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महिला वैज्ञानिकों की शक्ति का नाम है चंद्रयान-2

महिला वैज्ञानिकों की शक्ति का नाम है चंद्रयान-2

24 Jul 2019 | 1 min Read

चांद के रहस्यों को जानने के लिए सोमवार, 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र शार से भारत ने अपना चंद्रयान-2 का सफलता पूर्वक लांच कर दिया। करीब चार घंटे बाद रोवर और लैंडर भी अलग हो गए। 6 सितंबर को चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिणी सतह पर लैंड करेगा।

 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के सिवन ने बताया कि यह मून मिशन-2 इस बार दो वजहों से खास है। पहला यह कि चंद्रयान-2 चांद की दक्षिणी सतह पर उतरेगा। यहां इस क्षेत्र में अंधेरा रहता है जहां उतरने का साहस आज तक किसी देश ने नहीं किया। दूसरी सबसे बड़ी खास वजह यह कि इस मिशन की कमान दो महिला वैज्ञानिकों केे हाथ में है। उन्होंने यह भी कहा कि चंद्रयान-2 में पूरी टीम काम कर रही है मगर इसमें 30 फीसदी संख्या महिला वैज्ञानिकों की है।

 

चंद्रयान-2 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर मुथैया वनिता

भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब किसी अंतरिक्ष मिशन का नेतृत्व दो महिला वैज्ञानिकों के हाथ में रहा। चंद्रयान-2 की प्रोजेक्ट डायरेक्टर मुथैया वनिता हैं और मिशन डायरेक्टर रितु करिधाल श्रीवास्तव हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर मुथैया वनिता डेटा हैंडलिंग और डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग में माहिर हैं। चंद्रयान-1 (Chandrayaan-1) के अलग-अलग पेलोड्स से आने वाले डेटा का विश्लेषण वे ही करती थीं। 2006 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक पुरस्कार मिल चुका है। वे 20 साल से इसरो में काम कर रही हैं।

 

मिशन डायरेक्टर रितु करिधाल श्रीवास्तव

चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर रितु करिधाल श्रीवास्तव को रॉकेट वुमन के नाम से जाना जाता है। वह मंगलयान में डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर थीं। एयरोस्पेस इंजीनियर रितु करिधाल ने 1997 में इसरो में काम कर रही हैं। उन्हें मंगल मिशन के लिए भी पुरस्कार मिलने के बाद 2007 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड मिल चुका है।

अक्सर चांद की उपमा महिलाओं के मुख से दी जाती है। तो इस बार महिलाएं ही मून मिशन के जरिए देश को चांद पर ले जा रही हैं। मून मिशन में काम करने वाली अन्य महिला वैज्ञानिकों में प्रमुख हैं- टीके अनुराधा, जो जियोसैट प्रोग्राम डायरेक्टर हैं। साल 1982 से इसरो में काम करने वाली सबसे वरिष्ठ महिला वैज्ञानिक हैं। टेसी थॉमस को देश की मिसाइल वुमन के नाम से जाना जाता है। एन वालारमथि रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट में प्रयुक्त मिशन की प्रमुख हैं। वीआर ललितांबिका एडवांस्ड लॉन्चर तकनीक की विशेषज्ञ हैं। सीता सोमसुंदरम अंतरिक्ष विज्ञान कार्यक्रम कार्यालय में प्रोग्राम डायरेक्टर हैं। मौमिता दत्ता मिशन की प्रोजेक्ट मैनेजर हैं। मार्स पेलोड बनाने में योगदान दिया है। मीनल संपथ इसरो में सिस्टम इंजीनियर हैं। नंदिनी हरिनाथ इसरो में डिप्टी डायरेक्टर हैं। कीर्ति फौजदार इसरो की सबसे युवा कंप्यूटर वैज्ञानिक हैं।

इस तरह इसरो में नहिलाएं अपनी योग्यता और प्रतिभा के बल पर अपना परचम लहरा रही हैं।

 

चंद्रयान-2 मिशन की खास बातें

अक्टबूर 2008 में चंद्रयान-1 लॉन्च किया गया था जिसने चांद की सतह पर पानी का पता लगाया था। करीब 11 साल बाद इसरो दोबारा चांद पर तिरंगा लहराएगा। एक जानकारी के अनुसार चंद्रयान-2 मिशन अपने साथ भारत के 13 पेलोड और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का भी एक उपकरण लेकर जाएगा। इसमें 13 भारतीय पेलोड में से ऑर्बिटर पर आठ, लैंडर पर तीन और रोवर पर दो पेलोड और नासा का एक पैसिव एक्सपेरीमेंट (उपरकण) होगा। इस मिशन का कुल वजन 3.8 टन होगा। यान में तीन मॉड्यूल होंगे, जिसमे ऑर्बिटर, लैंडर जिसका नाम विक्रम दिया गया है और रोवर जिसका नाम प्रज्ञान दिया गया है। मिशन 6 सितंबर को चांद की सतह पर उतरेगा। इस मिशन के पूरा होने तक की यानी चंद्रयान-2 के चांद के रहस्यों को खोजने और धरती पर आने की वापस जिम्मेदारी मुथैया वनिता के कंधों पर है।

आज देश चांद की यात्रा में महिला शक्ति के दम पर आगे बढ़ रहा है। पूरे विश्व में भारत का नाम ऊंचा करने वाली इन महिला वैज्ञानिकों को देश का सलाम!!!

 

बैनर छवि: nari.punjabkesari

 

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