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अपने बच्चे के प्री स्कूल के चुनाव से पहले रखें किन बातों का ध्यान ?

अपने बच्चे के प्री स्कूल के चुनाव से पहले रखें किन बातों का ध्यान ?

28 Aug 2018 | 1 min Read

Cheni Adukia

Author | 15 Articles

बैग पैक हो गया है, उसके कपड़े भी निकल कर रख लिए  हैं और मैंने उसके स्नैक बॉक्स के लिए कुछ सामान भी तैयार कर लिया है । यह एक बहुत ही असामान्य भावना है, मैं निश्चित रूप से बहुत उत्साहित हूं लेकिन साथ ही मैं बहुत चिंतित और बेचैन हूं। हो सकता है कि ये सेपेरशन एंग्जायटी (अलग होने का डर ) मुझे कुछ ज़्यादा ही सोचने पर मजबूर कर रही है , मैं खुद को समझा रही हूं “ठीक है, हर बच्चा इससे गुज़रता है और वह कोई विशेष नहीं है, चिंता मत करो वह ठीक रहेगी”। क्या यह सब आपके साथ भी हुआ है ? ओह! अब तक आपने अनुमान लगा लिया होगा कि मैं अभी भी इन्ही बातों में कितनी खोई हुई  हूं, मैंने तो आपको बताया ही नहीं , कल उसके लिए बहुत बड़ा दिन है, उसके स्कूल का पहला दिन ।

 

मैं हमेशा से  सोचती थी कि पता नहीं ये दिन कब आएगा, मगर अब जब ये दिन आ गया है, तब मुझे एहसास हो रहा है कि मेरी नन्ही सी बिटिया अब इतनी बड़ी होगी कि वह स्कूल जाएगी । मैं उसे स्कूल के गेट से अंदर की तरफ जाते हुए देख कर बाय- बाय कहने के लिए बेताब हूँ  और मैं जानती हूँ ,उस पल में शायद मैं अपने आंसू न रोक पाऊँ। मुझे लगता है कि वह क्या सोच रही होगी और अकेले उस बड़ी सीट पर बैठ कर कैसा महसूस कर रही होगी । वह वहां किसी को भी नहीं जानती है; लेकिन मुझे यह भी पता है, वह आराम से होगी और नई चीजें सीखने की उसकी जिज्ञासा उसे इन पलों का आनंद लेने मैं मदद करेगी और उसका यह छोटा सा कदम उसके उज्जवल भविष्य की पहली सीढ़ी बनेगा ।

 

माँ – बाप बनना बहुत सी खुशियां  और प्यार भरे लम्हों के साथ ढेर सारी ज़िम्मेदारियाँ भी लाता है , और हम अपने बच्चो के लिए सबसे अच्छा करना चाहते हैं , खासकर जब बात पढ़ाई लिखाई की हो । इसलिए हमने  बहुत सोचा कि उसे किस तरह के स्कूल में भेजना है। और यहां मैंने कुछ कारकों को सूचीबद्ध किया है ,जिन्हें हमने स्कूल का चयन करते समय ध्यान में रखा था , उम्मीद है कि इससे आपको अपने बच्चे के स्कूल से जुड़े  निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

 

दूरी:

मेरे लिए मेरे घर के  आसपास एक स्कूल का चयन करना सबसे महत्वपूर्ण कारक था। मुझे लगता है कि अगर बच्चे को एक घंटा स्कूल पहुँचने में लगेगा तो वह पहले ही थक जाएगा । साथ ही, यह बहुत महत्वपूर्ण है, स्कूल किसी भी आपात स्थिति में जल्दी से स्कूल पहुंचा जा सके ।

 

माता – पिता का दख़ल:

मैं एक ऐसा स्कूल चाहती थी जो पारदर्शिता अपनाए व खुली किताब की तरह काम करे , जहां वे बच्चे के संपूर्ण  विकास के लिए अभिभावक के साथ भागीदारों के रूप में काम करने में विश्वास करते हों ।

 

पाठ्यक्रम:

