17 Sep 2019 | 1 min Read
Ankita Mishra
Author | 409 Articles
अगर शरीर को पौष्टिक आहार मिले, तो शरीर कई बीमारियों से सुरक्षित रहेगा और शरीर का विकास भी उचित रूप से होता रहेगा। लेकिन अगर ऐसा न हो, तो हमारा शरीर कुपोषण से ग्रस्त हो सकता है। कुपोषण एक ऐसी बीमारी है, जो आमतौर पर किसी भी उम्र में लोगों को अपना शिकार बना लेती है, लेकिन बच्चों में कुपोषण के लक्षण (kuposhan ke lakshan) खासतौर पर देखे जा सकते हैं।
यही वजह है कि बेबीचक्रा के इस लेख में हम बच्चों में कुपोषण के कारण, कुपोषित बच्चे के लक्षण और कुपोषण से उपाय बता रहे हैं। उम्मीद है कि यह लेख बच्चों व शिशुओं में कुपोषण के लक्षण की रोकथाम करने में मददगार साबित होगा।
कुपोषण क्या है, आमतौर पर इसे कोई बीमारी नहीं मानी जा सकती है। दरअसल, किसी भी बच्चे या वयस्क के बेहतर शारीरिक विकास के लिए कैल्शियम, पोटेशियम, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, फाइबर व लिनोलिक एसिड के साथ अन्य आवश्यक मिनरल्स की भी आवश्यकता होती है। ये सभी मिनरल्स व विटामिन मुख्य रूप से हमें आहार के जरिए ही मिलते हैं। वहीं, अगर किसी कारणवश हमारे शरीर में या बच्चे के शरीर में इन पोषक तत्वों की मात्रा जरूरत से अधिक घट या बढ़ जाए, तो यह बच्चे के स्वास्थ्य व विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
शरीर में इन्हीं पोषक तत्वों की कमी होने से बच्चों की सामान्य औसतन कद, वजन व मानसिक विकास भी प्रभावित हो सकता है। जबकि, अगर शरीर में पोषक तत्वों की अधिकता हो जाए, तो बच्चों में मोटापा जैसी अन्य स्थितियां देखी जा सकती हैं। इस तरह की दोनों ही परिस्थितियां बच्चों में कुपोषण को दर्शा सकती हैं। इसे ही बच्चों में कुपोषण कहा जा सकता है।
सामान्य रूप से बच्चों में कुपोषण के लक्षण नजर नहीं आते हैं, लेकिन जैसे-जैसे कुपोषित बच्चे के लक्षण गंभीर होने लगेंगे, तो इसके लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते हैं। नीचे हम बच्चों में कुपोषण के लक्षण (kuposhan ke lakshan) बता रहे हैं, जो निम्नलिखित हैंः
बच्चों में कुपोषण के कारण कई हो सकते हैं। इसमें शामिल है:
शिशुओं व बच्चों में कुपोषण से बचाव के उपाय तभी किए जा सकते हैं, जब बच्चों में कुपोषण के लक्षण पता हो। इसलिए, अगर किसी भी उम्र में कुपोषित बच्चे के लक्षण सामने आते हैं, तो जल्द के जल्द उसके दैनिक आहार में शामिल खाद्य पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही नीचे बताई गई बातों का भी ध्यान रखना चाहिए।
एक बात का ध्यान रखें कि बच्चों में कुपोषण से बचाव के उपाय तभी कारगर होंगे, अगर बच्चों में कुपोषण के लक्षण सामान्य या शुरूआती हो। अगर कुपोषित बच्चे के लक्षण अधिक गंभीर हो गए हैं, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टरी इलाज को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसके लिए डॉक्टर रिससिटेशन एंड स्टेबलाइजेशन (Resuscitation and Stabilization) या न्यूट्रिशनल रिहैबिलिटेशन (Nutritional Rehabilitation) के जरिए भी बच्चों में कुपोषण का इलाज कर सकते हैं।
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