20 Aug 2018 | 1 min Read
Medically reviewed by
Author | Articles
इस लेख को डॉ अनुपम सिब्बल और डॉ स्मिता मल्होत्रा, सलाहकार बाल चिकित्सा गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और हेपेटोलॉजिस्ट, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, दिल्ली द्वारा लिखा गया है।
दुनिया भर में जल-संबंधी बीमारियां विकासशील और समृद्ध राष्ट्रों में सार्वजनिक स्वास्थ्य की चुनौती बनी हुई हैं। असल में, पानी के रोगों चार मुख्य मार्गों के माध्यम से फैलते हैं : वाटरबोर्न मार्ग, जल की कमी के कारण स्वछता न रख पाना , जल-आधारित मार्ग और पानी में पाए जाने वाले कीटों के कारण या पानी से संबंधित मार्ग।
पानी से उत्पन्न बीमारियां गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट, फेफड़ों, कान, आंखों, त्वचा को प्रभावित कर सकती हैं और घाव संक्रमण का कारण बन सकती हैं।
यह बीमारियां , दूषित पानी के सेवन या जब स्नान और घरेलू उद्देश्यों या तैराकी में गंदे पानी का प्रयोग हो,और पानी के खेल आधारित गतिविधियों में दूषित पानी के प्रयोग से फैलती है । इन बीमारियों का तेज़ी से फैलाव तब देखा जाता है जब पीने के पानी को ठीक से साफ़ नहीं किया जाता और इसमें नालियों के पानी, तबेलों से आए हुए पानी के कीटाणु अथवा अंश शामिल हो जाते हैं । मानव मल से प्रदूषित पानी के सेवन से मुँह के रास्ते मल के कीटाणु पेट में जाने के कारण आँतों से जुडी बीमारियां (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोग) होती हैं ।
वाटरबोर्न बीमारी प्रोटोजोआ, वायरस, बैक्टीरिया और आंतों में पाए जाने वाले परजीवियों के कारण हो सकती है। इनमें कोलेरा, एमोबिक डाइसेंटरी, बैसिलरी डाइसेंटरी (शिगेलोसिस), क्रिप्टोस्पोरिडियोसिस, टाइफाइड, जिआर्डियासिस, पैराटाइफोइड, रोटावायरस दस्त, ई कोलाई डायरिया, संक्रामक हेपेटाइटिस (ए और ई), लेप्टोस्पायरोसिस और पोलिओमाइलाइटिस शामिल हैं। रोग जो अक्सर अपर्याप्त स्वच्छता से संबंधित होते हैं उनका कारण एस्केरिया और हुकवार्म समेत कई प्रकार के जीवाणु होते हैं।
हमेशा सावधानी बरतें और बच्चों को सड़क किनारे बनी, अस्वच्छ पानी का प्रयोग करने वाली दुकानों से खाना खाने व पानी पीने से रोकें । धूल और मक्खियों से संपर्क में आये भोजन , काट कर खुले रखे हुए फल , गन्ने का रस, अधपके मोमोस और “पानी पुरी / गोलगप्पा” जैसे खाद्य पदार्थ , इन बीमारियों को फैलाने के सामान्य अपराधी हैं।
अधपके अंडे और आइसक्रीम , में सैल्मोनेला हो सकता है , जो टाइफोइड बुखार का कारण बन सकता है। विद्यालयों के बाहर आइस क्रीम बेचने वाले लाइसेंस रहित ठेलों पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए। सरकार को लाइसेंस रहित कारखानों से बर्फ की बिक्री को रोकना चाहिए जो आमतौर पर विभिन्न खाने की दुकानों में बर्फ की आपूर्ति करते है। शुरुआती उम्र से बच्चों में हाथ धोने सहित व्यक्तिगत स्वच्छता रखने की आदत डालनी चाहिए ।
अधिकांश जल-संबंधी बीमारियों को दस्त से चिह्नित किया जाता है, जिसमें अत्यधिक मल आता है , जिसके परिणामस्वरूप शरीर में पानी कम होता जाता है और चरम मामलों में मृत्यु होती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, लगभग 1.8 मिलियन लोग सालाना दस्त जैसी बीमारियों से ग्रस्त हैं, जो अधिकतर दूषित पानी और भोजन के कारण होता है। इसका कारण लगभग 88% मामलों में – असुरक्षित जल आपूर्ति, स्वच्छता और सफाई न रखना है और यह ज्यादातर विकासशील देशों में यह बच्चों पर असर करती है।
निवासी कल्याण संघों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी स्थानीय नगर पालिका समय पर कचरा उठाए , नालियों को साफ़ करे और पर्याप्त रूप से सार्वजनिक जल आपूर्ति का इलाज करने की व्यवस्था करे। स्विमिंग पूल में पानी क्लोरीनयुक्त होना चाहिए। डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के लिए प्रजनन स्थलों के बारे में, आम लोगों में जागरूकता लानी चाहिए इससे इन बीमारियों को रोकने में मदद मिलेगी ।
बच्चों का टीकाकरण करवाना चाहिए । टाइफोइड और हेपेटाइटिस ए के खिलाफ टीकाकरण सभी बच्चों को प्रदान किया जाना चाहिए।
बुनियादी व्यक्तिगत स्वच्छता और कुछ आदतों के साथ, आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके बच्चे का बचपन इन बीमारियों से मुक्त हो।
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.