एक व्यक्ति के रूप में ,पढ़ाने के तरीकों को लेकर मेरी कोई वरीयता या पसंद नहीं थी  (कोई दृण सोच जैसे मोंटेसरी या रेजीओ दृष्टिकोण नहीं था ), मैं बस ये चाहती थी कि वो मज़े और ख़ुशी से सीखे व अपने आस पास के वातावरण को एक्स्प्लोर करे तथा उसके बारे में जाने ।

स्कूल की बनावट :

मैं हमेशा ऐसा स्कूल चाहती थी जिसमे प्राकृतिक प्रकाश हो  और बच्चों के खेलने के लिए पर्याप्त खुली जगह हो । एक ऐसा स्कूल जहाँ फर्नीचर कम और जिज्ञासु चीज़ें करने की जगह अधिक हो । उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षिक खिलौने और बच्चों के अनुकूल फर्नीचर का उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अधिकांश स्कूल माता-पिता की इन इच्छाओं की पूर्ति करते ही  हैं।

 

सुरक्षा:

इन दिनों स्कूल अच्छी तरह से सुरक्षा उपकरणों जैसे फिंगरप्रिंट या रेटिना स्कैन वाले तालों  और अन्य ऐसी चीजों से सुसज्जित है और अच्छी तरह प्रशिक्षित कर्मचारियों की एक टीम भी स्कूल में होती  हैं। लेकिन एक और महत्वपूर्ण सुरक्षा का विषय यह है कि स्कूल बच्चों को घर छोड़ने और छुट्टी के समय पर बच्चों के ख्याल कैसे रखता है ।

 

अवधि:

अधिकांश प्रीस्कूल कार्यक्रम केवल 3 घंटे के लिए होते हैं, जो मेरे मानदंडों में फिट होते  हैं। घर से काम करने वाली माँ होने के नाते मैं ऐसे स्कूल के लिए बहुत उत्सुक नहीं थी जो लंबे समय तक काम करता है। मैं उसे घर पर कुछ फ्री  प्ले टाइम में व्यस्त रखना चाहती थी और पर्याप्त आराम देना चाहती थी । चूंकि अब आगे चलकर पहले स्कूल और फिर काम, जीवन का एक लम्बा समय समेटने के लिए तैयार बैठे  हैं।

 

उपरोक्त सभी कारकों पर विचार करने के बाद हमने कुछ स्कूलों का चुनाव  किया, और अंत में हमने “सफारी किड्स ” नाम के स्कूल को चुन लिया , वातावरण अच्छा व  आनंददायक लग रहा था, बड़े-बड़े हवादार व प्राकृतिक रौशनी वाले कमरे जिनमे पर्याप्त फर्नीचर था और साफ़ सफाई तो देखते ही बनती थी । मैं खुश थी  और मैं लगभग अपना निर्णय ले ही चुकी थी । शिक्षण पद्धति और स्कूल के कुछ बुनियादी नियमो व मूल्यों के बारे में शिक्षकों से बात करने के बाद हमने अंतिम फैसला लिया ।

 

हालांकि स्कूल के चुनाव  से मैं खुश हूं, मगर ,स्कूल में उसका पहला दिन अभी भी मेरे लिए एक बड़ा विषय  है। वह भले ही मेरी छोटी सी बिटिया है, मगर ये उसके जीवन की शुरुआत है। उसके बड़े होने की सीढ़ी का पहला कदम, और इस आने वाली बड़ी सी ज़िन्दगी के लिए शायद वो तैयार है, मगर मेरे मन में छुपी एक माँ …शायद नहीं । मैं उस क्षण के बारे में सोचकर और अधिक उत्साहित हूं जब वह मुस्कुराहट के साथ उस दरवाजे से बाहर निकलेगी और मैं उसे कस के अपने गले से लगाऊंगी और मैं  उम्मीद करती हूँ, उस समय हमारे चेहरों पर सिर्फ मुस्कुराहटें हों , आंसू नहीं ।

 

अब आप, मुझे बताएं कि  आपने अपने बच्चे के पहले दिन स्कूल जाने पर कैसा महसूस किया था, और प्ले स्कूल चुनते समय आप माता-पिता के रूप में किस कारकों पर विचार करते थे?

 

#balvikas #hindi

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