28 Jun 2019 | 1 min Read
सुमन सारस्वत
Author | 60 Articles
इस साल आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या, मंगलवार 2 जुलाई 2019 को खग्रास सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। यह सूर्य ग्रहण दक्षिण प्रशांत महासागर से प्रारंभ होकर दक्षिणी अमेरिका के कुछ भागों में प्रवेश करते हुए एवं चिली होते हुए अर्जेंटीना में खग्रास रूप में दिखाई देगा। इस सूर्य ग्रहण का मोक्ष अटलांटिका में होगा।
सूर्य ग्रहण भारतीय मानक समयानुसार मंगलवार 2 जुलाई की रात 10 बजकर 25 मिनट पर स्पर्श करेगा और रात में 12 बजकर 53 मिनट ग्रहण का मध्य होगा तथा मोक्ष भोर में 3 बजकर 21 मिनट पर होगा। अतः भारतीय ज्योतिषियों के अनुसार रात में लगाने वाले सूर्य ग्रहण का कोई विशेष धार्मिक महत्व नहीं होता। यह सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देने के कारण इस सूर्यग्रहण के यम-नियम भारत में रहने वाले निवासियों पर प्रभावी नहीं होंगे।
चूंकि ग्रहण के दौरान विकिरण होता है जिसका सूक्ष्म प्रभाव वातारण और हम पर पड़ता है। पूरे ब्रह्मांड में कोई भी परिवर्तन हो उसका प्रभाव पड़ता ही है, इसलिए ज्योतिषियों के अनुसार कुछ साधारणतया नियमों का पालन कर लेना आवश्यक है-
ग्रहण भारत में न दिखने के कारण गर्भवती महिलाओं को भी अतिरिक्त सावधानी की जरूरत नहीं है। लेकिन शास्त्रों के जानकारों के अनुसार गर्भवती महिलाओं को भी कुछ बातों का पालन करना चाहिए-
गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें तो अच्छा।
इस साल का पहला खंडग्रास सूर्य ग्रहण 5/6 जनवरी 2019 को पड़ा था। सूर्यग्रहण एवं चंद्रग्रहण मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं- खग्रास और खंडग्रास। जब ग्रहण पूर्णरूपेण दृश्यमान होता है तो उसे ‘खग्रास’ कहते हैं। जब ग्रहण कुछ मात्रा में दृश्यमान होता है, तब उसे ‘खंडग्रास’ कहा जाता है। आंशिक सूर्यग्रहण में चंद्रमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पाता है। इससे सूर्य का कुछ भाग ग्रहण ग्रास में तथा कुछ भाग ग्रहण से अप्रभावित रहता है। वर्ष 2019 में 3 ग्रहण होंगे जिनमें केवल दो ग्रहण ही भारतवर्ष में दिखाई देंगे। इस साल का तीसरा एवं अंतिम ग्रहण कंकण सूर्यग्रहण 26 दिसंबर 2019 को लगेगा जो सुबह 08:17 से 10:57 बजे तक रहेगा। यह खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा, जो मूल नक्षत्र एवं धनु राशि पर मान्य होगा। यह भारत में दिखेगा, इसलिए इसका सूतक भी लगेगा। यह खंडग्रास सूर्यग्रहण केवल दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में ही दृश्यमान होगा। यह ग्रहण जहां दृश्यमान होगा, उन क्षेत्रों में ग्रहण के यम-नियम मान्य व प्रभावी होंगे।
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो सूर्य ,चंद्र व पृथ्वी की विशेष स्थिति के कारण बनती है। अन्य देशों के लिये सूर्य ग्रहण का वैज्ञानिक महत्व होता है। वैज्ञानिकों के लिये यह दिन बड़ा महत्व रखता है। इस दिन वैज्ञानिकों को शोध करने के नए अवसर प्राप्त होते हैं क्योंकि ब्रह्मांड को समझने में सूर्य ग्रहण के दिन का खास प्रयोग किया जाता है। वैज्ञानिक सूर्य ग्रहण से संबंधित नए-नए रिसर्च करते हैं और खगोलीय रहस्यों को खोलने की कोशिश करते हैं। भारतीय वैदिक ज्ञान के आधार पर किसी खगोलीय पिंड का पूर्ण अथवा आंशिक रूप से किसी अन्य पिंड से ढंक जाना या पीछे आ जाना ग्रहण कहलाता है। जब कोई खगोलीय पिंड किसी अन्य पिंड द्वारा बाधित होकर दिखाई नहीं आता, तब ग्रहण होता है। सूर्य प्रकाश पिंड है, जिसके चारों ओर ग्रह घूम रहे हैं। अपनी कक्षाओं में घूमते हुए जब तीन खगोलीय पिंड एक रेखा में आ जाते हैं तब ग्रहण होता है।
सूर्य ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा आंशिक अथवा पूर्ण रूप से सूर्य ढंक लेता है। इस प्रकार के ग्रहण के लिये चंद्रमा का पृथ्वी और सूर्य के बीच आना आवश्यक है। इससे पृथ्वी पर रहने वाले लोगों को सूर्य का आवृत्त भाग नहीं दिखाई देता है। अमावस्या को ही सूर्य ग्रहण पड़ता है।
इसी जुलाई महीने में साल का दूसरा ग्रहण चंद्रग्रहण होगा, जो 16 जुलाई 2019 को लगेगा। यह खंडग्रास चंद्रग्रहण होगा। यह ग्रहण उत्तराषाढ़ा नक्षत्र एवं धनु-मकर राशि पर मान्य होगा।
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