स्तनपान कराने में दें अपनी पत्नी का साथ

स्तनपान कराने में दें अपनी पत्नी का साथ

6 Aug 2019 | 1 min Read

बच्चे के जन्म के बाद नई मां अक्सर अपने बच्चे में व्यस्त हो जाती है। बच्चे को जन्म देने की पीड़ा, नवजात शिशु को संभालना और उसको स्तनपान कराना बहुत चुनौतीभरा काम होता है। ऐसे में मां का पूरा ध्यान केवल बच्चे पर ही होता है बल्कि उसे परिवार की मदद की जरूरत भी पड़ती है। कई बार पति खुद को उपेक्षित समझते हैं। उन्हें लगता है कि बच्चे के आने के बाद पत्नी उन पर ध्यान नहीं दे रही है। ऐसे में कुछ पतियों में असुरक्षा की भावना घर कर जाती है। वे पत्नी और बच्चे से खिंचे-खिंचे रहते हैं। इससे बचने का एक अच्छा तरीका है कि पति को भी अपनी पत्नी के साथ बच्चे को संभालने में अपना योगदान देना चाहिए। और वैसे भी अब पुरुषों को भी नौकरी से पितृत्व अवकाश मिलता है तो क्यों न वे इस सुनहरे मौके का फायदा उठाएं और अपनी पत्नी का सहारा बने। आखिर बच्चा तो दोनों का ही है न। इस तरह वे अपनी पत्नी को ऐसे नाजुक मौके पर भावनात्मक सहारा दे सकते हैं और बच्चा भी जल्दी ही मां के साथ-साथ पिता को भी पहचानने लगेगा। बच्चे को स्तनपान कराने की यात्रा में पिता अपनी पत्नी की मदद करके बच्चे के साथ भी अपना रिश्ता मजबूत बना सकता है।

एक पिता का फर्ज़

आज यह नया जमाना है, अगर पत्नी बाहर काम करके पति को आर्थिक रूप से मदद कर सकती है तो पति को भी मां बनने पर अपनी पत्नी की मदद करनी ही चाहिए। यह इंसानियत का तकाज़ा तो होता ही है और बाप-बेटे का रिश्ता भी मजबूत करता है। पति को अपने बचपन के दिन याद करने चाहिए जब वह छोटा बच्चा था तो उसे कैसे अपने पिता के सुरक्षित और मजबूत सहारे की जरूरत पड़ती थी। तो अब पति की बारी है कि वह अपने बच्चे का ध्यान उसी तरह रखे जैसे उसके पिता रखते थे और आज भी रखते हैं। पति को यह भी सोचना चाहिए कि उसे अपने पिता से जो उम्मीदें थीं वह अपने बच्चे की वैसी उम्मीदें पूरी कर सके। एक बच्चे के जीवन में पिता की भी अहम भूमिका होनी चाहिए। मां और पिता दोनों मिलकर अपने बच्चे का व्यक्तित्व गढ़ते हैं। जब आप अपने बच्चे की अच्छी तरह परवरिश करेंगे तो बच्चा भी बड़ा होने पर जब पिता बनेगा तो वह आपके नक्शे-कदम पर चलेगा। इसी तरह पीढ़ी-दर-पीढ़ी का निर्माण होता है। इसी तरह एक स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। इसी तरह एक परिवार बनता है। … तो पिता को भी चाहिए कि बच्चे की परवरिश में मां की तरह वह भी अपना बराबर का योगदान दें।
बच्चे के साथ मां का नया जन्म

डिलीवरी के बाद औरत बहुत ही कमजोर हो जाती है। नौ महीने की कष्टदायक गर्भावस्था के बाद एक बच्चे को जन्म देते समय उसे बहुत ही तकलीफों का सामना करना पड़ता है। वह अपनी जान पर खेल कर एक नई जान को जन्म देती है। इसीलिए कहते हैं कि बच्चे के जन्म के साथ-साथ मां का भी नया जन्म होता है। बच्चे को जन्म देते समय औरत को असहनीय दर्द से गुजरना जड़ता है। डिलीवरी के समय हड्डियों में दर्द, योनि में दर्द, योनि में टांके लगने की पीड़ा, ढेर सारा खून बह जाने पर कमजोरी आना और इन सबके साथ वह मानसिक और भावनात्मक रूप से भी बहुत डरी हुई होती है। बच्चे को स्तनपान कराने में भी दर्द का सामना करना पड़ता है। इतने सारे दर्द को झेलते हुए वह निढाल हो जाती है। इसलिए शारीरिक इलाज के साथ-साथ उसके मन का उपचार भी जरूरी है।

जब आपकी पत्नी आपके बच्चे को स्तनपान कराए तो इस तरह करें मदद-

 

1. भावनात्मक सहारा दें

जब आपकी पत्नी आपके नन्हे को स्तनपान करा रही हो तो उसे प्रोत्साहित करें कि आपके बच्चे को कितना प्यार दे रही है। उसके कारण आपको पिता बनने का मौका मिला है। यह आप दोनों के जीवन का सबसे अनमोल पल है। आप अपनी पत्नी को एक सरप्राइज गिफ्ट भी दे सकते हैं जिसके कारण आपका परिवार पूरा हुआ है। यह जताना भी न भूलें कि पूरा परिवार कितना खुश है। स्तनपान कराते समय पत्नी के पास बैठें।

