14 Nov 2019 | 1 min Read
Soma Sur
Author | 5 Articles
माता-पिता बनना अपने आप में ही एक सुखद एहसास होता है! अपने नन्हे प्रतिरूप को दुनिया में लाना कितना अनोखा होता है, है न! उसका हंसना-मुस्कुराना, उसका सोना-जगना सब कितना अद्भुत लगता है। लेकिन कई बार नए-नए माता-पिता के लिए ये समझना भी बड़ा मुश्किल होता है कि उसका बच्चा क्यों रो रहा है? उसे क्या हो गया है? वह क्यों इतना घबराया हुआ है? मां-बाप समझ नहीं पाते हैं कि आखिर बच्चे को कैसे चुप कराएं!
कभी-कभी मैं सोचती हूं कि कितना अच्छा होता, अगर बच्चा अपने साथ एक गाइड बुक लेकर आता! …तो फिर माता-पिता के लिए उसकी हर एक तकलीफ को समझना कितना आसान होता! वक्त-बेवक्त बच्चे का रोना, घबराहट भरी उसकी चीखें, उसकी बेचैनी… इन सबके जरिए बच्चा अपने माता-पिता को यह बताना चाहता है कि वह ठीक नहीं है। एक रिसर्च के मुताबिक करीब 39% बच्चे दिनभर में 3-4 घंटे रोते हैं। इनमें से लगभग 10.3% बच्चों को शांत कराना बड़ा मुश्किल हो जाता है।
बच्चे के साथ रात-रात भर जगने और सो नहीं पाने के कारण परेशान होने के बावजूद माता-पिता अपने बच्चे की हर तकलीफ, हर परेशानी को जानना-समझना चाहते हैं। उनकी हमेशा यही कोशिश रहती है कैसे बच्चे की तकलीफ दूर हो और वह चुप हो जाए! पहली बार माता-पिता बने लोगों को बच्चे पालने का अनुभव नहीं होता, वे इन परिस्थितियों से अनजान होते हैं। इसलिए बच्चे के बेचैन होने पर वे हर उपाय आजमानना चाहते हैं, जिससे उनके बच्चे को आराम और सुकून मिले। इनमें से एक उपाय जो हमेशा कारगर साबित होता है, वो है माता-पिता का स्पर्श। जब हम हच्चे को सहलाते हैं तो अधिकतर बच्चे माता-पिता के स्पर्श को पहचान कर शांत हो जाते हैं। इसलिए स्पर्श का सबसे उपाय है बच्चे को मसाज या मालिश करना।
बच्चे की अगर ‘विक्स बेबी रब’ से हल्की मसाज की जाए तो उसे दर्द से तुरंत राहत मिलती है और वह सुकून की नींद सो जाता है। ‘विक्स बेबी रब’ में नारियल तेल, एलोवेरा, लैवेंडर और रोज़मेरी के प्राकृतिक सत्व हैं जो दर्द में राहत देते हैं। ‘विक्स बेबी रब’ से बच्चे की हल्की मालिश से बच्चे के शरीर में रक्त प्रवाह सुचारू हो जाता है जिससे उसे आराम मिलता है और वह शांत हो जाता है।
नियमित मसाज जहां बेबी को आराम पहुंचाता है वहीं माता-पिता के साथ उसके संबंधों को भी मजबूत बनाता है। डेली रूटीन बनाना बच्चों के लिए फायदेमंद होता है। बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए डेली रूटीन बेहद जरूरी है।
डेली रूटीन यानी कि समय पर बच्चे को दूध पिलाना, मसाज करना, नहलाना, सुलाना और बच्चे का खेलना। इससे बेबी का समुचित विकास होता है। बच्चे के 3 महीने का होने से पहले ही आप उसके डेली रूटीन की शुरुआत कर सकती हैं।
डेली रूटीन के फायदे-
डेली रूटीन की आदत पड़ जाने के बाद बच्चा अपने हर अगले काम के लिए उत्सुक बना रहता है। जैसे यदि आप शाम को बच्चे को कई दिनों तक बाहर घुमाने ले जाते हैं तो कुछ दिनों के बाद वह उसी समय बाहर जाने के लिए बेकरार रहेगा। इसी तरह मसाज का समय हो जाने पर भी बच्चा अपने नन्हे-नन्हे हाथ-पैर चला कर आपको मसाज की याद दिलाएगा।
माता-पिता अपने बच्चे की खुशी के लिए कुछ भी कर सकते हैं। रोते हुए या घबराए हुए बच्चे की मालिश करना, उसे सीने से लगाना, पसंदीदा खाना खिलाना या रोते समय उनका ध्यान दूसरी ओर खींचना- यह सब ऐसे छोटे-छोटे उपाय हैं जिन्हें आप कर सकते हैं। डेली रूटीन यानी सही दिनचर्या, जो बच्चों के संपूर्ण मानसिक और शारीरिक विकास के लिए फायदेमंद होती है। परेशान और थके हुए बच्चे को माता-पिता का प्यारभरा स्पर्श तुरंत आराम पहुंचाता है और उसे अच्छा महसूस होता है और वह मजे से खेलने लगता है।
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