3 Apr 2019 | 1 min Read
Kanch N
Author | 7 Articles
शिशु के गिरने, चोट लगने से उत्पन्न हालातों का सामना कैसे किया जाए और शिशु को गिरने से बचाने के लिए आइए जानें कुछ अनुभवी माताओं के जांचे-परखे तरीकों के बारें में।
यह अब तक की सबसे जरूरी सलाह है जो मेरी दोस्त और एक ज्यादा तर्जुबेकार माता से मिली है। शिशु के गिरने पर हर बार आपको घबराने के जरूरत नहीं है। शिशु गिरते ही हैं, तो पहली जरूरी बात है यह है कि आप शिशु को दिलासा दें क्योंकि आपका घबरा जाना और चिल्लाना शिशु को और ज्यादा डराता है तो ऐसे में शिशु को जोर से दबा कर अपने सीने से लगा लेना कमाल का काम करता है। जरूरी सलाह -शिशु के गिरने के बाद उसमें भरोसा जगाने और उसे शांत करने के लिए आपका प्यार-दुलार और देखभाल बहुत मददगार होती है।
जैसे ही आप इन हालात पर काबू पा कर संभल जाती हैं तो सबसे पहले यह पता लगाएं कि गिरने की वजह से;शिशु को लगने वाली चोट कितनी गंभीर है;और कहीं उसे डाॅक्टरी मदद की जरूरत तो नहीं है, जैसेः
शिशु की आखें पलट जाएं
शिशु बेहोश हो जाए
शिशु अपनी आखें न खोल रहा हो
शिशु का शरीर अकड़ जाए
गिरने से कुछ देर के बाद शिशु अचानक अशांत;हो जाए
कोई बाहरी चोट/घाव
शिशु में उल्टी हो या बैचेनी हो
शरीर की किसी खास जगह पर छूने से शिशु दर्द से चीख पड़ता हो
ऊपर बताए गए लक्षण गिरने की वजह से लगने वाली अंदरूनी चोट की ओर इशारा करते हैं और ऐसे में बिना देरी किए शिशु को डाॅक्टर के पास ले जाने की जरूरत है। चोट वाली जगह पर गुम्मड़ पड़ने या सूजन आने के मामले में, जैसा आमतौर पर गिरने के बाद होता ही है, बर्फ से ठंडी सिंकाई करें।
नोट – यदि बर्फ की सिंकाई करते समय ठंडा लगने की वजह से शिशु बिदके तो यह एक अच्छा संकेत है।
यदि आपका शिशु ज्यादा जोर से नीचे गिरा है और इसे लेकर आपके मन में किसी भी तरह की कोई शंका है तो शिशु पर 24 घंटे तक नज़र रखें और इन लक्षणों पर गौर करेंः
उल्टी होना
बेचैनी होना
शिशु को दौरा पड़े या उसका शरीर अकड़ जाए
खून बहना/घावों का उभरना
अपने सहज् ज्ञान पर भरोसा करें और यदि आपको शिशु के हाव-भाव में कोई भी बदलाव दिखाई दे तो जोखिम न लें और बिना देरी किये अपने शिशु के डाॅक्टर के पास पहुचें। यदि शिशु शांत है, ठीक से खा-पी रहा और नींद भी ले रहा है तो उसकी रक्षा करने के लिए ईश्वर का शुक्रिया अदा करें।
जैसे आपका शिशु चलना-फिरना शुरू करता है, घर को शिशु के लिए सुरक्षित बनाना बहुत थकाने वाला काम हो जाता है पर नीचे दिए गए तरीकों को अपनाकर आप इसे आसान कर सकती हैंः
शिशु को खासकर नुकीली चीजों के पास, किसी ऊंची जगह और बाथटब् जैसी जगहों पर कभी अकेला न छोड़ें। खिड़कियों में चटकनी/कुंडी जरूर हों और शिशु को बालकनी से दूर रखने के लिए भी अच्छा इंतजाम हो।
यह गिरने की सबसे बड़ी वजह होती है इसलिए यह पक्का करें कि शिशु को कभी भी किसी बहुत ऊंची जगह पर अकेला न छोड़ा जाए
लिंडेम बफर्स की मदद से यह आसानी से किया जा सकता है और यह आनलाइन खरीदे जा सकते हैं। इसके अलावा कोई भी ऐसी चीज जो शिशु को नुकसान पहुंचा सकती है, को शिशु की पहंच से दूर कर दें।
क्योंकि इनकी वजह से फिसलने पर गंभीर चोट आती है। अपने पास अच्छी तादाद में सूखे पोंछे रखें जिससे घर में किसी जगह पर गीला या फिसलन होने पर उसे सुखा कर खत्म किया जा सके। सोते समय शिशु की अच्छी सुरक्षा के लिए उसके पलंग पर के चारों ओर रेलिंग लगाएं और यदि आप शिशु की सुरक्षा और उसे गिरने के बचाने के लिए ज्यादा ही संजीदा हैं तो उसके बिस्तर को जमीन पर लगाने से अच्छा कुछ नहीं।
शिशु को कभी भी किसी ऐसी जगह पर अकेला न छोडें जो उसके कद से ज्यादा ऊंची हो। अब आखिरी और सबसे जरूरी बात, शिशु के गिरने या चोटिल होने पर अपने अंदर यह भावना न लाएं कि आप एक लापरवाह माँ हैं। यह हर जगह और हर किसी के साथ होता है।
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