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बच्चों के लिए एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीज जरुरी है या नहीं

बच्चों के लिए एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीज जरुरी है या नहीं

10 Jan 2019 | 1 min Read

Shilpa Khopade

Author | 3 Articles

 

बच्चों के लिए एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीज जरुरी है या नहीं

 

आज का जमाना प्रतियोगिता से घिरा हुआ है। आप जहा कदम रखोगे वह संघर्ष मिलेगा, इस चुंगल से हमारे बच्चे भी नहीं बच सके। आज कल बच्चो से लेकर बड़े सभी इस भागदौड़ का हिस्सा बन चुके है। कुछ ट्रेंड्स दुनिया के सोच को बदल ने  को बढ़ावा देते है, उनमे से एक यह है की पढाई के साथ साथ बच्चो को एक्स्ट्रा करीकुलर एक्टिविटीज आनी ही चाहिए।

 

बहोत से बच्चो को शेडूयल व्यस्त रहता है, जैसे की स्कूल जाना, खेल का क्लास और किसी अधिकतर एक्टिविटी की टूशन में जाना, ऐसे में ही बच्चे धक् हार के सो जाते है। बच्चो को उनका खुद का टाइम जिसे हम me time  कहते वो नहीं मिलता। कठिन प्रतिस्पर्धी दुनिया में आपके बच्चे को टिके रहने के लिए यह सब जरुरी है ऐसा एहसास आपको होता है।

 

कभी कभी माता-पिता अपनी इच्छाओ को बच्चों पर थोपने की कोशिश करते है उनपे दबाव डालते है जिसे बच्चे परेशानी में आ जाते है। माता पिता होने के साथ ही आपको यह पता रहना चाहिए भले ही वो आपका बच्चा है लेकिन वह एक स्वतंत्र व्यक्तिमत्व है।

 

जब मै छोटी थी तो मैं अपने भाई-बहनो के साथ घाटों तक खेलना-कूदना, मस्ती करना, बारिश मै भीगना, गप्पे लढना, लड़ना-झगडना यह सब करती थी। इन सब बातो से भी हमें खुद को ढूढने में मदत होती है। जैसे ही मैं कई स्कूल जाते बच्चो को देखती हु तो उन्हें देखा के लगता है यह उम्र से पहले ही बड़े हो चुके है और कुछ अपना बचपन ढूढ़ रहे है। उन्हें खुदका जानने का समय हम खुद ही नहीं दे रहे यह माता-पिता को जान लेना चाहिए।

 

अगर आप अपने बच्चो को पढाई के साथ साथ कुछ और भी सीखना चाहते है, यह अच्छी बात है, आज के ज़माने की जरुरत है लेकिन कही इन सब बातो से हम आपने बच्चे की असली जरूरतों को नजरअंदाज तो नहीं कर रहे इसका ध्यान रखे। जैसे आप पढाई के साथ उनसे ये जानने की कोशिश करे के उनका कौनसी चीज़े करने ज्यादा आनंद मिलता है।

 

सामान्य मनुष्य को हमेशा खुश रखने का यह एक उपयोग है की उसे उसके पसंद की चीज़े करनी दी जाये।  तो यदि आपका बच्चा डांस करना चाहता है उसे डांस क्लास में एडमिशन दिला दे या किसी खेल में रूचि हो तो ऐसे ही किसी क्लास में एडमिशन दिलाये। जिन चीज़ो में आनंद मिलता है वह चीज़े बच्चे बड़ी चाव से करते है और खुदको आकर देने में सफल भी हो जाते है ।

 

बच्चो को खेलना, बच्चो से बाते करना उन उनके उम्र वाले बच्चो में टाइम बिताना देना चाहिए इससे उनको खुदको जानने  में मदद होती है। मुझे लगता है आप अपने बच्चो को जाने और उन्हें उनका समय दे, उम्र से पहले बच्चो में समझदारी आ जाये तो वह समाज को देखने के नजर्ये पे प्रभाव डालता है। बच्चो को कोई भी बात करने के लये जोर न दे, इससे उनकी मानसिक स्थिति पर परिणाम हो  सकता है।

 

बच्चों को खेलने दे और खिलने दे !

 

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