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आईए जानें क्यों मनाते हैं दशहरा का त्यौहार

आईए जानें क्यों मनाते हैं दशहरा का त्यौहार

11 Oct 2018 | 1 min Read

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दशहरा का पावन पर्व पूरे भारतवर्ष में बड़े ही हर्षो-उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई के विजय का प्रतीक है। इसी दिन भगवान् श्री राम ने रावण का लंका में वध किया था। कहते हैं रावण के दस सिर थे, इसलिए इस दिन को दशहरा यानि दस सिर के प्राण हरने वाले दिन के रूप में मनाया जाता है।

 

 

दशहरा या विजयदशमी हमारे देश में हिन्दू धर्म मानने वालों के लिए ख़ास त्यौहारों में से एक है। एक और पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन माँ दुर्गा ने असुर महिषासुर से 9 दिन के भीषण युद्ध के बाद दशहरा के दिन उसका वध करके उस पर विजय प्राप्त की थी। यही कारण है कि नवरात्री के बाद इस दिन को विजयदशमी भी कहा जाता है – यानि दुर्गा के नौ शक्ति रूप का विजय दिवस।

 

दशहरा कब मनाया जाता है?

पितृ पक्ष के समाप्ति के बाद नवरात्री का प्रारम्भ होता है। 9 दिन तक बड़े उत्साह से देवी दुर्गा की पूजा की जाती है और दसवे दिन दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन रावण दहन होता है यानि रावण के बड़े-बड़े पुतलों को जलाया जाता है।

 

भारत के हर प्रान्त में अलग-अलग तरह से दशहरे के त्यौहार को मनाया जाता है।

 

भारत के विभिन्न हिस्सों में दशहरा कैसे मनाया जाता है?

 

उत्तरी भारत में दशहरा को भगवान राम के रावण पर जीत का स्वरुप माना गया है। इसलिए यहाँ के लोग रावण के पुतलों का दहन करके इस पर्व को बड़े ही उत्साह के साथ मानते हैं। जगह-जगह रामायण पर आधारित नाटक का आयोजन होता है और लोग इन्हें देखने आते हैं। आखिर में दशहरे के दिन रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले जलाये जाते हैं।

 

अम्बाला में बराड़ा बेहद लम्बे पुतले बनाने के लिए प्रख्यात है। इस जगह ने सबसे ऊँचे पुतले बनाने में लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज किया है। इस दिन के लिए ख़ास रूप से मैदान तैयार किये जाते हैं जिसमें दिल्ली का रामलीला मैदान दूर-दूर से लोगों को आकर्षित करता है।

 

 

हिमाचल प्रदेश में कुल्लू का दशहरा बहुत प्रसिद्द है। इस दिन हिमाचल के लोग सज-धज कर बड़ी तादात में निकलते हैं और ढोल नगाड़े बजाकर अपने ग्रामीण देव का आह्वान करते हैं। पूरे उत्साह के साथ भगवान की पालकि निकलती हैं और उनकी पूजा की जाती है।

 

गुजरात और राजस्थान में नवरात्री के उपलक्ष पर नृत्य का धूम-धाम से आयोजन होता है। गुजरात और मुंबई में डांडिया और गरबा नृत्य का बहुत महत्व है और दशहरे तक लोग इसमें बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं। पश्चिम बंगाल और असम की तरफ जाएँ तो इस त्यौहार को दुर्गा पूजा के नाम से जाना जाता है। यहाँ बड़े-बड़े भव्य पंडाल बनाए जाते हैं जिनमें दुर्गा माता के विशाल पुतलों की पूजा की जाती है। दशहरा के दिन विशाल जुलूस निकाल कर देवी की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।

 

दशहरे के दिन नवरात्री का उत्सव संपन्न होता है। पहले दिन से स्थापना की हुई प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है और श्रद्धालु अपना 9 दिन का व्रत इसी दिन तोड़ते हैं।

 

अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है विजयदशमी!

रावण के दस सिर इन दस अवगुण के संकेत हैं – लोभ, मद, क्रोध, पाप, चोरी, आलस्य, हिंसा, मोह, काम, और अहंकार। इस दिन हमें इन अवगुणों को अपने अंदर से दूर करने की प्रेरणा मिलती है।

 

विजयदशमी का यह दिन हिन्दू पंचांग में बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन आप कोई भी शुभ कार्य जैसे नया व्यवसाय का आरम्भ, फसल के बीज बोना, बच्चे की पढ़ाई की शुरुआत इत्यादि कर सकते हैं।

 

आइए हम इस दिन के मह्त्व को समझते हुए ये प्रण लें कि हम पूरे लगन से मेहनत करेंगे और सदा धर्म की राह को चुनेंगे। सफलता हमेशा आपके कदम चूमेंगी।

 

Banner Source: aajtak

 

 

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