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झूला या पालना का उपयोग करने के बारे में आप सभी को पता होना चाहिये ।

झूला या पालना का उपयोग करने के बारे में आप सभी को पता होना चाहिये ।

25 Apr 2019 | 1 min Read

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मैं दो बच्चों की मां हूं मेरा पहला बच्चा पश्चिमी देश में पैदा हुआ था जबकि मेरा दूसरा बच्चा भारत में हुआ था । पश्चिम की संस्कृति में मुख्य रूप से शिशुओ को पहले ही दिन से पालना या बेसिन में रखने की है । आसपास के बहुत से लोगो ने मुझे सलाह दी कि मै अपने बच्चें को झूले मे डालू, पारम्परिक भारतीय शिशु पालना लाऊं । शहरी क्षेत्रों मे झूला और पालना का उपयोग करने के लिये बहुत सारे विकल्प नही है ।

झूला और पालना में क्या अन्तर है ।

इन दोनो शब्दो का उपयोग एक साथ किया जाता है लेकिन इनके प्रकार,शिशु क्रेडल में अन्तर होता है । रॉकिंग क्रेडल कई रूपो में आते है । पारम्परिक पालने लकड़ी के या धातु के बने होते है । झूला अधिक पूराने जमाने के झूले की तरह होता है । जो सूती कपड़े के बने होते है और छत पर टंगे होते है । और इसे हिलाने के लिये पालना और झूला के बगल में बैठना पड़ता था जबकि आज के आधुनिक मॉडलो में खुद चलने वाले या मोटराइज्ड विकल्प है और यह टाइमर और एक संगीत मोबाइल के साथ आता है ।

क्या झूला या पालना का उपयोग करना सुरक्षित है ।

विशेषज्ञ कहते है कि शिशुओं के सोने के लिये एक ठोस सतह होनी चाहिये जबकि भारत में पीढ़ियो से झूले और पालने का उपयोग किया जा रहा है, वहां गिरने और चोट लगने की घटनाओं की सूचना मिली है जिसने झूला उपयोग करने की प्राथमिकता को बन्द कर दिया है ।

कभी-कभी बच्चें एक तरफ लुढ़क जाते है और पालने के फ्रेम में अपनी नाक को दबा लेते है जिससे कि उनकी सांस रूक जाती है और मृत्यु हो जाती है ।

आजकल इन दिनो बच्चें बहुत तेज है और जल्दी से रोल करना शुरू कर देते है, जिसके परिणाम स्वरूप व एक तरफ झूक जाते है जब वो झूले में सो रहे होते है ।

एक डर ये भी है कि रोलिंग के बाद बच्चें अपना सिर झूले पर लगा सकते है या अपनी उंगलियों को लकड़ी के खाचें मे फंसा सकते है जिससे चोट लग सकती है ।

क्या हमें झूले और पालने का उपयोग करना चाहिये ।

शिशुओं को पालने में हिलने की गति को मां के गर्भ में महसूस होने वाले हलचल से जोड़ सकते है जबकि झूला और पालना उन्हे आसानी से सो जाने में मदद करते है उन्हे झूले में सोने की आदत भी पड़ सकती है और घर से दूर होने पर माता-पिता के लिये यह चुनोतिपूर्ण हो सकता है ।

झूला या पालना का चुनाव करते समय  ध्यान रखने योग्य बातेः

 

  • झूला या पालना के लिये पहले हमेशा डॉक्टर से सलाह ले ।
  • बच्चें को हमेशा पीठ के बल झूले में लैटाये ।
  • सुनिश्चित करें कि पालना या झूला बच्चें के वजन को सहने के लिये पर्याप्त और मजबूत है ।
  • झूला या पालना में तकिया या मुलायम खिलौने अव्यवस्था में ना रखे ।
  • सुनिश्चित करें कि बच्चों के चारो तरफ वेंटिलेशन और बच्चा पसीने से तर नही है ।
  • सुनिश्चित करें कि झूले के अंदर पर्याप्त जगह है ।
  • पालने को हमेशा अपनी नजर में रखे और हरपल शिशु को देखते रहे ।
  • पालने के पास पालतु जानवरो को आने की अनुमति न दे ।
  • हमेशा अपने बच्चें को धीरे से घुमायें ।
  • पालने पर कोई भी माला न लटकायें ।
  • कभी भी मच्छरदानी को पालने पर ना बांधे ।

ध्यान रहें पालना किटाणुरहित है साफ सुथरा है और यदि धातु से बना है तो इसमे जंक नही लगना चाहिये ।
हमने पारम्परिक पालने के फायदे और नुकसान के बारे में उल्लेख किया है । हम पालना जैसे अन्य आधुनिक बच्चें के बिस्तर के विक्लपो के बारे में भी जानते है ।
शहरी लोग सुरक्षा उद्देश्यों के लिये कार की सीटो का भी उपयोग करते है ताकि बच्चा आराम से सो सके ।
झूला या पालना के बारे में जानने के बाद यह कभी न भूले जो आप अपने बच्चें के लिये चुनते है वह सुरक्षा की नजर से सटीक होना चाहिये ।

 

यह भी पढ़ें: शिशुओं के सोने का पैटर्न- अपने बच्चे को बेहतर नींद में मदद करे

 

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