20 Dec 2019 | 1 min Read
सुमन सारस्वत
Author | 60 Articles
इस साल 2019 का आखिरी सूर्यग्रहण 26 दिसंबर को होगा जो कि सुबह 8.17 बजे से सुबह 10.57 तक चलेगा यानी साल का ये आखिरी सूर्य ग्रहण 2 घंटे 40 मिनट तक चलेगा। इसे भारत में देखा जा सकेगा। भारत के अलावा यह सूर्य ग्रहण सऊदी अरब, कतर, सुमात्रा, मलेशिया, ओमान, सिंगापुर, नॉर्थन मरिना आईलैंड, श्रीलंका और बोर्नियो में दिखेगा। अगला सूर्य ग्रहण भारत में 21 जून, 2020 को दिखाई देगा।
भारत में ग्रहण देखने के लिए सबसे अच्छी जगह
बताया जा रहा है कि केरल के चेरुवथुर में सूर्य ग्रहण देखने की सबसे अच्छी जगह है। चेरुवथुर केरल के कसारागोड जिले में पड़ता है। एक अखबार के मुताबिक, ‘केरल की इस जगह से सूर्य ग्रहण बहुत ही साफतौर पर देखा जा सकता है।’ तो चेरुवथुर के लोग इस मौके को हाथ से जाने न दें।
साल 2019 के सूर्यग्रहण
साल 2019 में तीन सूर्य ग्रहण पड़े। पहला 6 जनवरी को आंशिक सूर्य ग्रहण (Partial Solar Eclipse) हुआ था। इसके बाद 2 जुलाई को आंशिक सूर्य ग्रहण ( Partial Solar Eclipse) हुआ। अब फिर 2019 का आखिरी और तीसरा सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को है, जिसे भारत में देखा जा सकेगा। 26 दिसंबर को वलयकार (Annular Solar Eclipse) सूर्य ग्रहण होगा यानी सूर्य आग के गोले ‘Ring of Fire’ की तरह दिखाई देगा। सुरक्षित रूप से इस खगोलिय घटना को देखना न भूलें।
सूर्य ग्रहण का सूक्ष्म प्रभाव
चूंकि ग्रहण के दौरान विकिरण होता है जिसका सूक्ष्म प्रभाव वातारण और हम पर पड़ता है। पूरे ब्रह्मांड में कोई भी परिवर्तन हो उसका प्रभाव पड़ता ही है, इसलिए ज्योतिषियों के अनुसार कुछ साधारणतया नियमों का पालन कर लेना आवश्यक है-
गर्भवती महिलाएं करें पालन
ग्रहण भारत में न दिखने के कारण गर्भवती महिलाओं को भी अतिरिक्त सावधानी की जरूरत नहीं है। लेकिन शास्त्रों के जानकारों के अनुसार गर्भवती महिलाओं को भी कुछ बातों का पालन करना चाहिए-
गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें तो अच्छा।
26 दिसंबर का खंडग्रास सूर्यग्रहण
इस साल का पहला खंडग्रास सूर्य ग्रहण 5/6 जनवरी 2019 को पड़ा था। सूर्यग्रहण एवं चंद्रग्रहण मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं- खग्रास और खंडग्रास। जब ग्रहण पूर्णरूपेण दृश्यमान होता है तो उसे ‘खग्रास’ कहते हैं। जब ग्रहण कुछ मात्रा में दृश्यमान होता है, तब उसे ‘खंडग्रास’ कहा जाता है। आंशिक सूर्यग्रहण में चंद्रमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पाता है। इससे सूर्य का कुछ भाग ग्रहण ग्रास में तथा कुछ भाग ग्रहण से अप्रभावित रहता है। वर्ष 2019 में 3 ग्रहण में से केवल दो ग्रहण ही भारतवर्ष में दिखाई देंगे। इस साल का तीसरा एवं अंतिम ग्रहण कंकण सूर्यग्रहण 26 दिसंबर 2019 को लगेगा जो सुबह 08:17 से 10:57 बजे तक रहेगा। यह खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा, जो मूल नक्षत्र एवं धनु राशि पर मान्य होगा। यह भारत में दिखेगा, इसलिए इसका सूतक भी लगेगा। भारत में वलयाकार सूर्य ग्रहण के समय सूर्य का करीब 93 फीसदी हिस्सा चांद से ढका रहेगा। यह खंडग्रास सूर्यग्रहण केवल दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में ही दृश्यमान होगा। यह ग्रहण जहां दृश्यमान होगा, उन क्षेत्रों में ग्रहण के यम-नियम मान्य व प्रभावी होंगे।
