14 May 2019 | 1 min Read
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दांतो की समस्याए शिशुओ मे भी देखने को मिलती है. शुरुआती समय मे यह शिशुओ मे निम्नलिखित लक्षण पैदा करती है, जैसे शिशु का असामान्य रूप से चिडचिडा होना, और अक्सर परेशान रहना. ज्यादातर शिशुओ मे यह एक साल की उम्र मे देखा जाता है.और यह काफी दर्दनाक हो सकता है. सभी बच्चे अपने स्वभाव के आधार पर अलग अलग प्रकार से प्रतिक्रिया करते है. कई ऐसी दवाये काउनटर पर उपलब्ध है जो कि यूएस के खाद्य औषधी प्रशाधन के अनुसार शिशुओ मे शुरुआती समस्याओ को कम करने का दावा करती है. जो केवल 2 वर्ष की उम्र से अधिक उम्र के बच्चो के लिये उपयुक्त है.क्योंकी छोटे बच्चो के लिये वे हानिकारक हो सकती है. भारत मे एक ही तथ्य है कि वकालत करने वाले का कोई रेकोर्ड नही है ,यहा सुरक्षित होना ही बुद्धीमानी है.
बर्फ के टुकडे को अपने बच्चे की शुरुआती समस्या से आराम दिलाने का सबसे आसन तरीका है. यह उनके मसूडो को सुन्न करता है और दर्द को खत्म करता है. अपने बच्चे को चबाने के लिये एक साफ ठंडा गीला कपडा दे. इससे जलन से आराम मिलेगा. कई माता पिता स्वास्थ्यप्रद विकल्प देना भी पसंद करते है जैसे कि गाजर, खीरे को चबाना ,या घर मे बने दही का सेवन कराना .यह बिलकुल सुरक्षित है .भोजन विकल्प देने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ले. इसी तरह अपने बच्चे को ठंडा चम्मच दे यह बच्चे के सामने आने वाली शुरुआती समस्या को कम करने मे मदद करता है. आपको फ्रीज मे एक साफ स्टील का चम्मच रखना है ,जब यह ठंडा हो जाये तो इसे अपने बच्चे को चबाने को दे. ऐसा करने से बच्चे के मसूडे सुन्न हो जायेंगे और इससे दर्द कम होगा और सूजन मे भी कमी आयेगी.
यह आपके बच्चे को दर्द से निजात दिलाने का एक बेहतरीन प्राकृतिक तरीका है. चूसने से उन्हे आराम मिलेगा. लेकिन जलन के कारण बच्चे इसे काट भी सकते है. ऐसे मामले मे यह ना दे. आप चाहे तो बच्चो के मसूडो पर हल्का दबाव डाले और स्तनपान बंद करते वक़्त अपनी उंगली से मसूडो पर मालिश करे. याद रहे स्तनपान सभी बच्चो पर काम नही करता. अगर यह काम ना करे तो अन्य विकल्प चुने.
भारत मे एक परंपरा बहुत ही लोकप्रिय है ,जब बच्चा पैदा होता है तो उसे शहद चटाया जाता है. जो कि बच्चे के पेट को साफ करने के लिये जाना जाता है. इसके अलावा शहद का उपयोग नवजात समस्याओ को दूर करने के लिये किया जाता है. अपने बच्चे के मसूडो पर कम मात्रा मे शहद को रगडे. शहद मे काफी गुण पाए जाते है, शहद ना केवल आयुर्वेद मे बल्कि प्राचीन चीनी, और मिस्र के राजवनशो मे एक औषधीय बाम के रूप मे इसका उपयोग किया जाता था. अपने पूर्वजो पर भरोसा करे और अपने बच्चे के लिये घरेलू प्राकृतिक उपचार अपनाये.
यह तेल शानदार प्राकृतिक उपचारो मे से एक है .इसको बच्चे के मसूडो पर रगडने से दर्द मे राहत मिलती है.यह नारियल तेल खाने योग्य होता है और शिशुओ के लिये पुरी तरह से सुरक्षित है. लेकीन फिर भी आप प्रयोग से पहले डॉक्टर से सलाह ले.
यदि आपको लगता है कि बच्चे का दर्द सहन करना मुश्किल है तो अप तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श ले. यह उपाय बिलकुल सुरक्षित और प्राकृतिक है. क्योंकी शुरुआती लक्षणो मे बच्चे को दस्त और बुखार हो सकता है, लेकिन आप चिंता ना करे यह दांत आने और बच्चे के बडे होने का समय है. बच्चा जल्द ही अपने प्यारे प्यारे छोटे छोटे दांतो के साथ खुशी से मुस्कुरायेगा.
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