13 Jan 2020 | 1 min Read
सुमन सारस्वत
Author | 60 Articles
अपने देश में हर त्योहार को मनाने के पीछे पौराणिक मान्यताएं होती हैं। इसके धार्मिक कारण तो होते ही हैं साथ इनमें यह भी बताया जाता है कि किस तरह हम अपनी गलतियों, कमियों को दूर कर जीवन में आगे बढ़ें। त्योहार खुशियों को मनाने का कारण होता है मगर वह खुशी अधूरी होती है अगर उस दिन कोई भूखा रहे, दुखी रहे। इसलिए त्योहारों को दान से जोड़ दिया गया है कि लोग गरीब और जरूरतमंद लोगों को दान देकर उनकी खुशियों का कारण बनें। इस तरह त्योहार समाज में अमीर-गरीब के बीच खाई मिटाने का काम करते हैं। मकर संक्रांति का त्योहार पर नदियों में स्नान कर दान देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
दान देते समय यह श्लोक पढ़ना चाहिए जो मत्स्य पुराण के 98वें अध्याय के 17 वें भाग से लिया गया है –
‘यथा भेदं न पश्यामि शिवविष्णवर्कपद्मजान्।
तथा ममास्तु विश्वात्मा शंकरः शंकरः सदा।।’
इसका अर्थ है- मैं शिव एवं विष्णु तथा सूर्य एवं ब्रह्मा में अन्तर नहीं करता। वह शंकर, जो विश्वात्मा है, सदा कल्याण करने वाला हो।
आइए देखते हैं कि मकर संक्रांति पर दान की थाली कैसे तैयार करें-
छवि: livehindustan.com
बैनर छवि: jagran.com
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