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बच्चे के मस्तिष्क के विकास  के लिए एक अंतिम पोषण  मार्गदर्शक ( गाइड )

बच्चे के मस्तिष्क के विकास के लिए एक अंतिम पोषण मार्गदर्शक ( गाइड )

11 Dec 2019 | 1 min Read

Seema Pramod

Author | 4 Articles

एक बच्चा सौ अरब से भी अधिक तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन्स ) के आपस में जुड़ने और उनमें होने वाली निरंतर प्रक्रिया के होने के कारण होता है।। वैज्ञानिकों के अनुसार यह संसार का सबसे कठिन और बहुत ही जटिल प्रणाली मानी जाती है।।

आपके बच्चे के मस्तिष्क का विकास आपके गर्भावस्था के दौरान बहुत ही अविश्वसनीय ढंग से होता है। गर्भवती महिला जितना भी पोषण अपने पूरे गर्भावस्था के अंतराल लेती है, बच्चे के मस्तिष्क के विकास में बहुत ही कार्य महत्वपूर्ण भूमिका निभा है जिसमें याददाश्त या यूं कहें कि याद करने की क्षमता को बढ़ाने में मददग़ार साबित होता है।

तो आइए जानते हैं कि पोषण किस तरह गर्भावस्था में बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और पूरे गर्भावस्था के दौरान क्यों जरूरी होता है?

पहला पड़ाव- पहला और दूसरा महीना

तकनीकी रूप से बच्चे के दिमाग के विकास की शुरुआत गर्भावस्था के तीसरे हफ्ते से चालू हो जाता है। चौथे हफ्ते में गर्भ में बच्चे के दिमाग का स्वरूप किसी नमक के एक दाने जितना होता है और ये सातवें हफ्ते तक ज्यादा से ज्यादा तीन गुना तक बढ़ा हुआ होता है। फॉलेट की भरपूर मात्रा का खाना भी एक अहम भूमिका अदा करते हैं। लाल रक्त कणिकाएं के बनने में और मस्तिष्क से मेरुदंड तक जाने वाली तंत्रिका के बढ़ने में मदद करता है।

पहला पड़ाव- तीसरा महीना

तीसरे महीने के अंतिम चरण या पहले पडाव के आखिर तक तंत्रिका, जैसे- मस्तिष्क, मेरुदंड(स्पाइनल कॉर्ड), और सभी तांत्रिका ऊतक जो बीच के तंत्रिका तंत्र अच्छी तरह से बन चुके होते हैं। मेरुदंड (स्पाइनल कॉर्ड) के बढ़िया तरीके से बनने में और दिमागी विकास में विटामिन बी भी एक खास भूमिका निभाता है।

 

दूसरा पड़ाव- चौथा महीना

दूसरे पड़ाव के दौरान आपके बच्चे का मस्तिष्क डायाफ्राम और छाती की मांसपेशियों के स्थिर संकुचन को निर्देशित करता है। गर्भावस्था में हमेशा तनाव से दूर रहने की सलाह दी जाती है। ज्यादा तनाव में रहने से होने वाले बच्चे के मस्तिष्क में जन्मजात खराबी की संभावना बढ़ सकती है। विटामिन बी12  के लगातार सेवन से हम स्पाइना बाइफिडा और बच्चे में रीढ़ की हड्डी और अन्य केन्द्रीय तंत्र के जन्मगत दोषों को रोकने में काफी मदद मिलती है। ये बच्चे के विकास में बहुत ही अहम भूमिका निभाता है।

 

दूसरा पड़ाव- पांचवा महीना

दूसरे पड़ाव के इस महीने में आपके बच्चे के शरीर में हर एक मिनट में ढाई लाख तक कोशिकाएं बनती हैं। ये कोशिकाएं बच्चे के मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्से में बहुत ही तेजी से फैलती हैं, जहां ये कोशिकाएं बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। जैसे- तरह तरह की आवाज़,  यादों को संजोने में भी मददग़ार सिद्ध होती हैं। डीएचए मस्तिष्क कोशिका की झिल्ली में पाया जाता है, इसीलिए बहुत सारे तरीके हैं जो मस्तिष्क के कार्य को प्रभावित कर सकते हैं।