ज्योतिषियों की राय
ज्योतिषी सचिन मल्होत्रा के अनुसार इससे पहले 5 फरवरी 1962 के पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय मकर राश राशि में सभी 7 ग्रह केतु के साथ उपस्थित थे। उस ग्रहण के प्रभाव से उस वर्ष ‘क्यूबा-मिसाइल’ संकट के कारण अमेरिका और रूस के बीच युद्ध की नौबत आ गयी थी। उसी साल भारत को चीन का आक्रमण झेलना पड़ा था। करीब 58 साल बाद लगने जा रहा यह विशेष सूर्य ग्रहण है।
यह भारत के अधिकांश हिस्सों में दिखायी देगा। इससे पूर्व 25 दिसंबर को चंद्रमा, धनु राशि में प्रवेश करेगा। इस ग्रहीय बदलाव का प्रभाव राशियों के अनुसार जातकों पर पड़ेगा।
‘उत्थान ज्योतिष संस्थान’ के निदेशक पं. दिवाकर त्रिपाठी ‘पूर्वांचली’ के अनुसार खग्रास सूर्यग्रहण 26 दिसंबर को सुबह 8 बजे से शुरू होगा परम ग्रास सुबह 10:48 बजे तक रहेगा। संपूर्ण ग्रहण 1:36 बजे समाप्त होगा। अवधि 5 घंटा 36 मिनट तक रहेगा। दक्षिण भारत मेें यह कंकड़ाकृति यानी अंगूठी की तरह दिखाई देगा। सूतक 25 तारीख को रात 8 बजे से शुरू हो जाएगा। सूतक काल में शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। ग्रहण में आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ, सूर्याष्टक स्तोत्र पाठ, गंगा स्नान, दान करना फलदायी रहेगा।
राशियों पर ग्रहण का प्रभाव
मेष : चिंता, संतान को कष्ट।
वृषभ : शत्रुभय, साधारण लाभ।
मिथुन : स्त्री व पति को कष्ट।
कर्क : रोग की चिंता।
सिंह : खर्च अधिक, कार्य में देरी।
कन्या: कार्य सिद्धि, सफलता।
तुला : आर्थिक विकास, धन लाभ।
वृश्चिक : कार्य में अवरोध, धन हानि।
धनु : दुर्घटना, चोट की चिंता।
मकर : धन का अपव्यय, कार्य में बाधा।
कुम्भ : लाभ, उन्नति के अवसर।
मीन : रोग, कष्ट, भय की प्राप्ति।
सूर्य ग्रहण का खगोलीय महत्व
सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जो सूर्य ,चंद्र व पृथ्वी की विशेष स्थिति के कारण बनती है। अन्य देशों के लिये सूर्य ग्रहण का वैज्ञानिक महत्व होता है। वैज्ञानिकों के लिये यह दिन बड़ा महत्व रखता है। इस दिन वैज्ञानिकों को शोध करने के नए अवसर प्राप्त होते हैं क्योंकि ब्रह्मांड को समझने में सूर्य ग्रहण के दिन का खास प्रयोग किया जाता है। वैज्ञानिक सूर्य ग्रहण से संबंधित नए-नए रिसर्च करते हैं और खगोलीय रहस्यों को खोलने की कोशिश करते हैं। भारतीय वैदिक ज्ञान के आधार पर किसी खगोलीय पिंड का पूर्ण अथवा आंशिक रूप से किसी अन्य पिंड से ढंक जाना या पीछे आ जाना ग्रहण कहलाता है। जब कोई खगोलीय पिंड किसी अन्य पिंड द्वारा बाधित होकर दिखाई नहीं आता, तब ग्रहण होता है। सूर्य प्रकाश पिंड है, जिसके चारों ओर ग्रह घूम रहे हैं। अपनी कक्षाओं में घूमते हुए जब तीन खगोलीय पिंड एक रेखा में आ जाते हैं तब ग्रहण होता है।
सूर्य ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा आंशिक अथवा पूर्ण रूप से सूर्य ढंक लेता है। इस प्रकार के ग्रहण के लिये चंद्रमा का पृथ्वी और सूर्य के बीच आना आवश्यक है। इससे पृथ्वी पर रहने वाले लोगों को सूर्य का आवृत्त भाग नहीं दिखाई देता है। अमावस्या को ही सूर्य ग्रहण पड़ता है।
बैनर छवि: jansatta
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