23 Oct 2021 | 1 min Read
Medically reviewed by
Author | Articles
कार्तिक महीने की चतुर्थी तिथि को पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। इस बार करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त 06: 55 से लेकर 08:51 तक है। चंद्रमा निकलने का समय रात 8 बजकर 11 मिनट पर है।
करवा चौथ पूजा विधि
करवाचौथ में सबसे पहले सुबह सरगी खाने की परंपरा है। इसके बाद पत्नी पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत में भगवान शिव, मां पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देवता की पूजा की जाती है। करवा चौथ की कथा भी सुनी जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा को अर्ध्य देकर ही व्रत खोला जाता है। इसके अलावा देश के अलग-अलग राज्यों में करवा चौथ पूजा घर की परंपरा के अनुसार की जाती है।
करवा चौथ के पूजन में धातु के करवे को सबसे अच्छा माना गया है। इसके अलावा मिट्टी के करवे से भी पूजा करने का विधान है। पूजा की थाली में श्रृंगार का सामान, फल, फूल, मिठाई रखी जाती है। चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए जल, अक्षत, रोली, सिंदूर साथ में रखा जाता है।
छलनी से ही क्यों चंद्रमा देखने की परंपरा है
सदियों से यही परंपरा चली आ रही है कि महिलाएं अपने पति का चेहरा छलनी से देखती है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार छलनी से निकालने वाला चंद्रमा का प्रकाश पति को सभी बुरी नजरों से बचाता है। साथ ही पति-पत्नी के बीच के आपसी रिश्तों को और मजबूत बनाता है।
अगर गर्भवती है तो करवा चौथ के व्रत के दौरान इन बातों का ध्यान रखें
अगर आप प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में है तो डॉक्टर की सलाह लेकर ही व्रत रखे।
व्रत में होने वाली परंपरा आज से नहीं बल्कि सदियों से चली आ रही हैं। लेकिन अपनी सुविधानुसार अपनी हेल्थ का ध्यान रखते हुए व्रत रखें। करवा चौथ व्रत पति-पत्नी के बीच प्यार को मजबूत करता है। पति को भी अपनी पत्नी का सम्मान करना चाहिए।
A
Suggestions offered by doctors on BabyChakra are of advisory nature i.e., for educational and informational purposes only. Content posted on, created for, or compiled by BabyChakra is not intended or designed to replace your doctor's independent judgment about any symptom, condition, or the appropriateness or risks of a procedure or treatment for a given person.