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मकर संक्रांति पर ऐसे तैयार करें दान की थाली

मकर संक्रांति पर ऐसे तैयार करें दान की थाली

13 Jan 2020 | 1 min Read

अपने देश में हर त्योहार को मनाने के पीछे पौराणिक मान्यताएं होती हैं। इसके धार्मिक कारण तो होते ही हैं साथ इनमें यह भी बताया जाता है कि किस तरह हम अपनी गलतियों, कमियों को दूर कर जीवन में आगे बढ़ें। त्योहार खुशियों को मनाने का कारण होता है मगर वह खुशी अधूरी होती है अगर उस दिन कोई भूखा रहे, दुखी रहे। इसलिए त्योहारों को दान से जोड़ दिया गया है कि लोग गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान  देकर उनकी खुशियों का कारण बनें। इस तरह त्योहार समाज में अमीर-गरीब के बीच खाई मिटाने का काम करते हैं। मकर संक्रांति का त्योहार पर नदियों में स्नान कर दान देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
दान देते समय यह श्लोक पढ़ना चाहिए जो मत्स्य पुराण के 98वें अध्याय के 17 वें भाग से लिया गया है –

‘यथा भेदं न पश्यामि शिवविष्णवर्कपद्मजान्।
तथा ममास्तु विश्वात्मा शंकरः शंकरः सदा।।’
इसका अर्थ है- मैं शिव एवं विष्णु तथा सूर्य एवं ब्रह्मा में अन्तर नहीं करता। वह शंकर, जो विश्वात्मा है, सदा कल्याण करने वाला हो।

आइए देखते हैं कि मकर संक्रांति पर दान की थाली कैसे तैयार करें-

छवि: livehindustan.com

  1. मकर संक्रांति पर दान की थाली सजाने के लिए सबसे पहले एक थाली लें आप चाहें तो स्टील या तांबे की थाली ले सकते हैं। आप जिसे भी दान दें उसे थाली सहित दान दें।
  2. इस दिन खिचड़ी का दान विशेष रूप से किया जाता है। इसलिए एक कटोरी में चावल और दूसरी कटोरी में मूंग की दाल रखें आप चाहें तो अरहर की दाल भी इसमें रख सकते हैं।
  3. इसके बाद उस थाली में दो आलू रखें आप चाहें तो इसकी जगह कोई और सब्जी भी रख सकते हैं।
  4. थाली में सब्जी रखने के बाद उस थाली में दही और चूड़ा भी रखें जिसे पोहा भी कहा जाता है। क्योंकि उत्तर प्रदेश और बिहार में मकर संक्रांति के दिन दही और चूड़ा भी दान किया जाता है।
  5. यह सब चीजें रखने के बाद उस थाली में गुड़ और तिल अवश्य रखें। आप चाहें तो गुड़ और तिल से बनी मिठाईयां भी दान के लिए रख सकते हैं।
  6. इसके साथ ही आप दान के लिए थाली में मूंगफली, रेवड़ी और गजक आदि भी रखें तो ज्यादा उत्तम होगा।
  7. इस दिन ऊनी वस्त्र दान करना भी काफी शुभ माना जाता है। इसलिए मकर संक्रांति से एक दिन पहले अपने सामर्थ्य के अनुसार एक ऊनी वस्त्र दान के लिए अवश्य लाएं।
  8. इसके बाद थाली में अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा भी अवश्य रखें। क्योंकि बिना दक्षिणा के कोई भी दान पूरा नहीं होता।
  9. दान की पूरी थाली तैयार करने के बाद दान का संकल्प लें और सूर्यदेव की पूजा और उनका ध्यान अवश्य करें।
  10. इसके बाद इस थाली को आप किसी जरूरतमंद व्यक्ति या किसी ब्राह्मण को दान में दे दें। आप चाहें तो इस थाली को मंदिर में भी दान दे सकते हैं।

बैनर छवि: jagran.com
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