त्वानूं लोहरी दी लख-लख वधाइयां!!!

त्वानूं लोहरी दी लख-लख वधाइयां!!!

13 Jan 2020 | 1 min Read

फसलों का त्योहार लोहड़ी इस साल कहीं 13 जनवरी तो कहीं 14 जनवरी को मनाया जा रहा है। आनंद और खुशियों का त्योहार लोहड़ी हर साल देशभर में मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। ज्यादातर मकर संक्रांति 14 जनवरी को और लोहड़ी 13 जनवरी को होती है। लेकिन इस बार तारीख को लेकर काफी ज्यादा कन्फ्यूजन बना हुआ है। इस साल सूर्य, मकर राशि में 15 जनवरी को रात 2 बजकर 23 मिनट पर गोचर कर रहा है। इस लिहाज से मकर संक्रांति इस बार 15 जनवरी को पड़ रही है, और इस हिसाब से लोहड़ी 14 जनवरी को। कुछ ज्योतिषियों के अनुसार लोहड़ी का शुभ मुहूर्त 14 जनवरी शाम 5 बजकर 45 मिनट के बाद रहेगा।

 

क्यों मनाई जाती है लोहड़ी?

हमारे सभी त्योहार प्रकृति और मौसम से जुड़े होते हैं। पौष माह के अंत और माघ माह  के शुरू में यह त्योहार मनाया जाता है। इस समय खेतों में फसलें लहलहाती हैं। अच्छी फसल होने की खुशी में किसान प्रकृति को धन्यवाद देने के लिए पहली फसल को अग्नि देवता को अर्पण करते हैं इसलिए आग जलाकर लोहड़ी मनाई जाती है। लोहड़ी पर्व को विशेषकर पंजाबी लोग मनाते हैं। लोहड़ी के दिन पंजाबी और सिख लोग फसल पकने की खुशी मनाते हैं। जिस घर में नई शादी हुई हो या फ‍िर बच्‍चे का जन्‍म हुआ हो वहां यह त्‍योहार काफी उत्‍साह व नाच-गाने के साथ मनाया जाता है। पंजाब के अलावा हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और जम्मू में खुशियों का यह त्योहार बड़े धूमधाम से नाच-गाकर मनाया जाता है।

 

लोहड़ी की कथाएं

लोहड़ी को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। मानते हैं कि इस दिन नए गेहूं के आटे की रोटी लोहे के तवे पर बनाई जाती है इसलिए इसे लोहलड़ी कहते हैं। एक पौराणिक कथा में बताया गया है कि होलिका और लोहड़ी दोनों बहनें थीं। लोहड़ी अच्‍छी प्रवृत्ति वाली थी। पंजाब में उसकी पूजा होती है। उसी के नाम पर यहां लोहड़ी मनाई जाती है।

‘सुंदर मुंदरिए हो, तेरा कौन विचारा हो, दुल्ला भट्टी वाला हो, दुल्ले दी धी बयाही हो..।’ लोहड़ी का यह सबसे लोकप्रिय गीत है। इस पुरानी कहानी में दुल्‍ला भट्टी नाम के एक डाकू ने सुंदर व मुंदर नाम की दो अनाथ लड़कियों को किसी बूढ़े सूबेदार के हाथों से बचाकर उनकी शादी दो हिंदू लड़कों से कर दी थी। इसी घटना की याद में लोहड़ी मनाई जाती है। इसके अलावा लोहड़ी की अग्नि को सती द्वारा योग अग्नि में अपनी जान दे देने की याद में भी मनाया जाता है। एक और मान्यता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में भी लोहड़ी मनाई जाती है।

लोहड़ी की पूजा के लिए लकड़ियों और उपलों से अग्नि जलाई जाती है। सभी लोग उस अग्नि की परिक्रमा करते हैं। गेहूं की नई फसल, गन्ने, रेवड़ी, तिल की गजक और मक्के के भुने हुए दाने अग्नि को भेंट किए जाते हैं और यही चीजें प्रसाद के रूप में लोगों के बीच में बांटी जाती है।

 

क्या होता है- लोहड़ी व्यहाना

लोग जब घर लौटते हैं तो लोहड़ी में से दो या चार दहकते हुए कोयले प्रसाद के रूप में घर लेकर आते हैं। शहरों के शरारती लड़के दूसरे मौहल्ले में जाकर लोहड़ी से जलती हुई लकड़ी से जलती हुई लकड़ी उठाकर अपने मोहल्ले की लोहड़ी में डाल देते हैं। जिसे लोहड़ी व्यहाना कहा जाता है। कई बार इसमें लोगों के बीच में छीना-झपटी भी हो जाती है। दूसरे मोहल्ले की लोहड़ी से जलती लकड़ी को अपनी लोहड़ी में डालना काफी शुभ माना जाता है। लोहड़ी व्याहने की परंपरा आजकल सभी जगहों पर होती है। जहां पर लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा भी लेते हैं। जिसकी वजह से इस त्योहार पर लोगों का अत्यधिक मनोरंजन भी होता है। लोहड़ी का त्योहार हर्ष और उल्लास का त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार पर लोहड़ी की अग्नि के चारों और लोक गीत गाकर गिद्दा नृत्य किया जाता है।

इसके अलावा इन दिनों इंटरनेट के जमाने में आप अभी से अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को मैसेज मेंनीचे दिए गए संदेश भेज कर खुशियां बांट सकते हैं-

ट्विंकल ट्विंकल यारां दी कार,
खड़के ग्लासी इन द कार,
पंजाबी भंगड़ा ते मक्खन मलाई,
त्वानूं लोहरी दी लख-लख वधाई!!!
हैप्पी लोहड़ी 2021
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मूंगफली दी खूशबू ते गुड़ दी मिठास
मक्के दी रोटी ते सरसों दा साग
दिल दी खुशी ते अपनों का प्यार
मुबारक होवे त्वानूं लोहड़ी का त्योहार
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बोलो तुम्हें लोहड़ी पे क्या उपहार दूं?
दोस्ती चाहिए या जान दे दूं??
स्कूटर, मोटर साइकिल या कार दूं?
बस इतने से ही हो जाओ खुश,
या दो-चार गप्पे और मार दूं!
हैप्पी लोहड़ी!!!
—–

चांद को चांदनी मुबारक,
दोस्त को दोस्ती मुबारक,
मुझको आप मुबारक,
और मेरी तरफ से आपको लोहड़ी मुबारक!

आप सभी को बेबीचक्रा की ओर से लोहड़ी की बधाई!

बैनर छवि: aazad.com

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