मुँह में डालकर चूसने लगता है। एक वर्ष की आयु के ५०% बच्चों में यह आदत होती है , जिसे वे २ या ३ वर्ष की आयु तक छोड़ देते हैं, मगर कुछ बच्चे इस आदत के साथ ही बड़े हो जाते हैं और इसे छोड़ नहीं पाते हैं ।

 

 

बैठे बैठे हिलना (सेल्फ रॉकिंग):

इस प्रक्रिया में  बच्चे एक ही जगह बैठ कर बार- बार, एक लय के अनुसार हिलते हैं , इससे उन्हें बहुत शान्ति का अनुभव होता है । उन्हें ऐसा लगता है कि जैसे वे आपकी गोद में हैं और आप उन्हें हिला रहे हैं । यह आदत उन बच्चों में अधिक पाई जाती है जो प्रतिबंधों और तनावपूर्ण वातावरण में बड़े हुए हों । यदि आप बच्चे को एक खुले  और मजेदार माहौल में रखते हैं, तो यह आदत अक्सर समाप्त हो जाती है और बच्चे को दोबारा तनाव की होने स्थिति (जैसे : बीमार पड़ जाना) में ही दिखाई देती है।

 

नाखून चबाना:

नाखून चबाना , अंगूठा चूसने का ही एक रूप है, जिसमें बच्चा अपने नाख़ून भी काटने लगता है । यदि आपका बच्चा धीरे- धीरे नाख़ून चबाता है तो यह सेल्फ सूदिंग की ही एक प्रक्रिया है । यह आदत अक्सर उन बच्चों में पाई जाती है जो भावनात्मक रूप से परेशान हों ,किसी वास्तु या व्यक्ति को मिस करते हों,या किसी चीज़ की तरफ उनका अत्यधिक झुकाव हो और वे उसे न कर पा रहे हों ।कभी कभी बच्चे इतनी ज़ोर से नाख़ून काटते  हैं कि नाख़ून में से या तो खून निकलने लगता है या पूरा नाख़ून ही ख़राब हो जाता है ।

 

 

इन तीन प्रमुख स्वयं को शान्ति प्रदान करने वाली आदतों के अलावा, बच्चे को अपने बालों को घुमाने और खींचने, अपनी नाक या घावों को कुरेदने , या पेंसिल और कपड़ों जैसी चीजों को चबाने जैसी आदतें भी लग सकती हैं ।

 

इन आदतों को कैसे रोकें?

  • इनमें से अधिकतर आदतें अपने आप दूर हो जाती हैं। हालांकि, अगर ये आदतें आपके बच्चे के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही हैं, तो आप उन्हें इस प्रकार रोक सकते हैं:
  • उन्हें बार बार, प्यार से याद दिलाएं कि यह आदतें अच्छी नहीं हैं।
  • बच्चे को व्यस्त रखें तथा उसका ध्यान हटाने के लिए, अलग अलग मज़ेदार गतिविधियों का प्रयोग करें।
  • अपने बच्चे की आदत के पीछे के कारणों को जानने का प्रयास करें, साथ ही साथ उन सभी कारणों का निवारण करें, जिनकी वजह से बच्चे को यह आदत लगी हैं। जैसे , यदि आपका बच्चा , अपने पसंदीदा खिलौने से दूर होकर अंगूठा चूसता है, तो उस खिलौने पर बच्चे की निर्भरता कम करें ।
  • इन आदतों के लिए विकल्प खोजें और उन्हें अपने बच्चे की दिनचर्या में शामिल करें। जैसे, यदि आपका बच्चा रोते हुए जागता है, तो उसे खिलौना देकर उसका ध्यान भटकाएं। कुछ समय बाद वही खिलौना उसके पास रखें, जिससे उसका ध्यान रोने की तरफ न जाए ।
  • कुछ आदतें जोड़े में आती हैं, इसलिए किसी एक को रोकना अपने आप दूसरी आदत को समाप्त कर देता है ।जैसे, यदि आप उन्हें अंगूठा चूसने से रोक पाएं, तो बालों को खींचने की आदत अपने आप समाप्त हो जाएगी ।
  • बच्चे को अंगूठा चूसने से रोकने के लिए आप उनके पोरों पर कोई कड़वा द्रव्य (जूस इत्यादि) लगा सकते हैं, जिसका स्वाद उन्हें अंगूठा चूसने से रोकेगा ।
  • इन आदतों को न करने पर, अपने  बच्चे को पुरस्कृत करें ।आप उन्हें कुछ बोल कर भी प्रेरणा दे सकते हैं या उन्हें कोई सुन्दर उपहार देकर भी उन्हें यह आदतें छोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं ।

 

इनमें से अधिकतर सेल्फ सूदिंग आदतें , बड़े होते- होते अपने आप चली जाती हैं ।परन्तु यदि आपको लगे कि बच्चा यह आदतें नहीं छोड़ पा रहा है या बात आपके हाथ से निकल रही है तो, आपको इसके लिए अपने बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए ।

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