2. पत्नी की जरूरत का ध्यान रखें

बच्चा धीरे-धीरे देर तक दूध पीता है। तो ऐसे में मां को थकान लगने लगती है। तो पति का चाहिए कि वह पत्नी की पीठ के पास तकिए लगा दे। अगर पत्नी लेटकर दूध पिलाना चाहे तो लेटने में उसकी मदद करें। पत्नी को चादर उढ़ा दें। पत्नी को गरम दूध या जूस या कुछ खाने को दे सकते हैं।

3. बच्चे का डायपर बदलें

डिलीवरी के बाद मां का शरीर कमजोर रहता है इसलिए उसे पानी में ज्यादा देर तक न रहने की सलाह दी जाती है। इसलिए अच्छा रहेगा कि अगर घर में कोई दूसरा न हो तो आप ही बच्चे का डायपर बदल दें। इससे मां को पानी में बार-बार हाथ गीला नहीं करना पड़ेगा। स्तनपान कराते समय आपके बच्चे को भी मां का गीला ठंडा हाथ नहीं लगेगा।

4. पत्नी के साथ मिलकर बच्चे को संभालें

जब मां बच्चे को दूध पिला ले तो पति का चाहिए कि वह बच्चे को गोद में लेकर उसे डकार दिला दे क्योंकि कमजोरी के कारण मां बच्चे को डकार दिलाने के लिए खड़ी नहीं हो पाती है। गीले कपड़े से बच्चे का मुंह पोंछ दें।

5. घर के काम में हाथ बंटाएं

बच्चे को स्तनपान कराने के लिए मां को काफी समय और धैर्य की जरूरत होती है इसलिए पिता को चाहिए कि वह घर के हल्के-फुल्के काम निपटा लें ताकि मां पर उन कामों को करने की चिंता न रहे। जैसे- सिंक में पड़े बर्तन साफ कर दें। खाने की तैयारी कर दें। घर की बिखरी चीजों को उठा कर रख दें। बच्चे के सूखे कपड़े, खिलौने उसकी दवाइयां, डायपर आदि को सही जगह पर रख दें।

6. पत्नी को पूरी नींद लेने दें

स्तनपान कराते-कराते जब पत्नी की आंख लग जाए तो आपको ध्यान रखना चाहिए कि उसकी नींद में खलल न पड़े क्योंकि ऐसी अवस्था में बड़ी मुश्किल से नींद आती है। मां और बच्चे की अच्छी सेहत के लिए उनकी भरपूर नींद लेना भी जरूरी है।

7. बच्चे को खिलाएं

जब मां आराम कर रही हो या दूसरे काम में बिज़ी हो तो आप बच्चे का ध्यान रखें। बच्चा अगर जगा हो तो उससे प्यार भरी बातें करें, उसे गोद में लें, अपने शरीर से लगा कर रखें तभी तो बच्चा अपने पिता के स्पर्श को पहचानेगा। यही समय होता है अपने बच्चे से लगाव बनाने का। बच्चे को गोद में लेकर कमरे के अंदर-बाहर घुमाएं। उसे दुनिया से परिचित कराएं।

8. पत्नी की देखभाल करें

डिलीवरी के बाद मां को अल्यधिक पोषण की जरूरत होती है ताकि उसके स्तनों में अपने बच्चे को पिलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में दूध बने। इसलिए उसके आहार का ध्यान रखें। डिलीवरी के बाद जच्चा को खिलाई जाने वाले पारंपरिक पौष्टिक चीजें जैसे हरीरा, मेथी-गोंद और सूखे मेवों से बनने वाले लड्डू सोंठवरा आदि की व्यवस्था की जिम्मेदारी पति की ही होती है। और आप यह भी सुनिश्चित करें कि पत्नी उसे समय-समय पर गरम दूध के साथ जरूर खाए। भई, पत्नी के नखरे इस समय आपको उठाने भी चाहिए।

9. जरूरत पड़ने पर डॉक्टर को दिखाएं

कई बार किन्हीं कारणों से नई मां के स्तनों में दूध नहीं उतरता है या स्तनपान कराने में कोई तकलीफ होती है तो ऐसे में पत्नी को तुरंत डॉक्टर से पास ले जाना चाहिए। डॉक्टर जो इलाज बताएं उसे जरूर करना चाहिए क्योंकि मां और बच्चे के लिए यही बेहतर होगा।

10. सार्वजनिक स्थानों पर पत्नी की मदद करें

हमारे देश में अभी भी सार्वजनिक स्थानों पर ऐसी सुविधा नहीं बनाई गई है जहां एक मां अपने बच्चे को स्तनपान करा सके। इसलिए कहीं बाहर जाने पर अगर आपका बच्चा भूख से परेशान हो और वह दूध पीना चाहे तो आपको पत्नी को अपना आड़ में ले लेना चाहिए ताकि वह बच्चे को स्तनपान करा सके।

…. तो अगर आप भी अपने बच्चे और पत्नी से प्यार करते हैं तो स्तनपान कराने में अपनी पत्नी का साथ दीजिए। आखिर यह बच्चा आपका अपना अंश है और आपकी पत्नी ने नौ महीने उसे अपनी कोख में पाला है और भयानक प्रसव-पीड़ा सह कर आपके बच्चे को जन्म दिया है। इसी तरह आपने भी अपनी मां के गर्भ से जन्म लिया था तो अपनी मां के प्रति प्यार-सम्मान देने के लिए अपनी पत्नी के प्रति अपना फर्ज़ जरूर निभाएं। स्तनपान में पत्नी की मदद करें और बच्चे की परवरिश में बराबर का योगदान दें।

 

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