मैं एक माँ हूँ , भगवान् नहीं !

मैं एक माँ हूँ , भगवान् नहीं !

12 Mar 2019 | 1 min Read

Vavita Bhardwaj

Author | 44 Articles

एक औरत का जीवन चुनौतियों से भरा होता है ,ये बात किसी से छुपी तो नहीं है। जब घर में बेटी का जन्म होता है ,तभी से ये उम्मीद लगाई जाती है की वो बड़े होकर एक अच्छी ,संस्कारी औरत बनेगी। जैसे जैसे वो जीवन की राह में आगे बढ़ती है और बेटी से एक बहु , पत्नी और माँ बनती है। बाकी सारे किरदार एक तरफ ,जब एक औरत , जीवन के इस सफर में माँ का किरदार निभाती है , और कभी कभी वह ऐसी चुनौतियों का सामना करती है जिसके बारे में वह तैयार नहीं है। और उसे ज़रूरत होती है किसी के विश्वास भरे साथ की , किसी की सलाह की ! मगर अक्सर उसके कानों में जो शब्द गूँजतें है वो हैं ” तुम माँ हो , तुम सब जानती हो , सब सीख जाओगी। और इन्हीं शब्दों को अपने दिल बसाकर एक माँ ” परफेक्शन की दौड़ में शामिल हो जाती है।

हाल ही में ऑल आउट के एक वीडियो विज्ञापन में प्रचलित हुई एक माँ की कहानी # माँ हूँ ,मुझे सब कुछ नहीं पता ” जैसे शब्दों बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करते हैं। बच्चे को ज़रा भी कहीं चोट लगी , बच्चे की तबियत अगर ख़राब हुई , बच्चे ने देर से बोलना शुरू क्यों किया , बच्चा अभी तक चल क्यों नहीं पाता और वैगरह वैगरह जैसे सवाल हमेशा एक माँ से पूछे जातें हैं। और आज के समय में जहाँ माता पिता दोनों की वर्किंग हैं ,वहां भी ऐसे किस्से सुनने और देखने रोज़ मिल जाते हैं। अगर इन सवालों के जवाब में वो कहती है की वो भी नहीं जानती या उसे नहीं पता ! तब ” तुम माँ हो , तुम नहीं जानती, तो कौन जानेगा जैसे कड़वे वाक़या हमेशा एक औरत के आत्मविश्वास को खोखला करते रहतें हैं। और वो रोज़ हर काम बिलकुल ठीक तरीके से करने की जुगत में खाना पीना और अपना स्वास्थ्य भूल जाती है।

ज़रूरत है तो मानसिकता में बदलाव लाने की ,हम धीरे धीरे ही कोई नयी चीज़ को करना और समझना शुरू करते हैं , एक बच्चे को जन्म देने का अर्थ ये नहीं है की आपको बच्चे से जुडी हर बात का आना ज़रूरी हो ! जैसे की शिशु का भोजन , शिशु के कपडे, दिन भर की अन्य क्रियायें …. इन सब के लिए आप किसी घर के बड़े या किसी अन्य माँ की सलाह और अनुभव का लाभ उठा सकतीं है। कुछ नहीं हो जाता अगर आप कहतीं हैं ,की आप सब कुछ नहीं जानती। बच्चे के जन्म के बाद बढ़ते हॉर्मोंस के असुंतलन से आप खुद को कभी तनाव में और बहुत अकेला महसूस कर सकती हैं। कोशिश करें ज़्यादा से ज़्यादा घर के बाकि सदस्यों के बीच में उठे बैठें। जिससे आप खुद को अकेला महसूस नहीं करेंगी। आप एक माँ बनी है , ईश्वर नहीं! जिससे कोई गलती नहीं हो सकती। आप गलतियां करते करते ही शिशु की उचित परवरिश करना सीखेंगी।

बच्चे के बारे में सोचते सोचते , अपने स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ न करें जैसा की अक्सर नई माँयें करती हैं। ठीक समय पर भोजन और उपयुक्त मात्रा में नींद पूरी होना आपके लिए उतना ही आवश्यक है जितना की एक छोटे शिशु के लिए। अत्यधिक तनाव, अधूरी नींद और उचित मात्रा में पोषक तत्वों का अभाव आपके और शिशु के स्वास्थ्य पर ख़राब प्रभाव डाल सकता है।

दिनचर्या में कुछ छोटे बदलाव लाकर आप  अपना और शिशु का ख्याल बहुत अच्छे से रख सकतीं हैं :

हर छोटे बड़े काम के लिए एक निश्चित समय तय करें , जैसे सुबह का नाश्ता , शिशु की मालिश , उसको नहलाना , दोपहर के भोजन का समय और मेनू।

कोशिश करें जब बच्चा दोपहर में सोयें , उसके साथ आप भी नींद ले , उससे पहले ही सभी काम निपटाने का प्रयास करें।

खाने में कुछ आसान तरीके से बनने वाली चीज़े जैसे , दलिया , खिचड़ी ,दालें , कुकर में बनने वाली सब्ज़ियां आदि को ज़्यादा मात्रा में शामिल करें।

दादी नानी और बाकी घर के अन्य बड़े सदस्यों से परिवरिश की अनमोल सीख लेने में कोई बुराई नहीं हैं। याद रखिये वे भी कभी आपके ही जैसे हज़ार सवालों से घिरी हुई थी और समय के साथ बढ़ते अनुभवों से आज वे यहाँ तक पहुंची हैं।

बेबीचक्रा एप्प बच्चे और माँ से जुडी हर जानकारी ,विशेषज्ञों और लाखों माता पिताओं के अनुभवों का भण्डार है। रोज़ बच्चे और माँ के स्वास्थ्य से जुड़े घरेलू नुस्खे और डॉक्टर्स की सलाह आप ले सकतीं हैं। बच्चे के विकास की बात हो या फिर एक माता पिता के अनगिनत सवाल ,सबका जवाब आप बेबीचक्रा एप्प पर आसानी से पा सकते हैं।

 

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