9 May 2022 | 1 min Read
Tinystep
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आमतौर पर माताएँ मूल अभिभावक मानी जाती हैं। चाहे खिलाना, नहाना, कपड़े बदलना, स्कूल मीटिंग में जाना, डॉक्टर के पास जाना हो यह सूची अंतहीन है। पर बच्चों की परवरिश में पिता की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अगर माताएँ बटन की तरह हैं, तो पिता वह धागा है जिसके बिना बटन सभी कुछ एक साथ नहीं रह सकता। और कई मामलों में, जब बात परवरिश करने की इन 7 पहलू पर आती है तब वो माताओं से भी अहम भूमिका निभाते हैं।
जब बात घुमने की आती है तो पिता का कंधा सबसे अच्छा गाड़ी होता है। बच्चा थका हुआ है, कोई बात नही, पिता के कंधे पर आ जाओ। बच्चे को नींद आ रही है, कोई दिक्कत नही, पिता का कंधा सबसे आरामदायक बिस्तर बन जाता है। बच्चा चिड़ियाघर मे जानवरों को नही देख पाता, कोई दिक्कत नही, पिता का कंधा सर्वोत्तम ऊँचाई प्रदान करता है। बच्चे को प्यारी सी सवारी चाहिए, कोई बात नही, पिता का कंधा है ना। धन्यवाद पापा।
छोटे बच्चों के साथ पिता से बेहतर तरीके से कोई भी, मेरा मतलब कोई भी नही (हाँ अगर उन मस्ती मिजाज के चाचा चाची को छोड़ दे तो) खेलता। पिता के पास बच्चो को अच्छे वक्त दिखाने की शैली होती है। चाहे घर पर हो, खेल के मैदान मे, पाकॆ मे या फिर कानिवल/थीम पाकॆ मे। वो अपने खेल की शीर्ष पर होते है। उनके अंदर का बच्चा जाग जाता है।
मुझे याद है जब हम बच्चे थे तब हमारे होमवर्क पूरे कराने के लिए हमारी माँ के कठिन प्रयास पर हमने शायद ही कभी ध्यान दिया हो। पर पिता के घर मे आते ही हम झट से स्टडी टेबल पर बैठ जाते थे तथा काम पूरा करते थे।इसके अलावा, अगर हमे स्कूल मे कुछ समझने मे दिक्कत आई हो तो फकॆ नही पड़ता पिता कितने भी थके हो, होमवर्क मे मदद करने मे हमेशा तैयार रहते थे।
उनके डर का प्रकोप घर मे सबसे अलग है। मेरा मतलब अच्छे संदर्भ मे है। माँ भले ही ब्रश करने के लिए 100वीं बार चिल्ला रही हो, पर कोई असर नही होता। पिता के कमरे मे आते ही बच्चा भागकर बाथरूम की ओर जाता है, ब्रश करता है और बिस्तर पर चला जाता है। कैसे? पिता की उपस्थिति मे कुछ चमत्कारिक शक्तियाँ होती है जो बिना कुछ बोले ही सारे काम करा देती, जबकी बेचारी माँ पूणॆतया अविश्वसनीय होकर देखती रहती है।
माताएँ ध्यान दें, आपको घर मे मास्टर शेफ का किताब भले ही मिला हो पर मास्टर फीडर के किताब पर पिता का कब्जा होता है। बच्चा लौकी की सब्जी और रोटी नही खाना चाहता? आप यह काम पिता को करने दे और ध्यान दे वो ना केवल बच्चे की प्लेट खाली कराएंगे पर अगर आप भाग्यशाली हो तो बच्चा और खाने की इच्छा जाहिर करेगा। और पिता को बच्चे को सुलाने का भी बेहतर तरीका मालूम होता है। जादू, है कि नही?
हालांकि वो सबसे डरावने हो सकते हैं, पर अनजाने मे ही हमे बिगाड़ कर उसकी भरपाई कर लेते है, खासकर जब माँ पास ना हो। नाश्ते मे आइसक्रीम, लंच मे पिज्जा तथा रात के खाने मे फ्राइज की अपेक्षा पिता से ही की जा सकती है।
उन लोगो के लिए जो भारत मे रहते है, यह पिता की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। माँ ने तिलचटटे को देखा, चिल्लाई, माँ का चिल्लाना पिता के अलावा घर के हर सदस्य (बच्चे, इन लाॅ) को चौकन्ना कर देता है। पिता स्थिति जानने के लिए जाते है, तिलचटटे को उठाते हैं और बाॅस की तरह उड़ाकर फेंक देते है। शांत माहौल। पालन-पोषण कोई मतलब की उपलब्धि नही है, और एक पिता की भूमिका उपर्युक्त लिखी बातो से काफी अधिक है। वास्तव मे, आज के जमाने मे, जरूरत पड़ने पर माता-पिता खुद को एक दूसरे की भूमिका मे ढाल लेते है, पर फिर भी इस बात से नकारा नही जा सकता की “ माताएँ शासन करती है व पिता हमेशा सर्वोपरि होते है।”
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