11 Feb 2019 | 1 min Read
Roop Tara
Author | 15 Articles
नवजात शिशु को देखभाल की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। शिशु की अच्छी सेहत और साफ-सफाई के लिए हमारे यहां परंपरिक रूप से उबटन लगाया जाता है। दरअसल नवजात शिशु को तरह-तरह के संक्रमण और मौसमी बीमारियों का खतरा होता है। उबटन न सिर्फ शिशु के शरीर से अतिरिक्त बाल को निकालता है, बल्कि उसकी अच्छी सेहत के लिए भी बहुत जरूरी होता है।
शिशु को उबटन लगाने से उसके शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है। शिशु के नाजुक शरीर में रक्त का प्रवाह जितना अच्छा होगा, उसका मानसिक और शारीरिक विकास उतना अच्छा होगा। इसलिए शिशु के लिए उबटन जरूरी माना जाता है।
इस बात के वैज्ञानिक प्रमाण मिले हैं कि उबटन लगाने से शिशु के शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं। इसके साथ ही उबटन के प्रयोग से शिशु की त्वचा में निखार आता है, जो आजीवन बना रहता है।
उबटन में तेल का भी प्रयोग किया जाता है इसलिए इसे लगाने से शिशु की त्वचा को जरूरी नमी मिलती है। सर्दियों में खासकर सर्द और रूखी हवा के कारण त्वचा रूखी होती है। आमतौर पर ज्यादातर शिशुओं को सरसों का तेल सूट करता है।
छोटे बच्चों के शरीर से अनचाहे बालों को हटाने के लिए और तमाम स्वास्थ्य लाभों के कारण बहुत पुराने समय से उबटन लगाने की परंपरा है। आमतौर पर आटे का उबटन शिशु के लिए बेहतर होता है। यह भी माना जाता है कि आटे की मालिश से रक्त संचरण को बढ़ावा मिलता है और शरीर से विषैले तत्व निकालने में भी मदद मिलती है। कुछ लोग मानते हैं कि बेसन और हल्दी से बना उबटन या फिर आटे, कच्चे दूध और गुलाब जल का लेप भी रोएं हटाने में मदद करता है।
शिशु की नाजुक त्वचा के लिए आटे का उबटन बहुत अच्छा माना जाता है। इसके लिए सबसे पहले थोड़ा सा आटे में ऑलिव ऑयल, थोड़ी हल्दी और पानी डालकर इसे मुलायम गूंथ लें। अब इसे गुनगुने तेल में डुबोकर शिशु के शरीर पर लगाकर मालिश करें। आटे की लोई को मुलायम बनाएं और त्वचा पर धीरे-धीरे लगाएं क्योंकि शिशु की त्वचा बहुत नाजुक होती है।
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