8 Oct 2018 | 1 min Read
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कहते हैं कि जब मन में हौसला बुलंद हो और कुछ पाने की तीव्र आस होती है तो इंसान आसमान की ऊँचाइयों को भी छूने की क्षमता रखता है। ऐसा ही कुछ जज़्बा दिखाया उत्तर-पूर्व में असम राज्य की बिनीता जैन ने जो अपनी बुद्धि और समझदारी के बल पर कौन बनेगा करोड़पति – सीज़न 10 (KBC – Season 10) की पहली करोड़पति बनी।
2 अक्टूबर को बड़े ही रोमांचक एपिसोड में हॉट सीट पर बैठी बिनीता जैन ने 7 करोड़ रुपए के प्रश्न पर रिस्क ना लेते हुए गेम छोड़ दिया और 1 करोड़ रुपए जीतना बेहतर समझा। ये बात और है की वे 7 करोड़ भी जीत सकती थी क्योंकि सोलहवे सवाल पर गेम छोड़ने के बाद जो ऑप्शन उन्होंने गेस किया था वही सही जवाब था।
उनके सामने बैठे अमिताभ बच्चन जी ने जब घोषित किया कि वे करोड़पति बन गई हैं, तो बिनीता की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था और वे काफी भावुक नज़र आई। वह सिर्फ़ १ करोड़ रूपए ही नहीं, महिंद्रा की मराज़ो कार भी जीती।
ऐसा रहा है बिनीता जैन के जीवन का अब तक का सफर…
आइए जानें इस सीज़न के पहले करोड़पति के जीवन से जुड़ी कुछ बातें। गुवाहाटी की रहने वाली बिनीता जैन का जन्म 1972 में असम के ही एक प्रांत डिब्रूगढ़ में हुआ था। उनका अब तक का जीवन काफी संघर्षमय रहा है जबसे उनके पति 2003 में बिज़नेस ट्रिप में गए और अचानक गायब हो गए। ऐसा कहा जाता था की उन्हें आतंकवादियों ने अपनी गिरफ्त में ले लिया था। एक साल तक उन्हें ढूँढने की हर कोशिश करने के बाद बिनीता ने निश्चय किया की वे ज़िंदगी का सामना करेंगी और अपने बच्चों का भविष्य बनाएंगी।
उन्होंने शुरुआत की घर में से 7 बच्चों को ट्यूशन देकर और कुछ समय बाद वे सोशल स्टड़ीज और इंगलिश पढ़ाने के लिए कोचिंग सेंटर से जुड़ गयी। आज वे 125 बच्चों को पढ़ाती हैं।
इसी दौरान बिनीता ने अपनी पढ़ाई भी पूरी करने की सोची जो उन्होंने अपनी शादी और बच्चे होने की वजह से बीच में छोड़ दी थी। आज वे एक पोस्ट-ग्रेजुएट है और उनके पास बी.ऐड की डिग्री है।
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बिनीता के दो बच्चे हैं – रोहित और काव्या। रोहित इस समय बैंगलोर में डेंटल सर्जरी में मास्टर्स डिग्री की पढ़ाई कर रहे हैं और काव्या भी बैंगलोर में जॉब कर रही हैं दिल्ली यूनिवर्सिटी से इंग्लिश में ग्रेजुएशन करने के बाद। रोहित ने KBC गेम में एक लाइफलाइन के ज़रिये 50 लाख जीतने में अपने माँ की मदद की थी।
ज़िन्दगी जीने की प्रेरणा लेनी चाहिए हमें बिनीता से
हालांकि न्यायलय ने बिनीता के पति को 7 साल के गुमनामी के बाद कानूनी तौर मृत घोषित कर दिया था पर बिनीता की उम्मीद कायम है कि एक दिन उनके पति ज़रूर लौटेंगे। इस उम्मीद के साथ उन्होंने अपने परिवार की पूरी तरह से बागडोर संभाल ली है और दूसरों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गई हैं।
कभी हार न मानने वाले इस रवैये की वजह से आज वे इस मुकाम तक पहुँच पाई हैं। हम उनकी मानसिक शक्ति की सराहना करते हैं और उम्मीद हैं कि वे इसी तरह नई बुलंदियों को छूती रहेंगी।
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