इसीलिए इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि डीएचए  हमारे रोजमर्रा में लिए जाने वाले न्यूट्रिशन में जरूर शामिल हो।

दूसरा पड़ाव-  छठा महीना 

दूसरे पड़ाव एक अंत तक आते-आते, आपका होने वाला  बच्चा अपने मस्तिष्क में होने वाली कसरत और दिल की धड़कन और साथ ही साथ रक्त को पूरी तरह से नियंत्रित करता है जो लगभाग पूरी तरह से परिपक्व है।

आपके बच्चे का मस्तिष्क जो अब प्राक्रतिक तरीके से आंखों को झपकाना और निगलने और चखने जैसी प्राक्रतिक प्रतिक्रियाओं को व्यक्त करना सीख चुका होता है। आप अपने रोजमर्रा में आयरन के सेवन को इतना बढ़ावा दीजिए क्योंकि ये जीवनदायी ऑक्सीजन को शिशुओं के मस्तिष्क और शरीर के अन्य भागों में पहुंचाने में मदद करता है।

 

तीसरा पड़ाव-  सातवाँ महीना

तीसरे पड़ाव की शुरुआत में आपके बच्चे में बहुत तेजी से मस्तिष्क का विकास हो रहा होता है। इस महीने के बाद से आपके बच्चे के मस्तिष्क का वजन भी बढ़ रहा होता है। मस्तिष्क का वजन लगभग 300 ग्राम हो चुका होता है। बच्चे के मस्तिष्क के विकास के लिए प्रोटीन से भरपूर भोजन का लेना जारी रखें। विशेष रूप से बच्चे के शरीर के पूर्णरूप से विकास में, शरीर के अंगों का पूरी तरह से विकसित होने के लिए प्रोटीन की बहुत ही ज्यादा आवश्यकता होती है, जो उसे सांस लेने, चलने और बात करने में मदद करता है।

 

तीसरा पड़ाव-  आठवां महीना 

आठवें महीने तक, बच्चे के श्रवण अंगों की झिल्ली (प्रांतस्था), दृष्टि अंगों की झिल्ली (प्रांतस्था) और ब्रोका क्षेत्र 9 (उत्पादन मस्तिष्क का एक स्थान जो बोलने की क्षमता का निर्माण करता है) कार्य करना शुरू कर देता है, जिसके कारण आपके बढ़ते बच्चे के दृष्टि और ध्वनियों को समझाने और भाषा मे अंतर करने में विशेष ऊर्जा मिलती है। विटामिन ए और ई के निरन्तर सेवन से बच्चे के मस्तिष्क के ऊतकों को हानि पहुंचाने से बचाने में विशेष मदद मिलती है क्योंकि पोषक तत्व भी अपनेआप में प्रमुख एंटीऑक्सीडेंट होते हैं।

 

तीसरा पड़ाव-  नौंवा महीना

अपनी गर्भावस्था के अंतिम पड़ाव में बच्चे का मस्तिष्क पूर्ण रूप से विकसित हो चुका होता है और सक्रिय अवस्था  में होता है। बच्चे के विकास में प्रगति के साथ-साथ अपने नेटवर्क को फैलाने और मस्तिष्क की कोशिकाओं को और मजबूत बनाने के लिए कोशिकाओं( न्यूरॉन्स) को और ट्रांसमीटर की जरूरत होती है। आप अपने रोज के आहार में जिंक के सेवन से बच्चे के व्यवहार या कुछ भी सीखने की क्षमता में आने वाली समस्याओं से निज़ात पा सकते हैं।

 

ऊपर बताए गए पोषक तत्वों से भरपूर प्रीनेटल सप्लीमेंट्स और भरपूर मात्रा में आहार लेने के अलावा आप अपने रोज के आहार में आयोडीन की अच्छी मात्रा को भी शामिल करें, जिसके सेवन से  प्रसव के समय बच्चे में किसी भी तरह की कमी न हो। गर्भावस्था के दौरान शिशु का स्वस्थ मस्तिष्क का विकास ही स्वस्थ जीवन की कुंजी है।

 

सूचना:- आपका अपने सेहत के प्रति कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने विशेषज्ञ(डॉक्टर) से विचारविमर्श अति आवश्यक है। आप कोई भी सप्लीमेंट्स लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर करें।

 

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