20 Sep 2018 | 1 min Read
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सपने पूरे करने के लिए कभी मेहनत करने से पीछे नही हटना चाहिए क्योंकि मेहनत ही है सफलता का मूलमंत्र। यह बात प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने वाराणसी प्रवास के दौरान स्कूली बच्चो से हुई मुलाकात मे कही। प्रधानमंत्री ने अपना 68 वा जन्मदिन बच्चों के साथ उन्ही के बीच मनाया। उन्होंने अपने बचपन के किस्से याद किये और बच्चो को बताया की वे किस तरह अपना आज और आने वाला कल संवार सकते हैं।
श्री मोदी ने कहा कि कभी भी सवाल पूछने से हिचकिचाना नही चाहिए क्योंकि सवाल पूछना सीखने की सबसे ज़रूरी कड़ी है। बात सही भी है क्योंकि छोटे बच्चों मे बहुत जिज्ञासा होती है और हर नई चीज़ को देख कर वो ढ़ेर सारे प्रश्न भी करते हैं।
लेकिन यदि हम उन प्रश्नो के जवाब देते वक्त उन्हे डाँटते हैं या चुप रहने को कहते हैं तो बच्चे धीरे धीरे प्रश्न पूछने में घबराते हैं और उनके मन के अंदर डर और संकोच आ जाता है। इसलिए शिक्षकों के साथ-साथ माता-पिता की भी यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों के प्रश्नो को धैर्य के साथ सुनकर उनका जवाब दें।
बात जब बचपन कि आती है तो हम सब ये जानते है कि बचपन में सीखी गई बाते एक सुखद जीवन की बुनियाद होती है। तभी तो श्री मोदी ने भी यह बात दोहराई कि बच्चो के जीवन मे किताबी ज्ञान के साथ साथ व्यवहारिक ज्ञान का होना भी बहुत ज़रुरी है। यदि बच्चो को बचपन से ही नए नए काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाये और उन्हें छोटे छोटे कामो में अपने साथ शामिल किया जाये तो निश्चिंत ही वे जीवन में कभी भी कुछ नया करने से पीछे नही हटेंगे।
श्री मोदी ने पढ़ाई-लिखाई के साथ साथ खेलकूद में पसीना बहाने की और साफ़-सफाई को अपने जीवन में शामिल करने की भी सीख बच्चो को दी। वास्तव मे यह चिंता कि बात है कि आज के टीवी, मोबाइल, और कम्प्यूटर के युग मे मैदानी खेल कहीं पीछे छूटते जा रहे हैं जिसके कारण छोटी उम्र मे ही बच्चों को गंभीर बीमारियाँ घेर लेती हैं। इसलिए अब यह ज़रूरी है कि बच्चो को घर की चारदीवारी से निकाल कर बाहर मैदान मे खेलने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
बच्चो को खेल खेल मे किस तरह से पढ़ाया जा सकता है जिससे उनकी रूचि पढाई मे बनी रहे, इस बारे मे हमारे देश मे लम्बे समय से विचार किया जा रहा है। श्री मोदी ने बच्चो को बताया कि किस तरह से वे बचपन में खेल में गिनती और पहाडा सीखा करते थे। अब तो सीखने सिखाने और पढ़ने लिखने की नई नई तकनीक आ गयी है जैसे की ”रूम टु रीड ” संस्था। रूम टु रीड संस्था मुख्य रूप से ऐसे बच्चों को बहुत रोचक, सरल, और आसान तरीके से पढ़ने लिखने के लिए प्रेरित करती है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपने वाराणसी प्रवास के दौरान छात्रों को जीवन की उन बातों के बारे मे बताया जो निश्चिंत ही उनके सुनहरे भविष्य में महत्वपूर्ण योगदान करेगी।
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